कर्नाटक के बहाने योगी मॉडल पर छिड़ी बहस, मोदी मॉडल जैसी ब्रांडिंग की ओर बढ़ रहे CM योगी?

अमीश कुमार राय

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वैसे तो उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के बीच की दूरी करीब 1800 किमी है. पर पिछले दिनों कर्नाटक में कुछ ऐसी अनचाही घटनाएं हुईं जिन्होंने इस दूरी को अचानक से पाट दिया. फिलहाल सुदूर दक्षिण भारत के इस राज्य में पूरे सियासी तेवर के साथ उत्तर प्रदेश की मौजूदगी महसूस की जा रही. यूपी की इस नई सियासत में इतना ताप है कि शायद इसकी गर्मी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) भी महसूस कर रहे हैं और शायद यही वजह है कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसकी स्वीकारोक्ति भी देनी पड़ी है.

अब इस बात को जरा सीधे तौर पर समझते हैं और इसके लिए हमें कर्नाटक की उस अनचाही घटना संग बोम्मई के हालिया बयान को भी जानना पड़ेगा. ज्यादा पुरानी नहीं अभी ये कल (गुरुवार, 28 जुलाई) की ही तो बात है. कर्नाटक में बीते दिनों भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक नेता की हत्या के बाद अपनी ही पार्टी, संगठन के तीखे सवालों को झेलते हुए CM बोम्मई योगी मॉडल की चर्चा कर बैठे.

अब आप सोच रहे होंगे कि कर्नाटक में योगी मॉडल (Yogi Model) की कैसी चर्चा? असल में आजादी के बाद हमारे देश की सियासत का हर काल खंड किसी न किसी मॉडल की गवाही देता रहा है. नेहरू मॉडल, शास्त्री मॉडल, इंदिरा मॉडल और जैसे आज की सियासत को ही ले लीजिए तो मोदी मॉडल (दूसरे शब्दों में कहें तो गुजरात मॉडल). ऐसे में सवाल उठता है कि जब देश की मौजूदा सियासत में उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक मोदी मॉडल की धूम मची है तब 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले योगी मॉडल पर चर्चाओं का जोर पकड़ना क्या सामान्य सियासी घटना समझा जाए या इस पहेली को डिटेल में डिकोड करने की जरूरत है?

बहरहाल, पहले सिलसिलेवार समझते हैं कि कर्नाटक में ऐसा क्या हुआ कि बोम्मई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मॉडल की चर्चा करनी पड़ी और आखिर योगी मॉडल है क्या?

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बोम्मई ने जो कहा उसके पीछे की कहानी समझिए

कर्नाटक के मंगलुरु में पिछले मंगलवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता 32 वर्षीय प्रवीण नेट्टारु की हत्या कर दी गई. बदमाशों ने धारदार हथियार से हमला कर प्रवीण की जान ले ली. ऐसा भी कहा जा रहा है कि प्रवीण ने कन्हैया लाल के समर्थन में पोस्ट शेयर की थी. इस हत्या के बाद बीजेपी कार्यकर्ता अपनी ही सरकार के खिलाफ अक्रोशित हैं और पार्टी नेताओं को भी घेर रहे हैं. बीजेपी का एक वर्ग कर्नाटक में बोम्मई सरकार से नाराज है और आरोप लगा रहा है कि सरकार अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की सुरक्षा करने में भी नाकाम है. उनकी तरफ से कर्नाटक में योगी मॉडल अपनाने की मांग की जा रही है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सीएम बोम्मई से इसी को लेकर सवाल पूछा गया था.

इसका जवाब देते हुए बोम्मई ने कहा कि यूपी के लिए योगी सही मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक की स्थिति से निपटने के लिए अलग अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं और जरूरत पड़ी तो यहां भी योगी मॉडल अपनाया जा सकता है. इसके बाद से ही योगी मॉडल को लेकर बहस तेज हो गई.

ऐसा समझा जा रहा है कि यूपी में अपराधिक वारदातों, हिंसक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोपों में जैसे ‘बुलडोजर न्याय’ को अपनाया गया है, गैंगस्टर्स अपराधियों के खिलाफ सख्ती दिखाई गई है, उसे कर्नाटक बीजेपी समर्थक योगी मॉडल का नाम दे रहे हैं. साथ ही अपनी सरकार पर इस मॉडल को अपनाने का दबाव डाल रहे हैं. हाल यह है कि कर्नाटक में सोशल मीडिया पर यूपी के विकास दुबे कांड का हवाला दिया जा रहा है जब कई पुलिसवालों की हत्या करने के आरोपी विकास को एमपी से यूपी ला रही पुलिस की गाड़ी पलट गई और वह एनकाउंटर में मारा गया.

