UP STF ने सिल्वर जुबली पर गैंगस्टर अनिल दुजाना को किया ढेर, अब इन 63 अपराधियों पर है नजर

संतोष शर्मा

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4 मई 1998 के दिन उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स यानी यूपी एसटीएफ की स्थापना की गई. एसटीएफ की स्थापना का लक्ष्य था कि वह यूपी में माफिया और संगठित अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. कल यानी 4 मई को यूपी एसटीएफ ने अपने 25 साल भी पूरे कर लिए और इसी दिन एसटीएफ ने यूपी के एक और गैंगस्टर अनिल दुजाना को भी एनकाउंटर में ढेर कर दिया. मेरठ में एसटीएफ और अनिल दुजाना के बीच गोलीबारी हुई और इस दौरान अनिल मारा गया. बता दें कि अनिल दुजाना के ऊपर 65 मामले दर्ज हैं.

यूपी एसटीएफ ने अपने 25 सालों के सफर में एक से एक दुर्दांत अपराधी का सामना किया, उनके खिलाफ कार्रवाई की और उन्हें एनकाउंटर में ढेर भी किया. श्री प्रकाश शुक्ला जैसे तमाम गैंगस्टर्स का सामना कर आज एसटीएफ अपराधियों में खौफ का नाम बन चुकी है. माना जाता है कि आज यूपी एसटीएफ का खौफ इतना है कि यूपी के बड़े-बड़े माफिया-अपराधी एसटीएफ के डर से जेल को ही ज्यादा सुरक्षित मानते हैं.

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अब यूपी के 63 माफिया पुलिस और एसटीएफ की रडार पर

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के 66 माफियाओं को चिन्हित किया गया था. इसमें से एक अनिल दुजाना भी था. इससे पहले माफिया अतीक अहमद और अशरफ की भी हत्या कर दी गई है. ऐसे में अब 66 माफियाओं की लिस्ट कम होकर 63 पर आ गई है. अब पुलिस और एसटीएफ की रडार पर 63 माफिया हैं.

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कौन-कौन है इस लिस्ट में शामिल

बता दें कि इस लिस्ट में यूपी के ऐसे-ऐसे माफियाओं और अपराधियों का नाम है, जिन्होंने हमेशा खुद को कानून से बड़ा माना. बता दें कि इस लिस्ट में शामिल मुख्तार अंसारी, सुनील राठी, सुंदर भाठी, बबलू श्रीवास्तव, खान मुबारक जैसे माफिया जेल में बंद हैं. तो वहीं 20 माफिया ऐसे भी हैं जो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

इस लिस्ट में 5 माफिया वह भी हैं जो पुलिस और एसटीएफ की पकड़ से फरार हैं. इनमें पश्चिमी यूपी का ढाई लाख का इनामी बदमाश बदन सिंह बद्दो, राशिद नसीम का नाम भी शामिल है. इसके साथ ही जो माफिया जमानत पर जेल से बाहर हैं, उनपर भी एसटीएफ और पुलिस सख्त नजर रख रही है. इनमें डॉन बृजेश सिंह और सुशील मूंछ जैसे माफियाओं का नाम शामिल है.

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गैंगस्टर और माफियाओं के लिए काल बना यूपी

बता दें कि यूपी में फिलहाल माफियाओं और गैंगस्टरों की उल्टी गिनती चालू हैं. आलम यह है कि या तो माफिया और गैंगस्टर एसटीएफ के हाथों एनकाउंटर में ढेर हो रहे हैं या वह खुद ही गैंगवार में मारे जा रहे हैं.

मालूम हो कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई थी. चित्रकूट जेल में मुकीम काला और अंशु दीक्षित की गैंगवार में मौत हो गई थी. हाल ही में माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस अभिरक्षा में हत्या कर दी गई थी. इसी बीच अनिल दुजाना का एनकाउंटर हो जाना, एसटीएफ का माफियाओं और गैंगस्टरों को सख्त संदेश देता है.

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