1991 में की PHD, 3 दशक के इंतजार के बाद भी नहीं हुई अवॉर्ड, मौत के बाद आया ये फैसला
एक शख्स ताउम्र अपनी पीएचडी की उपाधि के लिए तरसता रहा. उसने केस भी दर्ज कराया. केस में फैसला भी आ गया. लेकिन अफसोस इस…
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एक शख्स ताउम्र अपनी पीएचडी की उपाधि के लिए तरसता रहा. उसने केस भी दर्ज कराया. केस में फैसला भी आ गया. लेकिन अफसोस इस फैसले को जानने के लिए वो शख्स अब इस दुनिया में नहीं है. यह मामला साल 1991 से जुड़ा है. बताया जा रहा है कि साल 1991 में आनंद शर्मा नामक शख्स ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से पीएचडी की थी, लेकिन साल 2021 तक विश्वविद्यालय प्रशासन आनंद शर्मा को उपाधि नहीं दे पाया.
इस मामले में आनंद शर्मा के वकील लक्ष्मी चंद बंसल ने बताया कि आनंद शर्मा ने अपनी डिग्री पाने के लिए वर्ष 2018 में न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई थी और अब 3 साल बाद स्थाई लोक अदालत ने फैसला सुनाया है. उन्होंने बताया कि अदालत ने आनंद शर्मा के पक्ष में फैसला सुनाया है.
अदालत ने क्या फैसला सुनाया?
मामले की सुनवाई करने के बाद स्थाई लोक अदालत ने विश्वविद्यालय पर दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही ये आदेश भी दिया है कि अगर 60 दिनों के अंदर विश्वविद्यालय ने तय जुर्माना नहीं भरा तो विश्वविद्यालय प्रशासन को छह प्रतिशत का अतिरिक्त चार्ज भी देना होगा. बताया जा रहा है कि कोरोना काल मे आनंद शर्मा का निधन हो गया था.
मिली जानकारी के अनुसार, पीएचडी ना मिलने के कारण आनंद शर्मा 8000 रुपए की नौकरी करते रहे. आनंद शर्मा ने इस मामले में आरटीआई भी डाली थी लेकिन न तो उन्हें आरटीआई का जवाब मिला और न ही उपाधि.
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