14 या 15 मार्च कब मनाई जाएगी होली? काशी के पंडितों ने दूर कर दिया ये कंफ्यूजन
रंगों और खुशियों का त्योहार होली हर साल लोगों के बीच उत्साह लेकर आता है. लेकिन इस बार तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है.
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Holi 2025: रंगों और खुशियों का त्योहार होली हर साल लोगों के बीच उत्साह लेकर आता है. लेकिन इस बार तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है. क्या होली 14 मार्च को मनाई जाएगी या 15 मार्च को? त्योहारों की तारीखों को लेकर अक्सर लोगों के मन में संदेह रहता है, और इस बार भी यही स्थिति देखने को मिल रही है. इस भ्रम को दूर करने के लिए काशी के विद्वान ज्योतिषियों ने शास्त्रों के आधार पर सही तिथि बताई है. आइए जानते हैं कि होलिका दहन और रंगोत्सव कब और कैसे मनाना शास्त्रसम्मत होगा.
वाराणसी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित वेद प्रकाश मिश्रा के अनुसार, पहले पंचांगों की संख्या सीमित थी, जिससे तिथियों को लेकर कोई मतभेद नहीं होता था. लेकिन अब पंचांगकारों की बढ़ती संख्या के कारण अलग-अलग नियम सामने आ रहे हैं, जिससे भ्रम पैदा हो रहा है. शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन भद्रा मुक्त पूर्णिमा तिथि में किया जाता है. इस साल 13 मार्च को सुबह 10:02 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी, इसके बाद पूर्णिमा शुरू हो जाएगी. भद्रा 13 मार्च की रात 10:44 बजे तक रहेगी. इसलिए होलिका दहन 13 मार्च की रात 10:44 बजे के बाद होगा और 14 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी.
पंडित मिश्रा बताते हैं कि काशी में परंपरा यही रही है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है. उन्होंने बताया कि 'होलिका जलने के बाद एक दिन रुकने का कोई सवाल ही नहीं उठता.' होली में उपले, गेहूं की बालियां और नारियल जलाने से सुख-समृद्धि आती है, और सुबह होलिका की भस्म मस्तक पर लगाने से नकारात्मकता दूर होती है.
वहीं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अमित शुक्ला भी इस बात की पुष्टि करते हैं. उनके अनुसार, 13 मार्च की रात भद्रा समाप्त होने के बाद होलिका दहन होगा और 14 मार्च को काशी में होली का त्योहार मनाया जाएगा. वे बताते हैं कि काशी में होलिका दहन के अगले दिन होली खेलने की परंपरा रही है. जबकि काशी से बाहर कुछ लोग उदया तिथि के आधार पर 15 मार्च को होली मनाएंगे. प्रोफेसर शुक्ला के मुताबिक, शास्त्रों में प्रतिपदा तिथि में बसंत उत्सव और रतिमहोत्सव मनाने का उल्लेख है, जो काशी के बाहर 15 मार्च को होली मनाने का आधार बनता है. होली मनाने का सही तरीका बताते हुए वे कहते हैं कि सुबह होलिका की भस्म लगाई जाती है, फिर रंग खेले जाते हैं. इसमें आम के बौर का सेवन और बसंत उत्सव भी शामिल होता है.