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योगी मॉडल पर चर्चा ऐसे वक्त जब …

सियासत में टाइमिंग काफी मायने रखती है. कन्नड़ भाषी राज्य से योगी मॉडल को लेकर उठे जिक्र की टाइमिंग भी कबीले गौर है. बीजेपी अभी हाल में ही यूपी विधानसभा चुनावों में लगातार दूसरी बार अच्छे बहुमत से जीत दर्ज करने में कामयाब रही है. तीन दशक से अधिक समय बाद ऐसा हुआ कि कोई दल लगातार दूसरी बार बहुमत से सत्ता में वापसी कर पाया. चुनावी राजनीति को समझने वाले और तमाम पॉलिटिकल एक्सपर्ट ने इसके पीछे योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को एक बड़ी वजह माना. इतना ही नहीं, विधानसभा चुनावों के ठीक बाद लोकसभा की दो सीटों, आजमगढ़ और रामपुर में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी को जीत हासिल हुई, जबकि ये दोनों सीटें समाजवादी पार्टी की गढ़ समझी जाती रही हैं. ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक रूप से पूछा जा रहा है कि कर्नाटक में योगी मॉडल का जिक्र होना क्या सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए ठीक वैसे ही ब्रांडिंग का काम कर रहा या करेगा जैसा 2014 के आम चुनावों से पहले गुजरात मॉडल ने पीएम मोदी के लिए किया?

आइए इसे भी समझने की कोशिश करते हैं.

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तब गुजरात मॉडल का डंका, अब योगी मॉडल की गूंज?

अगर आप गूगल पर Gujarat model सर्च करेंगे तो तमाम सर्च नतीजों में से एक आपको पीएम नरेंद्र मोदी की वेबसाइट पर भी लेकर जायेगा. इस वेबसाइट पर 14अप्रैल 2014 को प्रकाशित एक लेख मौजूद है, जिसका शीर्षक है The Gujarat Model. तारीख गौर करने वाली है क्योंकि तब तक नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री नहीं बने थे. हालांकि 7 अप्रैल 2014 से वोटिंग शुरू हो चुकी थी और देश में तब गुजरात मॉडल का बहुत शोर था. पीएम मोदी की तस्वीर के साथ उनकी वेबसाइट पर मौजूद इस लेख में तब बताया गया था कि गुजरात मॉडल है क्या. विस्तार से तो इस लेख को उनकी वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है पर उसका लब्बोलुआब यह था कि कैसे CM नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने तरक्की की. हालांकि ये बात दीगर है कि आलोचक गुजरात मॉडल को खारिज भी करते हैं. इसे मिथ और बीजेपी का प्रोपेगंडा बताते हुए खारिज भी किया जाता है, लेकिन चुनावी परिणामों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि देश के मतदाताओं ने गुजरात मॉडल यानी मोदी मॉडल को काफी सीरियस होकर समझा है और इसका जादू आज भी उनके सिर चढ़कर बोलता दिखता है.

ऐसे में जब बीजेपी के लिए मोदी मॉडल ऑफ गवर्नेंस जीत का परफेक्ट फॉर्मूला बन चुका है तब अचानक से योगी मॉडल की एक नई गूंज सुनाई देने लगी है.

इस बात को समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी से बात की. विजय त्रिवेदी बीजेपी की राजनीति को काफी अंदर से समझते हैं और सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर उनकी एक चर्चित किताब यदा यदा ही योगी भी आ चुकी है. विजय त्रिवेदी हमें सबसे पहले मोदी मॉडल और योगी मॉडल का फर्क समझाते हैं.

क्या है मोदी और योगी मॉडल के बीच का फर्क?

विजय त्रिवेदी बताते हैं कि मोदी मॉडल की चर्चा खासकर डेवलपमेंट इश्यू के लिए हुआ करता है जबकि योगी मॉडल का इस्तेमाल अपराधी या अपराध के खिलाफ प्रशासनिक सख्ती के तौर पर किया जा रहा है. बीते दिनों जैसे यूपी में बुल्डोजर के इस्तेमाल हुए तो एक तरह से अपराध से लड़ने के लिए आयरन हैंड के रूप में देखा गया. पुरानी कहावत है कि सरकार प्रशासन रुआब से चलता है तो बुल्डोजर एक्शन को इसी रूप में देखा जाने लगा. विजय त्रिवेदी आगे कहते हैं कि कर्नाटक में भी बीजेपी कार्यकर्ताओं का एक धड़ा ऐसा ही कुछ एक्शन चाहता है. उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि बीजेपी में योगी मॉडल का ये कोई पहला जिक्र है. बीजेपी ने देशभर में योगी गवर्नेंस को प्रचार प्रसार के तौर पर इस्तेमाल किया है. पर मोदी मॉडल और योगी मॉडल में सैद्धांतिक फर्क जरूर है. हालांकि विजय त्रिवेदी इतना जरूर मानते हैं कि कर्नाटक में जिस तरह वहां के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर योगी मॉडल का जिक्र किया है उससे ब्रांड योगी को एक बड़ा एंडोर्समेंट तो जरूर मिला है.

