अशोका यूनिवर्सिटी के अरेस्ट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद का लखनऊ के बटलर पैलेस, हजरतगंज मार्केट और हजारों करोड़ की प्रॉपर्टी से ये कैसा कनेक्शन?
अशोका यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद चर्चाओं में हैं. हरियाणा से उन्हें गिरफ्तार किया गया.
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UP News: अशोका यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद चर्चाओं में हैं. हरियाणा से उन्हें गिरफ्तार किया गया. मगर उसकी गूंज उत्तर प्रदेश तक सुनाई दी. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इशारों ही इशारों में उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया. यहां तक की अंबेडकर नगर से पूर्व सांसद रितेश पांडे ने भी प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के समर्थन में पोस्ट किया. हम हम आपको बताते हैं प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी और इनके यूपी जुड़ाव के बारे में.
जानिए पूरा मामला
हरियाणा के अशोका यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को 18 मई को गिरफ्तार किया गया. उनकी गिरफ्तारी सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर की गई एक पोस्ट के कारण हुई. ऑपरेशन सिंदूर भारत का वह जवाबी कदम था, जो पहलगाम आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ उठाया गया. भाजपा युवा मोर्चा के एक सदस्य की शिकायत के बाद दिल्ली में उनकी गिरफ्तारी हुई. इसके अलावा, हरियाणा राज्य महिला आयोग ने भी उनकी टिप्पणियों को लेकर उन्हें नोटिस भेजा था. अली ने अपनी गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
कौन हैं अली खान महमूदाबाद?
अली खान महमूदाबाद का जन्म 2 दिसंबर साल 1982 में लखनऊ में हुआ था. वह प्रख्यात इतिहासकार, राजनीति विज्ञानी, लेखक और कवि हैं. दरअसल प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद, महमूदाबाद के शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इस शाही परिवार की लखनऊ, नैनीताल और सीतापुर में हजारों करोड़ की संपत्तियां हैं. इनमें बटलर पैलेस और हजरतगंज मार्केट जैसे प्रमुख संपत्तियां भी शामिल हैं. इनके पिता मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान, ने Enemy Properties Act के तहत जब्त संपत्तियों को वापस पाने के लिए 40 साल तक कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी.
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की मां का नाम रानी विजय है. वह पूर्व विदेश सचिव जगत सिंह मेहता की बेटी हैं. अली ने लखनऊ के लॉ मार्टिनियर स्कूल, इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज स्कूल, और विनचेस्टर कॉलेज से पढ़ाई की है. उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ऐतिहासिक अध्ययन में एमफिल और पीएचडी भी की. वे सीरिया, ईरान, और इराक जैसे देशों की यात्राएं कर चुके हैं और नेशनल जियोग्राफिक जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए लेख लिखते हैं.
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फरवरी 2020 में अली ने "Poetry of Belonging" नाम की एक किताब प्रकाशित की, जो 1850-1950 के बीच भारत के बारे में मुस्लिम कल्पनाओं को समझने की कोशिश करती है. उन्होंने अवध के सूफियों, लखनऊ, शियाओं और भारत की मुस्लिम अवधारणाओं पर कई किताबें लिखी हैं.
सपा चीफ अखिलेश यादव के हैं करीबी
प्रोफेसर अली साल 2018-2022 तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे हैं. वह सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं. आपको ये भी बता दें कि साल 2022 के बाद से उन्होंने पार्टी में कोई आधिकारिक पद नहीं संभाला और राजनीति में सक्रिय नहीं रहे.