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सहारनपुर में डिलीवरी के बाद क्रिटिकल महिलाओं के लिए बनी लैक्टेटिंग मैनेजमेंट यूनिट, 6 घंटे तक मां का दूध रहेगा सुरक्षित

राहुल कुमार

सहारनपुर के जिला महिला अस्पताल में 'लैक्टेटिंग मैनेजमेंट यूनिट' की शुरुआत हुई है. यह नई सुविधा उन माताओं के लिए है जो गंभीर हालत में होने के कारण अपने नवजात शिशुओं को दूध नहीं पिला पातीं. जानें कैसे यह यूनिट मां के दूध को स्टोर करके बच्चों की जान बचाएगी.

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Lactation Management Unit
Saharanpur Lactation Management Unit
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Saharanpur News: सहारनपुर के जिला महिला अस्पताल में लैक्टेटिंग मैनेजमेंट यूनिट के नाम से एक नई सुविधा शुरू की गई है. इस यूनिट की शुरुआत खासतौर पर उन महिलाओं के लिए की गई है, जो डिलीवरी के बाद क्रिटिकल कंडीशन में होती हैं और खुद अपने बच्चों को दूध नहीं पिला पातीं. अक्सर ऐसे मामलों में बच्चे एसएनसीयू यानी स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में रखे जाते हैं और मां-बच्चे के बीच सीधा संपर्क नहीं हो पाता है. इस वजह से नवजात शिशुओं को मां का दूध समय पर नहीं मिल पाता और उनकी सेहत पर असर पड़ता है. इसी समस्या का समाधान निकालते हुए जिला महिला अस्पताल में यह नई व्यवस्था शुरू की गई है. 

इस यूनिट में ऐसी व्यवस्था की गई है कि मां का दूध निकालकर सुरक्षित तरीके से स्टोर किया जा सके. दूध को मशीन के माध्यम से एकत्र कर विशेष तापमान पर रखा जाता है. स्टोर किए गए दूध को छह घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकता है. जब भी बच्चे को दूध की आवश्यकता होती है, तो स्टोर किए गए दूध को सही समय पर उसे पिला दिया जाता है. इससे उन नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध हो पाता है, जिनकी माताएं गंभीर हालत के कारण सीधे दूध पिलाने में असमर्थ होती हैं. 

अस्पताल की CMS डॉ. इंदिरा सिंह ने बताया कि यूनिट की शुरुआत कर दी गई है. हालांकि अभी इसे पूरी तरह चालू करने के लिए दो काउंसलरों की नियुक्ति बाकी है. जैसे ही काउंसलर मिल जाएंगे, यह सेवा पूरी क्षमता के साथ शुरू कर दी जाएगी. काउंसलर माताओं को सही मार्गदर्शन देंगे कि दूध को सुरक्षित तरीके से कैसे स्टोर करना है और बच्चों को कब देना है. 

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इस सुविधा से बच्चों की सेहत और उनके इलाज में काफी मदद मिलेगी. डॉक्टरों का मानना है कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है और इसमें वह सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शिशु के विकास के लिए जरूरी हैं. अब तक जिन बच्चों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता था, उन्हें कृत्रिम दूध या अन्य विकल्पों पर निर्भर रहना पड़ता था. मगर अब जिला महिला चिकित्सालय में शुरू की गई इस यूनिट के माध्यम से बच्चों को समय पर मां का दूध उपलब्ध होगा. अस्पताल प्रशासन का मानना है कि आने वाले समय में इस सुविधा का विस्तार कर और भी बेहतर व्यवस्था की जाएगी.

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