1971 में रिटायर्ड कर्नल अशोक तारा ने यूं बचाई थी Sheikh Hasina की जान, उस दिन की पूरी कहानी जानिए
बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया है. इस बीच पूरे बांग्लादेश में हिंसा जारी है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देकर भारत में आकर शरण ली हुई है. इस बीच भारत में भी कई ऐसे लोग हैं, जो बांग्लादेश के इन हालातों पर दुखी हैं. बांग्लादेश को आजाद करने में भारतीय सेना का बड़ा योगदान रहा है.
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बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया है. इस बीच पूरे बांग्लादेश में हिंसा जारी है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देकर भारत में आकर शरण ली हुई है. इस बीच भारत में भी कई ऐसे लोग हैं, जो बांग्लादेश के इन हालातों पर दुखी हैं. बांग्लादेश को आजाद करने में भारतीय सेना का बड़ा योगदान रहा है. ऐसे ही सेना के रिटायर्ड कर्नल अशोक तारा हैं, जिन्होंने बांग्लादेश के आजादी में अहम भूमिका निभाई थी. कर्नल (सेवानिवृत) तारा ने अपनी जान दांव पर लगाकर शेख हसीना के परिवार को पाकिस्तानी फौजियों से बचाया था.
दरअसल, बांग्लादेश की आजादी को लेकर जब भारतीय सेना बंगलादेश में उतरी, तब कर्नल (सेवानिवृत्त) अशोक तारा की पोस्टिंग अगरतला में थी. ऑर्डर मिलने के बाद कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा भी बॉर्डर पार कर बांग्लादेश यानी तब के पाकिस्तान में घुस गए. ढाका में पहुंचने पर कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा को पता चला कि पाकिस्तान की फौज ने शेख मुजीबुर्रहमान के परिवार को बंधक बना रखा है. तब अपनी जान की परवाह किए बिना कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा शेख के घर के बाहर पहुंचे और पाकिस्तानी फौजियों को किसी तरह सरेंडर करवाया. इस दौरान पाकिस्तानी फौजियों ने कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा पर गोली भी चलाई. हालांकि वह बच गए.
कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा बताते हैं कि साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के दौरान उन्होंने दो जवानों के साथ ढाका में शेख हसीना के परिवार को बचाने में अपनी जान दांव पर लगा दी थी. उन्हें वर्ष 2012 में बांग्लादेश का सबसे बड़ा पुरस्कार फ्रेंड्स ऑफ लिबरेशन वॉर ऑनर्स मिल चुका है. अशोक तारा, शांति के दौरान दिया जाने वाला सबसे बड़ा वीरता पदक अशोक चक्र से भी सम्मानित हैं.
पाकिस्तान की सेना ने शेख और उनके पूरे परिवार को बंधक बना रखा था. पाकिस्तानी सेना हथियारों से लैस थी. लगभग 25 मिनट तक उनका पाकिस्तानी जवानों से बातचीत चलती रही. बीच में पाक कमांडर ने फायरिंग का आदेश भी दिया, लेकिन वह डंटे रहे. पाकिस्तानी जवानों से उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया है. लेकिन उन्होंने वादा किया कि अगर वह भी समर्पण कर देते हैं, तो उन्हें मुख्यालय तक पहुंचा देंगे. जहां से वो अपने घर जा सकेंगे.
इस तरह पाकिस्तानी फौजियों ने अपने हथियार छोड़ समर्पण किया. जब कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा शेख के घर में घुसे तब उनकी पत्नी ने कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा को गले लगा लिया और कहा कि 'तुम मेरे बेटे हो, तुमने हमारी जान बचाई है.' तब शेख हसीना भी वहीं मौजूद थीं.
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कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा बताते हैं कि तब शेख हसीना के एक कजन बांग्लादेश का झंडा लेकर आते हैं और शेख हसीना को थमाकर कर कहते हैं कि बांग्लादेश आजाद हो गया है. शेख हसीना झंडा कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा को देती हैं और कहती हैं 'हमारे छत पर लगे पाकिस्तानी झंडे को हटाकर आप इस झंडे को लगा दीजिए.' कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा पाकिस्तानी झंडे को हटाकर आजाद बांग्लादेश का झंडा शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर लगा देते हैं.
शेख मुजीबुर्रहमान जब पाकिस्तान से आए तो उन्होंने कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा से मुलाकात की और फोटो खिंचवाकर उसे अपने घर पर लगाया. शेख ने कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा से कहा कि 'आप मेरे बेटे की तरह हो. ये फोटो हमेशा मेरे घर में रहेगी. आपने मेरे परिवार की जान बचाई है.'
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