देवरिया: प्राइवेट अस्पताल में आयुष्मान योजना में धांधली, ₹17 लाख से अधिक का फर्जी क्लेम

राम प्रताप सिंह

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आयुष्मान भारत योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सरकार द्वारा साल में पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है. गरीबों के लिए इस सुविधा को मुहैया कराने के नाम पर कई प्राइवेट अस्पतालों में फर्जी प्रकरण दिखाकर वसूली होती है. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से सामने आया है.

देवरिया जिले के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने 387 फर्जी प्रकरणों में 17 लाख 11 हजार 8 सौ रुपये का फर्जी क्लेम भुगतान करा लिया. तीन सदस्यीय जांच टीम द्वारा मामले की पुष्टि होने के बाद आयुष्मान भारत PMJAY, स्टेट हेल्थ एजेंसी द्वारा क्लेम ली गई रकम से दोगुनी यानी 34 लाख 23 हजार 6 सौ रुपये हॉस्पिटल से बतौर जुर्माना वसूला जाएगा.

दरअसल, देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील के रुद्रपुर कस्बे में आशुतोष हॉस्पिटल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापेमारी की गई, जहां पर संचालित अवैध अल्ट्रासाउंड मशीन पकड़ी गई थी. मामले में अस्पताल के डॉक्टर एसके त्रिपाठी के विरुद्ध कार्रवाई हुई थी. उसके बाद जांच के दौरान तमाम खामियां उजागर हुई थीं. इस दौरान एसीएमओ द्वारा जिलाधिकारी को अस्पताल की गड़बड़ियों की रिपोर्ट सौपी गयी थी, जिसमें आयुष्मान भारत योजना की बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी.

मामला गम्भीर होने पर डीएम ने अस्पताल की जांच की संस्तुति कर तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच कराई, जिसमें अपर जिलाधिकारी प्रशासन, सीएमओ और ट्रेजरी ऑफिसर शामिल थे. इनके द्वारा पूरे प्रकरण की जांच की गई, जिसमें 387 आयुष्मान योजना के तहत फर्जी केसेज में फर्जी तरीके से क्लेम लिया पाया गया.

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इस पूरी रिपोर्ट को डीएम देवरिया जेपी सिंह द्वारा आयुष्मान भारत PMJAY, स्टेट हेल्थ एजेंसी को भेजी गई, जिसके बाद इसके निदेशक डॉक्टर राजेन्द्र कुमार के तहत स्टेट इंपनेलमेंट कमेटी ने जांच रिपोर्ट के पूरे तथ्यों को देखा और प्रकरण को सही पाया.

अस्पताल के आयुष्मान कार्ड धारकों के इलाज कराने के रिकॉर्ड की जांच की गई. बहुत सारे मामले एक समान पाए गए. रिकॉर्ड में कूटरचित की गई थी. 387 ऐसे मामले थे, जो पूरी तरह फर्जी पाए गए और इन मामलों में सरकार से आशुतोष अस्पताल द्वारा 17 लाख 11 हजार 8 सौ रुपये का भुगतान प्राप्त कर लिया गया था.

आपको बता दें कि साधारण बीमारियों के इलाज के लिए आने वाले मरीजों से आशुतोष अस्पताल प्रशासन द्वारा यह जांच कराया जाता था कि उनके पास आयुष्मान कार्ड है या नहीं. अगर मरीज का आयुष्मान कार्ड रहता था तो उसे अस्पताल प्रशासन द्वारा जमा करा लिया जाता था. फिर उसी कार्ड के सहारे कथित तौर पर नकली बिल बनाकर अस्पताल प्रशासन द्वारा शासन से भुगतान के लिए दावा किया जाता था. इस प्रकार 387 फर्जी मामलों में 17 लाख 11 हजार 80 सौ रुपये का अस्पताल ने फर्जी भुगतान प्राप्त कर लिया था.

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इस मामले को लेकर देवरिया के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर सुरेंद्र सिंह ने बताया,

“आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार और स्टेट गवर्नमेंट की बहुत महत्वकांक्षी योजना है. इसमें 2011 के डाटा से जितने भी लाभार्थी हैं, उन सभी को पांच लाख रुपये तक हमारे इनपैनल हॉस्पिटल जो प्राइवेट हैं और गवर्नमेंट भी हैं, इसमें निशुल्क इलाज किए जाते हैं. इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य कार्ड भी है, उसके अनुसार भी पांच लाख रुपये तक लाभार्थियों को निशुल्क इलाज की सुविधा है.”

डॉक्टर सुरेंद्र सिंह

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डॉक्टर सुरेंद्र सिंह ने आगे बताया, “आशुतोष हॉस्पिटल में 1 साल पहले स्टेट हेल्थ एजेंसी द्वारा कुछ अनियमितता पकड़ी गई थी और उसके लिए जिलाधिकारी महोदय को पत्र द्वारा सूचित किया गया था. जिलाधिकारी महोदय ने एक जांच टीम बनाई, जिसमें एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अपर जिलाधिकारी प्रशासन और वरिष्ठ कोषाधिकारी को नामित किया गया. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों को सही पाया. रिपोर्ट जिलाधिकारी महोदय को दी दे गई. इसके बाद जिलाधिकारी महोदय ने उस रिपोर्ट को स्टेट हेल्थ एजेंसी को भेज दिया. उसके बाद यह कार्रवाई की गई है.”

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