मुख्तार ने जब गाजीपुर के एडिशनल SP पर किया हमला, पुलिस अधिकारी ने बताई अंसारी के आतंक की कहानी
Uttar Pradesh News: मुख्तार अंसारी को शनिवार को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में दस साल कारावास की सजा सुनाई. इसी के साथ…
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Uttar Pradesh News: मुख्तार अंसारी को शनिवार को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में दस साल कारावास की सजा सुनाई. इसी के साथ उसके भाई और बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी को भी गैगस्टर एक्ट में चार साल जेल की सजा सुनाई गई है. मुख्तार (Mukhtar Ansari) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. मुख्तार अंसारी के खिलाफ बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की मामले में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. वहीं मुख्तार को सजा मिलने के बाद उसके आतंक की कई कहानियां सामने आ रही हैं. ऐसी ही एक घटना के बारे में यूपी तक को गाजीपुर एडिशनल एसपी रहे शंकर जायसवाल ने बताया.
मुख्तार ने जब एडिशनल एसपी पर किया हमला
मुख्तार अंसारी ने जब दिनदहाड़े गाजीपुर एडिशनल एसपी रहे शंकर जायसवाल और उनकी टीम पर हमला कर दिया था. घटना 27 फरवरी 1996 की है, जब कोतवाली के लंका बस स्टैंड पर डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव चल रहे थे. पुलिस को इनपुट था की एक गाड़ी ‘up 61/8989’ में असलहो के साथ कुछ लोग गड़बड़ी कर सकते हैं. पुलिस चेकिंग कर रही थी इसी बीच में इंस्पेक्टर ने बसपा जिलाध्यक्ष लिखी जीप जिसमें मुख्तार अंसारी सवार था, उसको रोका. इस बात से नाराज होकर मुख्तार ने फायरिंग शुरू कर दी.पुलिस ने भी फायरिंग शुरू की जिसमें मुख्तार की गाड़ी गोली लगने से पंचर हो गई और उसकी गाड़ी से कूदे एक शख्स को पैर में गोली लगी. लेकिन मुख्तार तीन पहियों पर ही जीप लेकर भाग गया.
पुलिस ने जब घायल व्यक्ति को जेल पहुंचाया तो पता चला वह गाजीपुर जेल का सिपाही साहब सिंह था और वह अपनी लाइसेंसी राइफल से मुख्तार के साथ चल रहा था. इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी की एक अन्य गाड़ी से एक दूसरे जेल सिपाही उमाशंकर की 315 बोर की एक बंदूक भी मिली. मुख्तार अंसारी की यही मॉडस ऑफ अपरेंडी है. वह जेल के सिपाहियों के लिए गाय भैंस खरीद लाता, उनके लिए हथियार के लाइसेंस बनवाता और यही जेल के सिपाही 8 घंटे की ड्यूटी के बाद मुख्तार अंसारी के साथ अपनी लाइसेंसी बंदूक के साथ सुरक्षा में चलते थे. उसी में एक साहब सिंह था जो उसको फायरिंग में घायल हुआ था.
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मुख्तार और अतीक का कनेक्शन
शंकर जायसवाल ने यूपी तक को आगे बताया कि, ‘मुख्तार के काफिले में पीछे एक और जिप्सी थी. इस जिप्सी का पहला मालिक अतीक अहमद था, जिसे उसने 3 साल पहले 29 अक्टूबर 1993 को तेलियरगंज के सुरेश चंद शुक्ला को बेची थी. लेकिन इस जिप्सी में क्रॉस फायरिंग के बाद जो लोग थे वह अतीक अहमद के ही बताए गए. जिस जोंगा जीप में मुख्तार अंसारी सवार था वह जेके इंडस्ट्रीज नई दिल्ली के नाम पर थी और जिसका सेल लेटर मुख्तार अंसारी के गुर्गे के नाम पर था.
अतीक से भी खतरनाक है मुख्तार!
शंकर जायसवाल ने कहा कि, ‘कृष्णानंद राय हत्याकांड, नंद किशोर रूंगटा अपहरण हत्याकांड या फिर मेरे ऊपर हुआ हमला, यह सभी मूल केस में मुख्तार अंसारी ने गवाहों को तोड़कर, धमकाकर या उनकी हत्या करवाकर छूट गया. यह उसके सिंडिकेट और सिस्टम का ही परिणाम है. लेकिन अब उसको सजा मिल रही है परिस्थितियां बदली हैं. मुख्तार अंसारी अतीक अहमद से ज्यादा खतरनाक है. मुख्तार अंसारी कभी भी पलट सकता है. उसकी बात पर कभी भरोसा नहीं किया जाना चाहिए. वह बेहद शातिर बेहद खतरनाक है.’
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