मशहूर हॉकी खिलाड़ी रहे केडी सिंह बाबू की हवेली सील, अब होगी नीलामी, जानिए क्या है पूरा विवाद
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भारतीय हाकी टीम के इंटरनेशनल खिलाड़ी रहे केडी सिंह बाबू की मशहूर हवेली को सील कर दिया गया है.
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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भारतीय हाकी टीम के इंटरनेशनल खिलाड़ी रहे केडी सिंह बाबू की मशहूर हवेली को सील कर दिया गया है. पारिवारिक विवाद होने की वजह से ये हवेली कोर्ट के आदेश पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सील की गई है. मौके पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में कोर्ट के अधिकारियों ने इसे सीज किया है. बता दें कि स्वर्गीय केडी सिंह बाबू का पूरा नाम कुंवर दिग्विजय सिंह था. उनकी ये हवेली अपनी शान शौकत के लिए जिले में मशहूर थी. यहां कभी केडी सिंह बाबू के सम्मान में इंटरनेशनल खिलाड़ियों के साथ के देश बड़े नेताओं का जमवाड़ा हुआ करता था लेकिन आज ये हवेली वीरान है.
कौन थे केडी सिंह बाबू
कुंवर दिग्विजय सिंह भारत के एक महान हॉकी खिलाड़ी थे. वे 'बाबू' के नाम से प्रसिद्ध थे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हुआ था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद केडी सिंह बाबू भारतीय हाकी टीम के सदस्य के रूप में श्रीलंका गए और फिर पूर्वी अफ्रीका. जहां पर मेजर ध्यान चंद के नेतृत्व में टीम ने कुल 200 गोल किए. जिसमें सर्वाधिक 70 गोल बाबू के थे. भारत में हॉकी में मेजर ध्यान चंद के साथ केडी सिंह 'बाबू' का नाम भी काफी बड़ा है.
क्या है पूरा विवाद
वहीं केडी सिंह बाबू के भतीजे राघवेंद्र सिंह ने बताया कि, 'ये हवेली 1910 में हमारे दादा ने बनवाई थी. हमारे पिता जी 6 भाई थे. हम हॉकी प्लेयर केडी सिंह जी के भतीजे है. हम भाईयों में तय हुआ की सब बाहर रह रहे हैं, इसलिए ये प्रॉपर्टी बेच दी जाए. लेकिन हमारे ताऊ के बहू बीना सिंह की वजह से ये ये हवेली विवादों में रही. जिसके चलते कोर्ट केस हुआ और ये प्रॉपर्टी आज सील हो गई है. अब कोर्ट से सील होने के बाद ये प्रॉपर्टी की नीलामी होगी और आपस में इसका पैसा बटेगा. ' बता दें कि ये फैसला जज जीशान मसूद की कोर्ट ने दिया है. वहीं इसमें चलने वाला स्कूल भी एग्जाम होने के बाद हटा दिया जाएगा.
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वक्फ बोर्ड ने भी किया ये दावा
इस बीच सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुतावल्ली इनाम अली ने कहा कि, 'ये प्रॉपर्टी 2 बीघे 14 बिस्वा है और ये वक्फ की संपत्ति है. इसे जिसे केडी सिंह के पिता को 1910 में पट्टा किया गया था. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ में ये संपत्ति दर्ज है. इनसे 30 रुपये सालाना किराया भी लिया जाता था. ये वक्फ संपत्ति बिक नहीं सकती है. वहीं, जब इस संबंध में स्वर्गीय केडी सिंह बाबू के भतीजे राघवेंद्र सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया की ये वक्फ संपति नहीं है.'
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