लंपी वायरस के बाद इटावा में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कहर, सैकड़ों सुअर काल के गाल में समाए

अमित तिवारी

Etawah News: इटावा में लंपी वायरस की स्तिथि को देखते हुए जिला प्रशासन लगातार पशुओं में वैक्सीनेशन करवा रहा है. वहीं दूसरी तरफ जनपद में…

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Etawah News: इटावा में लंपी वायरस की स्तिथि को देखते हुए जिला प्रशासन लगातार पशुओं में वैक्सीनेशन करवा रहा है. वहीं दूसरी तरफ जनपद में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने सैकड़ों सुअरों की जान ले ली है. जनपद की तहसीलों में बड़ी तादाद में सुअर इस विचित्र बुखार से काल के गाल में समा गए हैं. उत्तर प्रदेश के कई जनपद इससे प्रभावित हैं.

क्या हैं अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण?

मिली जानकारी के अनुसार, इसमें बुखार आने पर 80% मृत्यु की संभावना रहती है. इसके बचाव के लिए साफ सफाई की आवश्यकता है. लक्षणों में खासतौर से शरीर का तापमान बहुत अधिक होता है सांस बहुत तेज चलने लगती है. खाना पीना छूट जाता है. दो-तीन दिनों में ही मृत्यु हो जाती है. इटावा जनपद में सन 2019 की गणना के अनुसार 4029 सुअर हैं. इस बीमारी से निजात पाने के लिए जिला प्रशासन ने सरकार से वैक्सीन के लिए डिमांड की है.

पंसारी टोला के निवासी रमेश बाल्मीकि ने बताया कि, “लगभग 300 सुअरों की मौत हो गई है. सुअरों को बहुत तेज बुखार आता है, वे नीले पड़ जाते हैं, मुंह से झाग आता है और झट से मौत हो जाती है. हम सुअरों को कुछ दवाइयां भी देते रहे, लेकिन किसी भी दवा से कोई आराम नहीं मिला. मेरे अकेले के लगभग 20 लाख रुपये के सूअर मरे हैं. मेरा बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है. हम अपने परिवार का पालन पोषण सूअरों को पालकर उसकी बिक्री करके ही करते थे. मेरे भाई के और परिवार के लोगों के भी बहुत अधिक सूअरों की मृत्यु हुई है.”

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इटावा के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया,

एसडीएम जसवंतनगर की सूचना पर हम पहुंचे तो हमने देखा कि सुअरों में बीमारी फैल गई है. कुछ मोहल्ले मैंने चेक किए, कुछ सूअर बीमार मिले. तीन डॉक्टरों की टीम ने चेक किया. 35 सूअरों के लिए दवाई भी वितरित की, इन सभी को अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण थे. इससे मनुष्य में कोई खतरा नहीं है. इससे केवल सूअरों की ही प्रजाति प्रभावित होती है. यह बीमारी सूअरों में बहुत जल्दी फैलती है. यूपी के कई जिलों में यह बीमारी फैली हुई है, वहां से होती हुई इटावा में आई है.”

डॉक्टर एन के गौतम

उन्होंने आगे कहा, “लक्ष्मण के तौर पर इसमें सूअरों को तेज बुखार होता है. सांस तेज चलती है. सूअर जल्दी-जल्दी सांस लेता है, खाना पीना छोड़ देता है, प्रारंभिक लक्षण यही होते हैं. उसकी जल्द दो दिन में मृत्यु हो जाती है. इसकी वैक्सीन आती है. प्रोटोकॉल के अनुसार बीमारी में वैक्सीन नहीं प्रयोग की जाती है. वैक्सीन की डिमांड की है. उच्चधिकारियों से अनुरोध किया है कि जहां बीमारी नहीं है वहां वैक्सीन लगाकर सुरक्षा की जा सके.”

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