समय पर नहीं पहुंचा लेटर और मुरादाबाद उम्मीदवार बदलने में हो गया खेल...अखिलेश की चिट्ठी में बड़ा खुलासा
एक तरफ उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी में टिकट बदलने का सिलसिला जारी है.
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Lok Sabha Election 2024: एक तरफ उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी में टिकट बदलने का सिलसिला जारी है. सपा से मुरादाबाद में पहले मौजूदा सांसद एसटी हसन को टिकट मिला, फिर उनकी जगह रुचि वीरा को उतारने की बात हुई और उन्होंने नामांकन कर दिया. फिलहाल रुचिवीरा ही मुरादाबाद से सपा की उम्मीदवार हैं. वहीं अब अखिलेश यादव का एक पत्र सामने आया है, जिसमें खुलासा हुआ है कि मुरादबाद से सपा रुचिवीरा की जगह एसटी हसन को फिर से उम्मीदवार बनाना चाहती थी पर ऐसा हो ना सका.
अखिलेश की चिट्ठी में बड़ा खुलासा
अखिलेश यादव का जो पत्र सामने आया है वो 27 मार्च का है. बता दे कि 27 मार्च को मुरादाबाद लोकसभा सीट पर नामांकन का अंतिम दिन था. इसी दिन अखिलेश यादव की तरफ से रुचि वीरा का टिकिट काट कर एसटी हसन को देने के लिए समाजवादी पार्टी ने पत्र जारी किया था, जो समय पर मुरादाबाद नहीं पहुंच पाया और रुचि वीरा ही सपा की उम्मीदवार बनी. बता दें कि अखिलेश यादव अपने मर्जी के खिलाफ आजम खान की कहने पर रुचि वीरा को टिकिट दिया. हांलाकि सामने आए पत्र की माने तो सपा प्रमुख एक बार फिर रुचिवीरा का टिकट काट कर एसटी हसन को उम्मीदवार बनाना चाहते थे पर जो पत्र समय से मुरादाबाद पहुंच नहीं पाई और रुचि वीरा ही सपा की उम्मीदवार बन गई.
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सपा में मचा है घमासान
बता दें कि मुरादाबाद लोकसभा सीट पर सपा की ओर से पहले वर्तमान सांसद एसटी हसन ने नामांकन दाखिल कर दिया था, लेकिन आखिरी वक्त में उनका टिकट काट दिया गया. पार्टी ने एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को अपना उम्मीदवार बनाया. जानकारी के मुताबिक रूचि वीरा सपा के कद्दावर नेता आज़म खान के गुट में शामिल हैं. वहीं एसटी हसन को स्थानीय नेताओं और आज़म खान की नाराज़गी का सामना करना पड़ा है. ऐसा कहा जा रहा है कि आज़म खान मुरादाबाद सांसद एसटी हसन से खुश नहीं थे. एस टी हसन ने आज ही समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन किया था. लेकिन समाजवादी पार्टी के रामपुर इकाई ने सपा के खिलाफ ही बगावत का झंडा बुलंद कर दिया और अखिलेश यादव को मजबूर कर दिया कि वह मुरादाबाद का प्रत्याशी बदलें.
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