काशी को जल्द मिलने वाला है ‘सोवा रिग्पा’ की सौगात, अब तिब्बती पद्धति से होगा उपचार

शिल्पी सेन

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सारनाथ के आध्यात्मिक वातावरण में अब लोगों को प्राचीन तिब्बती पद्वति से उपचार कराने का मौका मिलेगा. भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली में जल्द ही ‘सोवा रिग्पा’ (Sowa Rigpa) अस्पताल की शुरुआत की जाएगी. लक्ष्य ये है कि 100 बेड के इस अस्पताल का पहला चरण इस साल दिसम्बर तक पूरा हो जाए. जिससे अगले साल से पहले से सेवा के लिए ये आंशिक रूप से शुरू हो जाए.

1617 वर्गफुट में बन रहा अत्याधुनिक अस्पताल तीन हजार साल पुरानी तिब्बती चिकित्सा पद्दति ‘सोवा रिग्पा’ से इलाज करेगा. इस अस्पताल में डबल बेसमेंट और 9 मंजिल की अत्याधुनिक इमारत का निर्माण किया जा रहा है. पहले फेज में 47.5 करोड़ की लागत से चार मंजिल का निर्माण हो रहा है. पहले चरण का काम पूरा होने के बाद दिसंबर तक इसे शुरू कर देने का लक्ष्य रखा गया है.

दुनिया भर में मशहूर प्राचीन चिकित्सा पद्वति ‘सोवा रिग्पा’ के लिए 2019 में इस अस्पताल और रीसर्च सेंटर की योजना बनायी गयी थी. इस अस्पताल में ओपीडी, 6 कंसल्टेंट रूम होंगे. इस चिकित्सा पद्धति के एक अंग ज्योतिष के लिए ज्योतिष कंसल्टेंट की व्यवस्था भी होगी. इसमें एक बड़ा वेटिंग हॉल,अत्याधुनिक इमरजेंसी, इंटेंसिव केयर यूनिट, थेरपी के लिए विभाग, फार्मेसी के लिए विभाग और कई सहायक विभाग भी होंगे. हालांकि इस अस्पताल के साथ अध्ययन और रीसर्च सेंटर भी बनाने की तैयारी है. जिससे इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति के और चिकित्सक तैयार किए जा सकें. इसके लिए क्लास रूम, लाइब्रेरी, म्यूजियम, लैब, हरबेरियम और नक्षत्र शाला भी स्थापित लिए जाएंगे.

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ये उम्मीद की जा रही है कि भगवान बुद्ध से जुड़े सारनाथ में विदेशी टूरिस्ट आएंगे. उनके लिए भी सोवा रिग्पा का ये अस्पताल एक प्रमुख आकर्षण होगा. इसके लिए यहां अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं का विकास भी किया जा रहा है. यहां बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल और ऑडिटोरियम सुविधा भी होगी, जिससे शोध और इस क्षेत्र में काम करने वाले भी यहां अध्ययन और इस चिकित्सा पद्वति पर मंथन कर सकें.

हेलीपैड भी होगा

सुविधा के लिए अस्पताल के निकट हेलिपैड भी प्रस्तावित है. इस बिल्डिंग में कांफ्रेंस समेत विभिन्न गतिविधियों के लिए आधुनिक ऑडिटोरियम होगा जहां 500 लोग एक साथ बैठ सकते हैं. एक ही परिसर में इलाज और रीसर्च की सुविधा देने वाला ये पहला केंद्र होगा. ‘सोवा रिग्पा’ अस्पताल और सेंटर के निर्माण से करीब 250 लोगों को प्रत्यक्ष और हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद है.

इसलिए तिब्बती चिकित्सा पद्धति पर है भरोसा

इस अस्पताल और सेंटर के बनने से कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा भारत के अन्य प्रांतों में रहने वालों को भी तिब्बती चिकित्सा का लाभ मिलेगा. अभी लोग हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला और अन्य जगहों पर इस चिकित्सा पद्वति से इलाज के लिए जाते हैं. वर्षों से तिब्बती चिकित्सा के जरिए प्राकृतिक रूप से इलाज में लोग भरोसा करते रहे हैं. इससे असाध्य रोगों का इलाज भी हो सकता है. सोवा रिग्पा आयुर्वेद से मिलती-जुलती चिकित्सा पद्वति है. तिब्बती चिकित्सा पद्धति ‘सोवा रिग्पा’ में छोटे बड़े सभी मर्जों के साथ असाध्य रोगों का इलाज भी संभव है.

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सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ हाईअर टिबेटन स्टडीज ,सारनाथ (Central Institute Of Higher Tibetan Studies) के रजिस्ट्रार हिमांशु पांडेय ने बताया कि ‘सोवा रिग्पा’ चिकित्सा पद्धति तिब्बत में ही विकसित हुई है, जो दुनिया की सबसे पुरानी और प्रमाणिक चिकित्सा पद्धतियों में से एक है. सातवीं से आठवीं शताब्दी के समय में तिब्बत के राजाओं द्वारा इस पद्धति को विस्तार देने के लिए प्रयास किए गए थे.

सातवीं से आठवीं शताब्दी के समय में तिब्बत के राजाओं द्वारा इस पद्धति को विस्तार देने के लिए प्रयास किए गए थे. जिसमे पर्शिया, चीन, तिब्बत समेत कई देशों के चिकित्सक और विद्वान शामिल हुए थे. तिब्बती चिकित्सा पद्वति चीन के कई प्रांत, मंगोलिया, रूस, नेपाल, भारत, समेत कई देशों में फैली हुई है. सोवा रिग्पा कि पारम्परिक थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों ही समृद्ध है, जो क्लीनिकल पद्धति पर आधारित है. इसकी करीब आठ हजार से दस हजार कृतियां प्रकाशित हुई हैं. साथ ही तीन से चार हजार ग्रंथ हैं.

यूपी सरकार वाराणसी में बनाएगी हर्बल गार्डन

फिलहाल सारनाथ में सेंट्रल इन्स्टिटूट ऑफ टिबेटन स्टडीज में भी एक छोटा से सेंटर है, जहां इलाज के लिए हिमालयन रीजन से जड़ी बूटियां आया करती हैं. इसके लिये अरुणाचल प्रदेश के तवांग (Tawang) में करीब 12,000 फिट की ऊंचाई पर पांच एकड़ का हर्बल गार्डन है. हिमांशु पांडेय के अनुसार-ये एक टीचिंग हॉस्पिटल होगा. वाराणसी में आगे चलकर हर्बल गार्डन भी बनाने की योजना है, जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही सोवा रिग्पा पद्वति से इलाज के लिए औषधियां भी यहीं बनायी जाएंगी.

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