नोएडा के ट्विन टावर तो गिराए जा रहे हैं, लेकिन इनमें फ्लैट खरीदने वालों का क्या हुआ? जानिए

राम किंकर सिंह

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नोएडा सेक्टर 93A स्थित सुपरटेक ट्विन टावरों को 28 अगस्त को गिरा दिया जाएगा. देश में ऐसा पहली बार होगा जब कोई 32 मंजिला इमारत ध्वस्त की जाएगी. अब सबकी निगाहें इस डिमॉलिशन पर टिकी हैं, जिसके लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की गई हैं. पर एक सवाल यह भी है कि इन टावरों में फ्लैट खरीदने वालों का क्या हुआ. इनकी दास्तां दुखभरी है. आने वाले रविवार को यहां सिर्फ टावर ध्वस्त नहीं होंगे बल्कि हजारों ख्वाहिशें भी टूटेंगी. नोएडा के इन मशहूर टावरों से छले गए लोगों की कहानी दर्दनाक. आशियाना दिलाने के नाम पर ऐसे बुजुर्ग निवेशक भी ठगी का शिकार हुए, जो कैंसर से पीड़ित हैं.

ठगी का दौर जारी रहा

ऐसी ही एक कहानी केके मित्तल की है. पेशे से चार्टड अकाउंटेंट मित्तल फिलहाल पुणे में हैं और वह ट्विन टावर में बुक किए गए अपने फ्लैट का पूरा भुगतान 2009 में ही कर चुके हैं. यहीं से उनके जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई की भी शुरुआत होती है. 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टावर को गिराने का आदेश देते हुए खरीदारों को 14 फीसदी की दर से ब्याज और मुआवजा देने को भी कहा था. इसके बाद बिल्डर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और वहां से स्टे लेकर चले आए. इसके बाद खरीदारों ने अपना पैसा वापस करने या नए फ्लैट दिए जाने के लिए आवेदन किया. इसके बदले में सुपरटेक बिल्डर ने फ्लैट भी अलॉट कर दिया.

मित्तल बताते हैं कि नोएडा के सेक्टर 34 स्थित Azor हाइट में उन्हें फ्लैट देते हुए बिल्डर ने बाताया कि यह अप्रूव प्रोजेक्ट है. बिल्डर ने उन्हें भरोसा दिया कि इस प्रोजेक्ट को नोएडा प्राधिकरण से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) भी मिला है. इस प्रोजेक्ट में 23वें फ्लोर पर फ्लैट मिलने के बाद मित्तल को लगा कि अब उनकी समस्याएं खत्महो गईं पर ऐसा हुआ नहीं. उन्हें पता चला कि यह फ्लैट भी अवैध है. लोगों ने बिना OC के ही टावरों पर कब्जा कर रखा है. इन फ्लैटों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा था. खरीदार बीच में ही लटके रहे. न तो फ्लैट पंजीकृत हुए और न ही इसे बेचा जा सकता था. उन्होंने इसके लिए आवेदन किया, लेकिन बिल्डर तबतक नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में चला गया.

मित्तल ने सूचना के अधिकार के तहत कई याचिकाएं लगाकर नोएडा अथॉरिटी से फ्लैट के OC के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन जवाब बेतुका मिला. हालांकि अथॉरिटी और बिल्डर, दोनों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से कड़ी फटकार मिली, लेकिन खरीदार अभी भी अपनी पूंजी को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मित्तल कहते हैं कि नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए.

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कुछ को पैसा वापस मिला लेकिन हजारों कोशिशों के बाद

केके मित्तल की तरह पंकज कौशिक ने भी सियान और एपेक्स टावरों (ट्विन टावर) में फ्लैट बुक कराया था. आईबीएस की टेक्निकल सर्विस के टीम लीडर पंकज को 2016 में रीफंड मिल गया. हालांकि दोनों फ्लैटों की राशि वापस मिलने की राह उनके लिए इतनी आसान नहीं रही. पंकज बताते हैं कि 2014 से 2016 के बीच में इसके लिए हजारों प्रयास हुए. हालात ऐसे भी बने जब ईएमआई तक देने की स्थिति नहीं रही. कुछ लोगों को कोर्ट में केस करना पड़ा और वकीलों को इसके एवज में अच्छी फीस देनी पड़ी.

कई खरीदारों को अब भी नहीं मिला पैसा

ट्विन टावरों के नाम पर धोखा खाने वालों में कई सेना के अधिकारी, जवान, चार्टड अकाउंटेंट, बिजनेसमैन, एमएनसी के अधिकारी भी शामिल हैं. सियाचीन में पोस्टेड लोगों ने भी यहां अपने घर का सपना देखा. पंकज ने वॉट्सऐप और सोशल मीडिया के माध्यम से देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे लोगों के साथ संपर्क किया, जिनके साथ धोखाधड़ी हुई. वॉट्सऐप ग्रुप बनाए गए. साथ में कागजी कार्रवाई पूरी की गई. लोग अपनी लड़ाई लड़ने के लिए एकजुट हुए. पंकज कौशिक कहते हैं कि अब जब इन टावरों को गिराया जा रहा है, तो यह भ्रष्टाचारियों के लिए एक कड़ा संदेश होगा.

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