काशी विश्वनाथ मंदिर जानें से पहले जानें यहां का इतिहास, रोचक जानकारियां, दर्शन की खास बातें
Shri Kashi Vishwanath Temple News: काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास है. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के दर्शन…
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Shri Kashi Vishwanath Temple News: काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास है. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल करोड़ों लोग आते हैं. देश के अलावा दुनिया भर के श्रद्धालु भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ के दर्शन को पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं के अलावा देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी काशी विश्वनाथ मंदिर भ्रमण के केंद्र में रहता है. खासकर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बन जाने के बाद यहां के सौंदर्य और सुविधाओं में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है. ऐसे में अगर आप काशी विश्वनाथ मंदिर संग कॉरिडोर जाने, दर्शन-पूजा करने, आरती करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए यहां इससे जुड़ी सारी जानकारी दी जा रही है.
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी संक्षिप्त विवरण
देवों के देव महादेव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर, विश्वनाथ गली में स्थित है. कहते हैं कि मां गंगा काशी में काशी विश्वनाथ के लिए ही उत्तरवाहिनी होती हैं और इनके पवित्र किनारे पर ही स्थित है यह प्राचीन मंदिर. धर्मशास्त्रों और प्राचीन काल से वाराणसी को काशी के नाम से जाना जाता है और इसी वजह से मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है. 1983 के बाद से यूपी सरकार की ओर से बनाए गए ट्रस्टियों का बोर्ड मंदिर का प्रबंधन देखता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, हालांकि इसको लेकर साल स्पष्ट नहीं है कि मंदिर का निर्माण कब हुआ था. कुछ स्रोतों की मानें, तो मंदिर की स्थापना लगभग 3500 वर्ष पहले हुई थी. कुछ का यह भी मानना है कि मंदिर को महाभारत काल में बनाया गया था. मध्यकालीन इतिहास के कुछ लेखकों का मानना है कि इश मंदिर को बार-बार तोड़ा गया और फिर इसका पुनर्निर्माण हुआ. ऐसा कहा जाता है कि मुगल सम्राट औरंगजेब ने भी इस मंदिर को तोड़ा और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनाई. फिलहाल ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद कोर्ट में है.
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हम आज जिस मंदिर को देख रहे हैं उसका निर्माण मराठा शासक अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था. इसे 1780 में बनवाया गया. इसके बाद 1835 में महाराजा रणजीत सिंह ने काशी विश्वनाथ मंदिर के शिखर को स्वर्णमय करवा दिया.
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काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तुकला
काशी विश्वनाथ मंदिर में अब प्राचीनता के साथ-साथ आधुनिकता के भी दर्शन होते हैं. ये संभव हुआ है काशी कॉरिडोर बनने के बाद. हालांकि काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तुकला के बारे में बात करें, तो इसे उत्तर भारतीय हिंदू स्थापत्य कला की तीन शैलियों में से एक नागर शैली में बनाया गया है. नागर शैली उत्तर भारत में विकसित हुई एक हिंदू मंदिर वास्तुकला शैली है. यह शैली 9वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक लोकप्रिय थी और इसने भारत के कई हिस्सों में मंदिरों के निर्माण को प्रभावित किया. नागर शैली के मंदिरों की विशेषताएं हैं:
- वर्गाकार या आयताकार योजना
- एक केंद्रीय गर्भगृह
- एक मुखमंडप (सामने का हॉल)
- एक अष्टकोणीय शिखर
- उकेरी हुई दीवारें और छतें
- भारी खंभे
- रंगीन मूर्तियां
भारत में सबसे प्रतिष्ठित और प्राचीन मंदिरों में से एक, काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तरी नागर शैली की विशिष्ट विशेषताओं को प्रदर्शित करता है. इसका शिखर सुंदर ढंग से कई मंजिलों तक फैला हुआ है. इसमें जटिल नक्काशी और सजावट हैं.
