बेटे की चाहत में पत्नी के साथ की थी हैवानियत : पांच बेटी होने से नाराज था पति, अब कोर्ट ने सुनाई सजा

अंकुर चतुर्वेदी

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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के बदायूं में जिला न्यायालय ने एक ऐसी आरोपी को सजा सुनाई है जिसने बेटे की चाहत में पत्नी के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी थी. बेटे की चाहत में व्यक्ति ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए अपनी 8 महीने की गर्भवती पत्नी का पेट फाड़ डाला. आरोपी ये चेक करना चाहता था कि गर्भ में पल रहा बच्चा लड़की है या लड़का. वहीं चार साल बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने गुरुवार को व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.  इस घटना में आठ माह के गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई थी, जबकि महिला की जान बमुश्किल बचाई जा सकी थी. 

बेटे की चाहत में बना था हैवान

बता दें कि ये पूरा मामला साल 2020 का है. बदायूं के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के गांव घोंचा निवासी गोलू पुत्र सुभाष चद्रं ने 19 सितंबर 2020 को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. उसका कहना था कि उसकी बहन अनीता की शादी, शहर के मोहल्ला नेकपुर निवासी पन्नालाल के साथ हुई थी. अनीता ने शादी के बाद पांच बेटियों को जन्म दिया था. बता दें कि पति अपनी पांच बेटियों से परेशान चल रहा था. वह दूसरी शादी करने की भी धमकी अनीता को देता था. उसको अबकी बार अपनी पत्नी से बेटा चाहिए था. इस बात को लेकर पन्ना लाल अपनी पत्नी अनिता से हमेशा लड़ता रहता था. इस बार भी वह घर आया और अपनी पत्नी से लड़ने लगा. लड़ाई इस कदर बढ़ गई कि बस यही देखने के लिए वह अपनी पत्नी का पेट फाड़ दिया कि पेट में पड़ा बच्चा बेटा है कि बेटी. अनिता की आंत बाहर आ गई, और आठ माह के शिशु का गर्भपात हो गया. बाद में पता चला कि वह शिशु लड़का ही था.

गंभीर हालत में अनिता को बरेली स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद परिजनों ने पन्नालाल के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. घटना के समय पत्नी अनीता आठ महीने से गर्भवती थी. हालांकि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और उसे कोर्ट के समक्ष पेश किया. अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय सौरभ सक्सेना ने पन्नालाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उस पर 50 हजार का जुर्माना भी देने की सजा सुनाई गयी. जुर्माना न देने की स्थिति में उसे छह माह का कारावास और भुगतना होगा.

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 ऑपरेशन कनविक्शन के तहत सजा मिली

वरिष्ठ  पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी ने के अनुसार आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चार्टशीट दाखिल की गयी. जबकि डीजीपी के ऑपरेशन कंविक्शन के तहत इस मामले में अभियोजन विभाग से समन्वय करके समय से पुलिस की मॉनिटिरिंग सेल व पैरोकार कॉन्स्टेबल नितिन कुमार ने पैरवी की. गवाहों के बयान दर्ज कराए गए. विवेचक समेत घायल का इलाज करने वाले डॉक्टर की भी गवाही हुई . दोनों पक्षों की बहस सुनने, साक्ष्य अवलोकन के बाद कोर्ट ने पन्नलाल को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास तथा 50 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जुर्माना की राशि जमा न करने पर उसे छह महीने अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.

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