अमेठी से राहुल गांधी की बजाय किशोरी लाल शर्मा को कांग्रेस ने क्यों दिया टिकट? इनसाइड स्टोरी
20 साल के बाद ऐसा पहली बार है, जब अमेठी से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरा है. राहुल गांधी अमेठी की जगह रायबरेली सीट क्यों चुना आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.
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Uttar Pradesh News : उतर प्रदेश के जिन दो सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के नामों पर सस्पेंस बना हुआ था, शुक्रवार को उसपर से पर्दा हट गया. रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी है, वहीं अमेठी से किशोरी लाल शर्मा (केएल शर्मा) को कांग्रेस अपना उम्मीदवार बनाया है. राहुल गांधी, वायनाड से पहले अमेठी के रास्ते ही देश की सबसे बड़ी पंचायत तक का रास्ता तय करते आए थे. 2019 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने पहले वायनाड से पर्चा दाखिल किया और अब रायबरेली से चुनावी मैदान में उतरे हैं.
अमेठी छोड़ रायबरेली की ओर
बता दें कि अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती है. गांधी परिवार का रिश्ता काफी पहले से इन दोनों सीटों से जुड़ गया था. 2004 से राहुल गांधी अमेठी से और सोनिया गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ रही थी. 20 साल के बाद ऐसा पहली बार है, जब अमेठी से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरा है. राहुल गांधी अमेठी की जगह रायबरेली सीट क्यों चुना आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.
केएल शर्मा पर गांधी परिवार को क्यों भरोसा
बता दें कि किशोरी लाल शर्मा का नाता गांधी परिवार से दशकों पुराना है. इंडिया टुडे के लिए अपने एक ओपिनियन आर्टिकल में राशिद किदवई ने बताया है कि, मूलरूप से लुधियाना के रहने वाले केएल शर्मा 1983 से गांधी परिवार से जुड़े हुए हैं. ये वो वक्त था जब राजीव गांधी ने अपने भाई संजय गांधी की मृत्यु के बाद अमेठी का प्रतिनिधित्व किया था. दिलचस्प बात यह है कि 2019 में अमेठी में राहुल गांधी की हार के लिए केएल शर्मा को ही दोषी ठहराया गया था. कांग्रेस के भीतर ही लोग उनपर हमलवर थे पर सोनिया और प्रियंका गांधी ने उनपर भरोसा बनाए रखा. वहीं शुक्रवार को अमेठी से केएल शर्मा ने नामांकन किया.
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राशिद किदवई के मुताबिक नामांकन से दो दिन पहले केएल शर्मा को सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर बुलाया गया था और तैयार रहने को कहा गया था. अमेठी से अपनी उम्मीदवारी की बात सुनकर केएल शर्मा ने खुशी जाहिर की और अनुरोध किया कि गांधी परिवार उनके लिए प्रचार करेगा अमेठी में प्रचार करेगा. जानकारी के मुताबिक गांधी परिवार की ओर से अमेठी में तीन रैली की वादा किया गया है. अमेठी के उम्मीदवार को लगता है कि प्रियंका, राहुल और सोनिया गांधी की मौजूदगी से उन्हें कांग्रेस के गढ़ में एक विश्वसनीय लड़ाई लड़ने में मदद मिलेगी.
प्रियंका गांधी कब लड़ेंगी चुनाव?
कांग्रेस के टिकट घोषित होने से पहले तक प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेजी से चल रही थी, लेकिन रायबरेली से राहुल और अमेठी से केएल शर्मा के नाम पर मुहर लगने के साथ ही सारे कयासों पर विराम लग गया. प्रियंका गांधी भले ही चुनाव न लड़ रही हो, लेकिन राहुल गांधी वायनाड सीट के बाद रायबरेली सीट से उतरकर बहन के लिए सियासी पिच तो नहीं तैयार कर रहे हैं? ऐसी भी जानकारी सामने आ रही है कि अगर राहुल वायनाड और रायबरेली दोनों जगहों से जीतते हैं तो प्रियंका गांधी, वायनाड से उपचुनाव में उतर सकती हैं. फिलहाल प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी को चुनाव के केंद्र में रखना चाहती हैं. प्रियंका गांधी की देशभर में कांग्रेस के लिए प्रचार करने के लिए मांग काफी है.
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