लाखों रुपये देकर यूपी में मछली पालन का रोजगार करा रही है सरकार, स्टेप-बाई-स्टेप जानें कैसे मिलेगा फायदा

यूपी तक

ADVERTISEMENT

मत्स्य पालन
मत्स्य पालन
social share
google news

उत्तर प्रदेश सरकार ने 'मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना' की अवधि को 4 साल आगे बढ़ाने का फैसला लिया है. ये योजना अब वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक चलेगी. इसकी जानकारी राज्य के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने दी और बताया कि इस योजना का लाभ मछली पालक उठा सकते हैं. मौजूदा समय में मछली पालन को कृषि कार्य की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है और बिजली का बिल व्यवसायिक दर पर वसूला जाता है.  इसके अलावा मछली पालकों से तालाब के पट्टे का अगले 10 साल का एडवांस लगान वसूला जाता है और बाढ़ के दौरान तालाब की मछली बह जाने पर मुआवजा नहीं मिलता है. 

चार साल के लिए मंजूर हुई योजना

डॉ. निषाद ने एक महत्वपूर्ण घोषणा में बताया है कि ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों के पट्टाधारकों को मछली पालन करने के लिए अनुदान के तहत प्रोत्साहन मिलेगा. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना और ग्रामीण संगठन को बढ़ावा देना है. यह कदम किसानों और ग्रामीण लोगों को एक अतिरिक्त आय का साधन प्रदान करने के लिए उठाया गया है. इस योजना के पात्रता मानदंडों के अनुसार, तालाबों के पट्टाधारक जो मछली पालन में रुचि रखते हैं, वे इस अनुदान का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए इच्छुक व्यक्तियों को आगामी 16 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को पूरा करना होगा. आवेदन करने के लिए एक समर्पित पोर्टल लॉन्च किया गया है, जहां आवेदनकर्ता अपनी आवश्यक जानकारी और दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं.

 मिलेगा 40 फीसदी अनुदान

इस अनुदान के तहत, पट्टाधारकों को मछली पालन के लिए तकनीकी सहायता, बीज, भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री प्राप्त होगी. इसके अलावा, उन्हें मछली पालन के वैज्ञानिक तरीके भी सिखाए जाएंगे ताकि उनकी उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार किया जा सके. योजना में शामिल होने वाले हर आवेदक को टुकड़ों में राशि दी जाएगी जो उनकी सफलता की प्रगति के आधार पर निर्भर करेगी. योजना का मुख्य उद्देश्य मछली पालकों के जीवन यापन को सुधारन  को रोजगार के अवसर प्रदान करना है. ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों में किए जा रहे मछली पालन को शामिल किया गया है. इसके तहत अनुदान में मछली का बीज, पूरक आहार, तालाब में पानी भरने के संसाधन, दवाएं और जाल की खरीदारी पर समर्थन दिया जाता है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

इस योजना के तहत आवेदक की कुल परियोजना लागत 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए, जिसमें 40 प्रतिशत अनुदान (1.60 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर) दिया जाएगा. एक आवेदक को अधिकतम 3.20 लाख रुपये तक का अनुदान प्राप्त हो सकता है. आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है और आवेदक को सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे. योजना की विस्तृत जानकारी विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध है.
 

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT