ट्विटर पर ‘आपत्तिजनक टिप्पणी’ करने के मामले में गिरफ्तार SP नेता मनीष अग्रवाल जेल से रिहा
समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया टि्वटर हैंडल से ‘आपत्तिजनक टिप्पणी’ करने के मामले में गिरफ्तार हुए मनीष जगन अग्रवाल (Manish Jagan Agarwal) को सोमवार को…
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समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया टि्वटर हैंडल से ‘आपत्तिजनक टिप्पणी’ करने के मामले में गिरफ्तार हुए मनीष जगन अग्रवाल (Manish Jagan Agarwal) को सोमवार को जेल से रिहा किया गया. लखनऊ पुलिस ने रविवार को शांति भंग के आरोप में मनीष जगन अग्रवाल को गिरफ्तार किया था.
सपा के मीडिया प्रकोष्ठ के पदाधिकारी मनीष जगन अग्रवाल को सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रति कथित अभद्र टिप्पणी करने के आरोपों में रविवार सुबह लखनऊ के हजरतगंज इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस उपायुक्त (मध्य) अर्पणा रजत कौशिक ने बताया था कि अग्रवाल को आज सुबह हजरतगंज से गिरफ्तार किया गया. उन पर सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रति अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है.
पुलिस को दी गई शिकायत में ऋचा ने सपा मीडिया सेल के ट्विटर अकाउंट पर की गई कई टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा था ‘समाजवादी पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने धमकी दी है कि मेरे साथ बलात्कार किया जाएगा. उन्होंने मुझे जान से मारने की भी धमकी दी है. उन्होंने मेरे खिलाफ अभद्र टिप्पणी भी की है.’ अग्रवाल इस हैंडल का संचालन करते थे.
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पुलिस अधिकारियों ने कहा था कि पिछले साल नवंबर से समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल का प्रबंधन करने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज की गई यह चौथी प्राथमिकी है.’
वहीं, अग्रवाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न समेत विभिन्न आरोपों में प्राथमिकी दर्ज कराने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ऋचा राजपूत के खिलाफ भी सपा के प्रांतीय अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की तहरीर पर रविवार को मुकदमा दर्ज किया गया.
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि ‘‘पटेल ने ऋचा राजपूत के खिलाफ हजरतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राजपूत ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके परिवार के खिलाफ निहायत आपत्तिजनक अभद्र टिप्पणियां की हैं.’’
सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति के मुताबिक भाजपा नेता राजपूत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लीलता) और 509 (स्त्री लज्जा का अनादर) तथा सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 67 (अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या पारेषित करना) तथा 67(क) (लैंगिक प्रदर्शन का कार्य या आचरण) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
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