वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में पूरक हलफनामा दाखिल

भाषा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

वाराणसी में भगवान विश्वेश्वर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Masjid controversy) मामले में याचिकाकर्ता अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के वकील पुनीत गुप्ता ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक पूरक हलफनामा दाखिल किया.

पूरक हलफनामे में 26 दिसंबर, 1944 की तिथि की राजपत्रिक सूचना अदालत के संज्ञान में लाई गई जिसके जरिए विवादित संपत्ति को आधिकारिक गजट में वक्फ संपत्ति के तौर पर पंजीकृत कराया गया था.

पुनीत गुप्ता ने दलील दिया कि यह अपने आप में स्वीकार करता है कि 15 अगस्त, 1947 को वहां एक मस्जिद मौजूद थी, इसलिए पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 4 के प्रावधानों को देखते हुए मौजूदा वाद कानून द्वारा अमान्य है.

वहीं, दूसरी ओर, प्रतिवादी पक्ष के वकील अजय कुमार सिंह ने दलील दी कि विवादित संपत्ति को समग्र रूप से देखा जाना चाहिए और इस उद्देश्य के लिए यह निर्धारित करना होगा कि 15 अगस्त, 1947 को उसका धार्मिक चरित्र क्या था जिसके लिए साक्ष्य की जरूरत है। इसलिए कानून की धारा 4 के प्रावधान यहां लागू नहीं होंगे.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

अजय सिंह ने इस पूरक हलफनामे पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अदालत से 10 दिन का समय मांगा जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले की सुनवाई 17 अगस्त तक के लिए टाल दी.

उल्लेखनीय है कि वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.

ADVERTISEMENT

ज्ञानवापी: मुस्लिम पक्ष ने कहा- किसी धार्मिक स्थल की स्थिति बदलने की मांग नहीं की जा सकती

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT