फंड न मिलने पर BHU ने रोकी कोरोना जांच, बकाया हैं ₹55 करोड़

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कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच केंद्र की मोदी जबकि प्रदेश की योगी सरकार ज्यादा-से-ज्यादा वैक्सीनेशन और कोरोना की जांच पर जोर दिए हुए हैं. कोविड से लड़ाई के नाम पर भारी धनराशि खर्चने का भी दावा किया जा रहा है. वहीं, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. वाराणसी के IMS-BHU में लगीं कोरोना जांच की दो RT-PCR मशीनें सिर्फ BHU अस्पताल में आने वाले लोगों की ही जांच कर रही हैं. वाराणसी के अन्य अस्पतालों समेत बाकी के 8 जिलों के सैंपलों की जांच को बंद कर दिया गया है.

इसके पीछे की वजह पिछले 2 वित्तीय वर्ष की बकाया राशि 55 करोड़ रुपए के भुगतान का न होना बताया गया है.

क्यों रोकी गई RT-PCR जांच?

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कोविड शुरू होने के बाद से IMS-BHU के माइक्रोबायोलॉजी विभाग और वीआरडीएल लैब में RT-PCR मशीनें लगाईं गई थीं. हम लोग तकरीबन 10,000 से ज्यादा टेस्ट कर रहे थे. लेकिन आर्थिक सहयोग कम था. पिछले वित्तीय वर्ष में 45 करोड़ रुपए खर्च हुए जिनमें से केवल 5 करोड़ रुपए मिले. इस वित्तीय वर्ष 15 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं और पूरा बकाया पेंडिंग है. राॅ मटेरियल सप्लाई करने वाले वेंडर्स का हम भुगतान नहीं कर पा रहें हैं. जैसे ही हमारे पास फंड आएंगे तो हम अपनी प्रक्रिया दोबारा चालू कर पाएंगे. सिर्फ BHU अस्पताल में आने वाले लोगों का ही RT-PCR टेस्ट किया जा रहा है. लेकिन वाराणसी के अन्य अस्पतालों में भर्ती और अन्य 7 जिलों चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, भदोही, मऊ और आजमगढ़ के लोगों का कोरोना टेस्ट नहीं किया जा रहा है.

प्रो. के.के. गुप्ता, सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक

“फंड के लिए कहीं से नहीं मिला आश्वासन”

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प्रो. के.के. गुप्ता ने आगे बताया, “स्टेट पॉलिसी के तहत फंड मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा न होने पर प्रतिबंध लगाया गया है. कोविड जांच 50% से भी कम कर दी गई है. सरकार और अन्य संभावित एजेंसी को फंड के लिए लिखा जा रहा है, लेकिन कहीं से अभी तक आश्वासन नहीं मिला है. हमारी अथॉरिटी ने आदेश दिया है कि सिर्फ BHU अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की ही जांच की जाए.”

रिपोर्ट: रौशन जायसवाल

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