यूपी से भी तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आईं

कर्नाटक के बाद अब योगी मॉडल को लेकर यूपी में तमाम चर्चाएं शुरू हो गई हैं. खुद सीएम योगी के दोनों डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक का बयान भी इस मुद्दे पर सामने आ चुका है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि यूपी में जो कुछ भी अच्छा कार्य हो रहा है भाजपा शासित राज्य अगर उसे लागू करते हैं तो यह यूपी के लिए खुशी की बात है. उन्होंने कहा कि यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुधार कार्य किए गए हैं, अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि कई और भी राज्य हैं जहां अच्छे काम हो रहे हैं और उन्हें यूपी में भी लागू किया जा रहा है. वह कहते हैं कि ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि पीएम मोदी भी एक भारत और श्रेष्ठ भारत की बात करते हैं.

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से जब योगी मॉडल पर सवाल हुआ तो वह कहते हैं, यूपी में जिस ढंग से कानून का राज्य स्थापित हुआ, पीएम मोदी के नेतृत्व में गरीब कल्याण की योजनाएं घर घर पहुंचीं, उसे लेकर पूरे देश में यूपी की चर्चा है. यूपी में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो गुंडे माफिया मवालियों का शासन प्रशासन पर कब्जा था. सरकारी ठेकों की लूट होती थी, ऑर्गेनाइज्ड क्रिमिनल थानों में बैठकर काम करते थे. मैं कह सकता हूं कि यूपी में कानून का राज स्थापित है और गरीब कल्याण की भी योजनाएं जन जन तक पहुंची हैं. लोगों का भरोसा सरकार पर बढ़ा है. लोगों का मानना है कि पहली बार कोई ऐसी सरकार आई है जिसे गरीब आदमी आम आदमी की सरकार के।रूप में महसूस किया जा रहा है. बृजेश पाठक आगे कहते हैं कि धीरे धीरे पूरे देश में यूपी के गवर्नेंस की चर्चा होनी है.

हमने इस संबंध में उत्तर प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव से बात की. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से पूरे देश को विकास और गवर्नेंस का मॉडल दिया है जाहिर सी बात है वह सभी राज्यों खासकर भाजपा शासित राज्यों के लिए एक रोल मॉडल हैं. एक बहुत सकारात्मक प्रतिस्पर्धा सभी राज्यों में है कि उनके काम अंत्योदय के दर्शन पर आधारित हो. मीडिया इसको अलग अलग नाम दे रही है लेकिन यूपी समेत हमारी सभी राज्य सरकारें पीएम मोदी के विजन को जोर शोर से आगे बढ़ा रही हैं. आज उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकल कर औद्योगिक, इंफ्रास्ट्रक्चर समेत हर क्षेत्र में तरक्की की राह पर जो दौड़ रहा है वह पीएम मोदी के मार्गदर्शन और सीएम योगी के नेतृत्व का ही कमाल है.

लेकिन इस योगी मॉडल के आलोचक भी हैं

ऐसा नहीं है कि चहुंओर योगी मॉडल की प्रशंसा ही हो रही है. उत्तर प्रदेश सीएम के गवर्नेंस मॉडल के ढेरों आलोचक भी हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा कहते हैं, जहां संविधान का उल्लंघन करना हुआ, कानून के विपरीत काम करना हो, वही योगी मॉडल है. आप बुल्डोजर चलाने वाली बात को ही लें. अगर किसी का घर अवैध है तो उसपर कार्रवाई करने की एक विधिसम्मत प्रक्रिया है. पर यहां तो जो सीएम योगी की नजर में चढ़ गया उसी का घर गिरा दिया जा रहा है. उनसे बार-बार कहा जा रहा है कि यूपी के दस माफियाओं का नाम बताएं, लेकिन वो नहीं बता रहे, क्योंकि सभी जानते हैं कि ऐसा करते ही उनके इस कथित मॉडल की हवा निकल जाएगी. कर्नाटक के मुख्यमंत्री अगर चाहते हैं कि कानून विरोधी काम हों तो खुशी खुशी इस मॉडल को लागू कर लें.

खैर, सियासत में अच्छी और बुरी सभी तरह की चर्चाओं का अपना महत्व होता है. उत्तर प्रदेश जैसा ताकतवर सियासी राज्य हर उस पार्टी के लिए खास है जो केंद्र की सत्ता हासिल करना चाह रही है. गठबंधन सरकारों के दौर में पीएम मोदी ने जब काशी से चुनाव लड़कर इस सूबे को सियासी नब्ज को थामा तो बीजेपी ने पूरे देश की राजनीतिक तस्वीर को ही बदल कर रख दिया. फिलहाल यूपी के रथ के सारथी योगी आदित्यनाथ हैं. उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें दोबारा चुना है. ऐसे में यूपी से इतर देशव्यापी होती योगी मॉडल की चर्चाएं क्या सियासी गुल खिलाएगी, इसे देखने की चाहत समर्थकों संग संग उनके विरोधियों की भी है.

अपराधियों के खिलाफ सीएम योगी के बुल्डोजर मॉडल के साथ अब एनकाउंटर पर भी चर्चा शुरू

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