लखनऊ में दलित समाज के लोगों के घर चल रहा था बुलडोजर, चंद्रशेखर की पार्टी के लोग पहुंचे और फिर ये हुआ

आशीष श्रीवास्तव

लखनऊ के बंदरिया बाग इलाके में रेलवे की जमीन पर बसे सैकड़ों दलित समाज के घरों को तोड़ने की कार्रवाई मंगलवार को रोक दी गई. रेलवे प्रशासन की ओर से इन घरों को खाली कराने के लिए नोटिस जारी किया गया था.

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लखनऊ के बंदरिया बाग इलाके में रेलवे की जमीन पर बसे सैकड़ों दलित समाज के घरों को तोड़ने की कार्रवाई मंगलवार को रोक दी गई. रेलवे प्रशासन की ओर से इन घरों को खाली कराने के लिए नोटिस जारी किया गया था. लेकिन जैसे ही बुलडोजर चलाने की प्रक्रिया शुरू हुई वैसे ही मौके पर चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता पहुंच गए. उन्होंने प्रशासन को बुलडोजर रोकने पर मजबूर कर दिया.

आजाद समाज पार्टी ने दिया कड़ा संदेश

घटनास्थल पर पहुंचे चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के नेताओं ने बुलडोजर रोकते हुए प्रशासन को चेतावनी दी. एक वायरल वीडियो में नेता कह रहे हैं, 'चलाओ बुलडोजर, देखें कैसे चलाते हो. वोट लेने के लिए बड़े-बड़े नेता यहां आते हैं.... जिसने भी लाठीचार्ज किया, याद रखना 60 साल नौकरी करनी पड़ती है.गलती से चंद्रशेखर आजाद या हम जैसे सरफिरे आ गये इलाज होगा याद रखना.'

250 से अधिक मकानों पर खतरा

बंदरिया बाग के रेलवे किनारे लगभग 250 से ज्यादा घर हैं, जिनमें दलित समाज के लोग सालों से रह रहे हैं. प्रशासन ने इन घरों को अवैध बताते हुए इन्हें हटाने का आदेश दिया था. 16 जनवरी को बुलडोजर कार्रवाई शुरू की गई, लेकिन आजाद समाज पार्टी के हस्तक्षेप के बाद यह रोक दी गई.

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आजाद समाज पार्टी के नेताओं ने रेलवे और जिला प्रशासन से स्पष्ट मांग की है कि जब तक इन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना या अन्य किसी योजना के तहत पुनर्वास नहीं किया जाता, तब तक किसी भी घर को तोड़ा न जाए.

 

 

प्रशासन का आश्वासन

घटनास्थल पर प्रशासनिक अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि पुनर्वास की प्रक्रिया के बिना किसी को बेघर नहीं किया जाएगा. फिलहाल बुलडोजर की कार्रवाई को रोक दिया गया है. लेकिन रेलवे प्रशासन और प्रभावित परिवारों के बीच विवाद जारी है.

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