1994 में हुए रेप के बाद प्रेगनेंट हुई 13 साल की किशोरी, तब पैदा हुए बेटे ने अब दिलाया इंसाफ!

विनय पांडेय

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर कोर्ट से 30 साल बाद एक महिला को न्याय मिला है. मामला साल 1994 का है, जब दो युवकों ने 12 साल की किशोरी के साथ दुष्कर्म किया.पीड़िता ने अपने बेटे के कहने पर 3 साल पहले कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें डीएनए मैच होने के बाद अब जाकर फैसला आया है.

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उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर कोर्ट से 30 साल बाद एक महिला को न्याय मिला है. मामला साल 1994 का है, जब दो युवकों ने 12 साल की किशोरी के साथ दुष्कर्म किया. इस दौरान 13 साल की किशोरी बिना ब्याही मां बन गई. पीड़िता ने अपने बेटे के कहने पर 3 साल पहले कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें डीएनए मैच होने के बाद अब जाकर फैसला आया है. इस मामले में अपर जिला जज ने दोनों अभियुक्तों को 10-10 साल के साश्रम कारावास की सजा सुनाई है.

क्या है पूरा मामला?

यह मामला है 1994 का है. जब पीड़िता अपने बहनोई के घर पर रहती थी. मिली जानकारी के मुताबिक, जब पीड़िता की बहन और बहनोई अपनी नौकरी पर चले जाते थे तब आरोपी नकी हसन और उसका भाई गुड्डू उससे घर मे घुसकर पीड़िता का शारीरिक शोषण करते थे. दोनों की हैवानियत के कारण उसे बिन ब्याही मां बनना पड़ा. वहीं इसके बाद 13 साल की उम्र में पीड़िता ने नवजात बेटे को दूसरों के हाथ सौंप कर कुछ समय बाद शादी कर ली. हालांकि जब इस बात का पता उसके पति को चला तो उसने भी  पीड़िता का साथ छोड़ दिया.

27 साल बाद कोर्ट में लगाई गुहार

इस बात को 27 साल बीतने के बाद पीड़िता ने अपने बेटे के कहने पर न्याय के लिए कोर्ट में गुहार लगाई. तब जाकर कोर्ट आदेश पर थाना सदर बाजार में 5 मार्च 2021 को एफआई आर दर्ज हुई. वहीं 3 साल की सुनवाई के बाद पर सत्र न्यायाधीश लवी यादव ने दोषी नकी हसन और उसके भाई गुड्डू को 10-10 वर्ष के साश्रम कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ ही 20 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया.

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इस मामले में एसपी ग्रामीण मनोज अवस्थी का कहना है कि '30 साल पुराने इस प्रकरण में 3 साल पहले एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें डीएनए मैच होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. अब जाकर इस मामले में कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को सजा सुनाई है.'
 

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