Agra Metro: आगरा पहुंची मेट्रो ट्रेन, एक नहीं कई हैं इसकी खासियत! जानिए कब पटरी पर दौड़ेगी

अरविंद शर्मा

Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में सोमवार को एक गजब नजारा देखने को मिला. यहां आज ट्रॉला में लादकर मेट्रो ट्रेन के डिब्बे लाए…

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Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में सोमवार को एक गजब नजारा देखने को मिला. यहां आज ट्रॉला में लादकर मेट्रो ट्रेन के डिब्बे लाए गए. मेट्रो ट्रेन के आगरा आने के बाद सबसे पहले पूजा अर्चना की गई. इसके बाद मेट्रो ट्रेन के डिब्बे को ट्रॉला से नीचे उतारा गया. मेट्रो ट्रेन का इंजन मेक इन इंडिया है और गुजरात मे तैयार किया गया है. यह ट्रेन आगरा में बनाई जा रही मेट्रो रेल पटरियों पर दौड़ेगी. अत्याधुनिक मेट्रो ट्रेन पूर्ण रूप से स्वचालित ट्रेन है. लखनऊ और कानपुर के बाद मेट्रो की पहली रेक आगरा पहुंच गई है.

फरवरी 2024 में पटरियों पर दौड़ेगी आगरा मेट्र्रो!

फरवरी, 2024 में मेट्रो ट्रेन लोगों को आंखों के सामने पटरियों पर दौड़ती दिखाई दे सकती है. यूपी मेट्रो के एमडी ने बताया कि आगरा मेट्रो में कई विशेषताएं होंगी. मेट्रो ट्रेन में एक बार में 974 यात्री सफर कर सकेंगे. साथ ही ट्रेनों की रफ्तार 80-90 किमी प्रति घंटा तक होगी. आगरा मेट्रो ट्रेनें आधुनिक फायर और क्रैश सेफ्टी युक्त डिजाइन की हैं. प्रत्येक मेट्रो ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे, इससे घटना का बचाव करने में सहायता मिलेगी. इनकी फुटेज ट्रेन ऑपरेटर और डिपो में बने सिक्योरिटी रूम में पहुंचेगी.

ये सब होंगी ट्रेन में सुविधाएं

आपको बता दें कि प्रत्येक ट्रेन में 56 यूएसबी चार्जिंग पॉइंट और 36 एलसीडी पैनल्स भी होंगे. मेट्रो ट्रेनों में टॉक-बैक बटन की सुविधा भी दी गई है, जिससे इमरजेंसी कंडीशन में यात्री ट्रेन आपरेटर से बात कर सकें. आटोमेटिक ट्रेन (Automatic Metro Train) ऑपरेशन के तहत ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलेंगी. वायु प्रदूषण कम करने के लिए ट्रेनों में मॉर्डन प्रापल्सन सिस्टम होगा. सभी ट्रेनों को रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस किया गया है. ताकि ब्रेक लगाए जाने से उत्सर्जित 45 फीसद ऊर्जा को फिर से इस्तेमाल किया जा सके. ट्रेनों में कार्बन-डाई-ऑक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम भी दिया गया है, जो ट्रेन में मौजूद यात्रियों की संख्या के हिसाब से चलेगा और ऊर्जा की बचत करेगा. मेट्रो का बुनियादी ढांचा बेहतर और सुंदर दिखाई दे इसके लिए मेट्रो ट्रेनें तीसरी रेल से ऊर्जा प्राप्त करेंगी, ताकि इसमें खंभों और तारों के सेटअप की आवश्यकता न पड़े.

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