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काशी विश्वनाथ मंदिर के रहस्य
काशी की धरती आध्यात्मिक रहस्यों से भरी हुई है. कुछ ऐसे जिन्हें मनुष्य ने समझा है और ढेरों ऐसी, जिन्हें समझा जाना बाकी है. काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी एक कहानी यह भी है कि यह पूरी नगरी ही भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर बसी है. एक आध्यात्मिक रहस्य यह भी कि मान्यता है कि यह नगरी विष्णु की पुरी थी, बाद में शिव को पसंद आई तो उन्होंने इसे अपने लिए विष्णु से मांग लिया. काशी की एक मान्यता यह भी है कि यहां मृत्यु से मोक्ष मिलता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर का महत्व
देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं. 12 ज्योतिर्लिंगों की सूची इस प्रकार है:
- सोमनाथ, गुजरात
- मल्लिकार्जुन, आंध्र प्रदेश
- महाकालेश्वर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश
- केदारनाथ, उत्तराखंड
- भीमाशंकर, महाराष्ट्र
- त्र्यंबकेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र
- वैद्यनाथ धाम, देवघर, झारखंड
- रामेश्वरम, तमिलनाडु
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, नासिक, महाराष्ट्र
- विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, काशी, उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ में विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं. मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में आदि विश्वेश्वर का बड़ा महत्व है. ऐसी मान्यता है कि पवित्र गंगा नदी में स्नान के बाद इस मंदिर का दर्शन कर लेने से ही मोक्ष मिल जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि काशी में मृत्यु होने पर भगवान शिव खुद मरने वालों के कानों में मोक्ष का मंत्र पढ़ते हैं, जिसके बाद उस शख्स को मोक्ष मिल जाता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए ड्रेस कोड
अक्सर हम सुनते हैं कि मंदिर में दर्शन के लिए ड्रेस कोड जैसी चीजें होती हैं. कई मंदिरों में बकायदा इसके लिए प्रावधान है. काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर भी एक चर्चा होती रही है कि स्पर्श दर्शन के लिए पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी ड्रेस कोड होगा. हालांकि हमने इस संबंध में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर हेल्प डेस्क से संपर्क किया. वहां से बताया गया कि फिलहाल दर्शन के लिए ऐसा कोई ड्रेस कोड नहीं है. वैसे ट्रस्ट की वेबसाइट पर मौजूद FAQs की लिस्ट में बताया गया है कि अपमानजनक पोशाकें पहनकर जाने से बचना चाहिए.
काशी विश्वनाथ मंदिर टिकट की कीमत
काशी विश्वनाथ मंदिर में एंट्री के लिए कोई टिकट नहीं है. हालांकि सुगम दर्शन, अलग-अलग आरती, रुद्राभिषेक, महादेव पूजा इत्यादि के लिए आपको फिक्स चार्ज अदा करना पड़ता है. जैसे आरती के कई प्रकार हैं. मंगला आरती, मिड डे भोग आरती, सप्त ऋषि आरती, श्रृंगार/भोग आरती. इसके लिए 300 से लेकर 500 रुपये तक चार्ज हैं.
इसी तरह काशी विश्वनाथ में कई तरीके के रुद्राभिषेक होते हैं.
- रुद्राभिषेक (1 शास्त्री)
- रुद्राभिषेक (5 शास्त्री)
- रुद्राभिषेक (11 शास्त्री)
- लघु रुद्रा (11 शास्त्री)
- महा रुद्राभिषेक (11 शास्त्री 11 दिन)
- 22 साल रुद्राभिषेक
काशी विश्वनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक के लिए चार्ज 450 रुपये से लेकर 25 हजार रुपये या अधिक भी हो सकता है. इन सारी बातों की विस्तार से आधिकारिक जानकारी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट से ली जा सकती है.
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में देखने लायक चीजें
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में देखने लायक कई चीजें हैं.आइए आपको यहां के प्रमुख आकर्षणों के बारे में बताते हैं. मुख्य मंदिर का परिसर ही अपने आप में अद्भुत है. आपको यहां आने के बाद दैवीय अनुभूति होगी. इसके अलावा 50 हजार वर्ग मीटर में फैला काशी विश्वनाथ कॉरिडोर है. यहां आपको 22 शिलालेख मिलते हैं, जिनमें काशी की महिमा बताई गई है. यहां तमाम घूमने लायक जगहें हैं. यात्री सुविधा केंद्र हैं. मंदिर परिसर के पास में ही गंगा घाट है. मंदिर के आसपास के बाजार को भी एक्सप्लोर किया जा सकता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुंचें?
काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले वाराणसी पहुंचना होगा. वाराणसी देशभर के बड़े-बड़े शहरों से वेल कनेक्टेड है. आप चाहें तो हवाई जहाज से भी वाराणसी पहुंच सकते हैं. यहां लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. यहां से आपको काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए टैक्सी सर्विस मिल जाएगी. काशी विश्वनाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टशन वाराणसी कैंट है. इसके अलावा बनारस स्टेशन भी है. यहां से देश के हर कोने से ट्रेनें आती-जाती रहती हैं. इसक अलावा वाराणसी भारत के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. आप बस, कार या टैक्सी से वाराणसी आ सकते हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं.
काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
काशी विश्वनाथ मंदिर जाने से पहले लोग इसके बारे में तमाम जानकारी काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न इस प्रकार हैं:
Q1. मंदिर का समय क्या है?
मंदिर सुबह 03:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक खुला रहता है.
Q2. मंदिर में कितने प्रकार की आरती की जाती है?
आरती के 4 प्रकार हैं: मंगला आरती, मध्याह्न भोग आरती, सप्त ऋषि आरती और श्रृंगार/भोग आरती।
Q3. मैं आरती कैसे बुक कर सकता/सकती हूं?
एंड्रॉइड ऐप के जरिए आसानी से आरती की बुकिंग की जा सकती है.
Q4. मैं आरती बुकिंग ऐप कैसे डाउनलोड करूं?
गूगल प्ले स्टोर में जाकर श्री काशी विश्वनाथ आरती बुकिंग सर्च कर ऐप डाउनलोड किया जा सकता है.
Q5. मंगला आरती का समय क्या है?
मंगला आरती सुबह 03:00 बजे से सुबह 04:00 बजे तक की जाती है.
Q6. मंगला आरती के लिए रिपोर्टिंग समय क्या है?
मंगला आरती का रिपोर्टिंग समय रात 02:30 बजे है.
Q7. मंगला आरती के लिए कौन सा द्वार प्रवेश प्रदान करता है?
मंगला आरती के लिए प्रवेश गेट नंबर एक से उपलब्ध है.
Q8. क्या मैं अन्य आरतियों के लिए किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता हूं?
हां, दूसरी आरती के लिए किसी भी द्वार से प्रवेश की अनुमति है. हालांकि, गेट नं. एक मंगला आरती के लिए आवंटित किया गया है.
Q9. मध्याह्न भोग आरती का समय क्या है?
मध्याह्न भोग आरती सुबह 11:15 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक आयोजित की जाती है, और किसी भी गेट से प्रवेश उपलब्ध है.
Q10. सप्त ऋषि आरती का समय क्या है?
सप्त ऋषि आरती सुबह 07:15 बजे से प्रातः 08:15 बजे तक होती है, जिसमें किसी भी द्वार से प्रवेश उपलब्ध है।
Q11. श्रृंगार/भोग आरती का समय कब है?
श्रृंगार/भोग आरती रात 09:00 बजे से रात्त 10:15 बजे तक की जाती है, और किसी भी द्वार से प्रवेश उपलब्ध है.
Q12. क्या मैं आरती बुकिंग रद्द कर सकता/सकती हूं?
हां, आप बुकिंग रद्द कर सकते हैं, लेकिन कोई रिफंड नहीं दिया जाएगा.
Q13. रिफंड क्यों संभव नहीं है?
आरती बुकिंग राशि को दान का एक रूप माना जाता है।
Q14. क्या मैं अपनी आरती बुकिंग की तारीख बदल सकता/सकती हूं?
नहीं, आरती बुकिंग की तारीख बदलने का कोई विकल्प नहीं है.
Q15. दर्शन का समय क्या है?
दर्शन का समय इस प्रकार है:
सुबह 04:00 बजे से सुबह11:15 बजे तक
दोपहर 12:20 बजे से शाम 07:15 बजे तक
रात्रि 08:30 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक
Q16. क्या मैं इलेक्ट्रॉनिक या गैर-इलेक्ट्रॉनिक गैजेट अंदर ले जा सकता/सकती हूं?
नहीं, मंदिर परिसर के अंदर इलेक्ट्रॉनिक और गैर-इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, साथ ही पेन की अनुमति नहीं है।
Q17. मैं मंदिर को दान कैसे दे सकता/सकती हूं?
दान करने के लिए, आधिकारिक पोर्टल www.shikashivishwanath.org पर लॉग इन करें और प्रक्रिया का पालन करने के लिए “दान कैसे करें” लिंक पर क्लिक करें.
Q18. क्या कोई हेल्पडेस्क उपलब्ध है?
हां, गेट नंबर 2 के पास एक हेल्पडेस्क है.
Q19. क्या मंदिर में गेस्टहाउस है?
हां, मंदिर में “गंगादर्शनम” नाम का एक गेस्टहाउस है.
Q20. काशी विश्वनाथ मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन/बस स्टेशन/हवाई अड्डा?
वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन, चौधरी चरण सिंह बस स्टैंड, लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा.
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