कानपुर के मनीष गुप्ता की संदिग्ध मौत: दोस्त का दावा, सीएम सिटी की तारीफ सुन आए थे गोरखपुर
कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में हुई संदिग्ध मौत के मामले ने पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशाना खड़े कर दिए…
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कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में हुई संदिग्ध मौत के मामले ने पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशाना खड़े कर दिए हैं. गोरखपुर के कुछ पुलिसकर्मियों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने पीटकर मनीष गुप्ता की जान ले ली है. इस पूरे प्रकरण में कई अलग-अलग थिअरी सामने आ रही हैं. इस बीच मनीष के साथ उस रात होटल में रुके उनके दोस्त प्रदीप सिंह ने यूपी तक के साथ बातचीत में एक नया दावा किया है.
प्रदीप ने यूपी तक को बताया है कि तीनों दोस्तों ने करीब 8-10 दिन पहले सीएम सिटी की तारीफ सुन गोरखपुर घूमने का प्लान बनाया था. प्लान करके वे गोरखपुर पहुंचे और नौकायन के लिए फेमस एक जगह पर घूमकर आनंद भी उठाया. अगले दिन गोरक्षनाथ मंदिर जाने का प्लान था, लेकिन उससे पहले की रात ही होटल में मनीष की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.
प्रदीप सिंह गुड़गांव के रहने वाले हैं. उनकी और इस ग्रुप के तीसरे शख्स हरवीर सिंह की दोस्ती कानपुर के मनीष से 5 साल पहले हुई थी. एक इवेंट के दौरान मृतक मनीष और प्रदीप कुमार की दोस्ती हुई और प्रदीप के जरिए ही बाद में हरवीर की दोस्ती भी मनीष से हुई.
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प्रदीप कुमार बताते हैं कि पुलिस की हरकत की वजह से सीएम सिटी का नाम भी बदनाम हुआ है. वह भावुक होकर कहते हैं कि मनीष उनके लिए दोस्त से भी बढ़कर थे.
मनीष के दूसरे दोस्त हरवीर ने बताया, घटना वाली रात क्या हुआ था
यह घटना सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात की है, जब रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के देवरिया बाईपास रोड पर स्थित होटल के कमरे को खुलवाया गया, जिसमें मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों हरवीर और प्रदीप के साथ रुके हुए थे.
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हरवीर ने बताया, ”हम लोग एक ढाबा में खाना खाकर आए थे. इसके बाद हम आराम से अपने रूम में सो रहे थे. 12 से सवा 12 बजे के आसपास डोर बेल बजी और मैंने दरवाजा खोला. तभी 5-7 पुलिसवाले अंदर आए. उन्होंने कहा कि तुम्हारी इन्वेस्टिगेशन होनी है. मैंने कहा कि सर कर लो.”
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इसके आगे हरवीर ने बताया,
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”उन्होंने कहा कि अपनी आईडी दिखाइए. मैंने अपना ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदीप जी का आधार कार्ड दिखाया, जो प्रदीप जी के बैग में पर्स में पड़ा हुआ था.”
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”उन्होंने फिर बैग चेक कराने को कहा. मैंने कहा कि सर हम कोई आतंकवादी तो हैं नहीं. (मनीष) गुप्ता जी बोले कि इतनी रात में आप परेशान कर रहे हो, अच्छी बात नहीं है, हम लोग आपको आतंकवादी लग रहे हैं क्या? तो उन्होंने बोला कि एक दरोगा को तुम सिखाओगे क्या कि कैसे काम करना है. हम अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, करने दीजिए.”
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”मैंने कहा कि सर गलत बात है ये आपकी, इतनी रात को आप हमें परेशान कर रहे हो. इस पर उन्होंने कहा कि तू एक रात थाने में रहेगा ना तो तुझे अक्ल आ जाएगी. मैंने कहा कि ऐसे कैसे थाने में डाल सकते हो. मैंने कोई चोरी तो की नहीं है, न ही मैं कोई गलत काम कर रहा हूं.”
हरवीर ने बताया कि इस पर पुलिसकर्मी गाली देने लगे और बोले कि इसको गाड़ी में पटको, ”मैंने कहा कि गाड़ी में आप ऐसे कैसे पटक सकते हो, तो उन्होंने हाथापाई शुरू कर दी. उन्होंने मुझे और गुप्ता जी को थप्पड़ मारने शुरू कर दिए.”
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इसके आगे हरवीर ने बताया, ”इस बीच गुप्ता जी ने दुर्गेश वाजपेयी जी को कॉल कर दी. जो शायद गुप्ता जी के रिलेटिव हैं. उन्होंने कॉल पर कहा कि पुलिसवाले हमारे रूम में जबरदस्ती आ गए हैं, हमारे साथ मारापीटी कर रहे हैं और हमें थाने ले जाने की धमकी दे रहे हैं. इस चक्कर में शायद वो चिढ़ गए. गुप्ता जी को मारा तो वह गिर गए, तभी उनको खून आने लगा.”
फोन पर आखिरी बातचीत में मनीष ने क्या कहा, यहां नीचे सुनिए
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