नोएडा में कैसा था भूकंप का झटका, मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के 8वें फ्लोर पर रहने वाले UP Tak रिपोर्टर से जानिए

यूपी तक

नोएडा में शुक्रवार रात करीब 11:30 पर आया भूकंप काफी तेज था. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता चाहे जो बताए पर झटके ऐसे लगे की शरीर काफी देर तक कांपता रहा.

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Earthquake in Noida: नोएडा में शुक्रवार रात करीब 11:30 पर आया भूकंप काफी तेज था. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता चाहे जो बताए पर झटके ऐसे लगे की शरीर काफी देर तक कांपता रहा. इस भूकंप की कहानी सुनाने से पहले आपको अपना परिचय दे दूं. मैं अमीश हूं और यूपी Tak की टीम का हिस्सा हूं. मैं ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक सोसाइटी में आठवें फ्लोर पर रहता हूं.

पिछले कुछ दिनों से वायरल इन्फेक्शन की चपेट में हूं तो अपने बेड से अलग मेरा बिस्तर जमीन पर लग रहा है. मेरी एक प्यारी सी बिटिया भी है जो करीब 16 महीने की है. वो सो चुकी थी, तो कमरे में शांति थी. बेटा स्वभाव से शांत है, तो हां कमरे में शांति थी.

मुझे लग रहा है कि मैं धीरे धीरे नींद में डूब रहा था. अचानक मुझे लगा कि मेरा शरीर तेजी से हिल रहा है. पहले मुझे लगा कि सपने में हूं. हिलना तेज हुआ तो मैंने पत्नी से ही पूछा, पारुल मेरा शरीर हिल रहा है या भूकंप आया है. वो नींद में जा चुकी थी. शरीर हिलने का डाउट इसलिए हुआ क्योंकि मुझे लगा कि कहीं पिछले दिनों का वायरल का प्रकोप कोई नया रंग तो नहीं दिखा रहा. खैर पत्नी झटके से उठी और बेडरूम का दरवाजा खोल बाहर निकली. वह बालकनी तक गई तब तक सोसायटी में शोर मच चुका था. लोग सीढ़ियों से नीचे उतर कर पार्क में जमा होना शुरू हो चुके थे.

सालों बाद मुझे किसी भूकंप का एहसास हुआ है. यकीन मानिए, नोएडा की बहुमंजिली इन इमारतों में भूकंप का एहसास होना बहुत डरावना है. क्योंकि मैं तो आठवीं मंजिल पर हूं, सोचिए इसी बिल्डिंग में लोग 24वें मंजिल पर भी हैं. अगर वो नीचे उतरना चाहें भी तो कैसे उतरेंगे?

भूकंप का यह एहसास नोएडा के एक नागरिक के तौर पर मेरे मन में कुछ सवाल छोड़ गया है. नोएडा की बहुमंजिली इमारतों में लिफ्ट की क्वॉलिटी का हाल किसी से छिपा नहीं है. हाल में कई हादसे हो चुके हैं. न जाने नोएडा के बिल्डर्स ने इमारत कितनी मजबूत बनाई हैं? मेरी सरकार से गुजारिश है कि इन इमारतों की क्वॉलिटी चेक कराएं. मुझे नहीं पता कि इसका कोई तरीका है भी या नहीं. पर ऐसा होना चाहिए, क्योंकि लगातार भूकंप की बढ़ती संख्या इमारतों को लेकर हमारे डर को बढ़ाती ही जा रही है.

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