बहराइच के भेड़ियों का 'बदलापुर'! कहीं अपने बच्चों के मारे जाने का बदला तो नहीं ले रहे ये आदमखोर?
Bahraich Wolf Attack: बहराइच में भेड़ियों का आतंक लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है. आदमखोर भेड़ियों के हमलों ने कई ग्रामीणों की जान ले ली है, जिससे गांवों में भय का माहौल है.
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Bahraich Wolf Attack: बहराइच में भेड़ियों का आतंक लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है. आदमखोर भेड़ियों के हमलों ने कई ग्रामीणों की जान ले ली है, जिससे गांवों में भय का माहौल है. लोग रात के समय घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं और अपने पशुओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. भेड़ियों का हमला इतना अचानक और तेज होता है कि ग्रामीणों के पास बचाव का समय नहीं रहता. प्रशासन ने इन हमलों को रोकने के लिए वन विभाग की टीमों को सक्रिय किया है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि शर्मीले स्वभाव का माने जाने वाला भेड़िया आखिर इंसानों का जीवन क्यों लील रहा है? वाह जानने के लिए खबर को आगे विस्तार से पढ़िए.
क्या बदला लेने के लिए हमला कर रहे भेड़िए?
पीटीआई भाषा से बातचीत में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी और बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वन अधिकारी रह चुके ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि भेड़ियों में बदला लेने की प्रवृत्ति होती है और पहले कभी इंसानों द्वारा उनके बच्चों को किसी ने किसी तरह की हानि पहुंचाई गई होगी, जिसके बदले अब वे हमला कर रहे हैं.
अपने अनुभव को साझा करते हुए सिंह ने कहा, "20-25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ जिलों में सई नदी के कछार में भेड़ियों के हमलों में 50 से अधिक इंसानी बच्चों की मौत हुई थी. पड़ताल करने पर पता चला था कि कुछ बच्चों ने भेड़ियों की एक मांद में घुसकर उनके दो बच्चों को मार डाला था. भेड़िया बदला लेता है और इसीलिए उनके हमले में इंसानों के 50 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई. बहराइच में भी कुछ ऐसा ही मामला लगता है."
जनवरी-फरवरी में बहराइच में क्या हुआ था?
ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया, "इसी साल जनवरी-फरवरी माह में बहराइच में भेड़ियों के दो बच्चे किसी ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए थे. तब उग्र हुए भेड़ियों ने हमले शुरू किए तो हमलावर भेड़ियों को पकड़कर 40-50 किलोमीटर दूर बहराइच के ही चकिया जंगल में छोड़ दिया गया. संभवतः यहीं थोड़ी गलती हुई. चकिया जंगल में भेड़ियों के लिए प्राकृतिक वास नहीं है. ज्यादा संभावना यही है कि यही भेड़िए चकिया से वापस घाघरा नदी के किनारे अपनी मांद के पास लौट आए हों और बदला लेने के लिए हमलों को अंजाम दे रहे हों."
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