पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर सीएम योगी करेंगे उनकी प्रतिमा का अनावरण

अभिषेक मिश्रा

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर सीएम योगी लखनऊ में उनकी प्रतिमा का अनावरण करेंगे. लखनऊ के कैंसर इंस्टीट्यूट में बीजेपी के कद्दावर नेता कल्याण सिंह के लगाई गई इस प्रतिमा का अनावरण 21 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि के मौके पर होगा.

राम मंदिर आन्दोलन के नायक की ये प्रतिमा कांस्य की बनी हुई है. सूबे में लोध बिरादरी के सबसे बड़े नेता माने गए कल्याण सिंह की पहली पुण्यतिथि प्रदेश भर में भाजपा और सरकार मनायेगी. 21 अगस्त को पूर्व सीएम कल्याण सिंह का सम्मान कर उनकी छवि के सहारे सीएम योगी राज्य में भाजपा के आधार को मजबूत करने में जुटेंगे.

कल्याण सिंह की याद में लखनऊ के कैंसर इंस्टिट्यूट में उनकी नौ फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है. करीब 30 लाख रुपये की लागत से तैयार की गई कांस्य की इस प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में सीएम योगी सरकार के तमाम मंत्री और भाजपा के बड़े पदाधिकारी मौजूद रहेंगे.

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गौरतलब है कि दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे. कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के मढ़ौली गांव में तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर हुआ था. कल्याण सिंह कभी एक शिक्षक हुआ करते थे, लेकिन सियासी ककहरा भी उन्होंने ऐसा पढ़ा और पढ़ाया कि वह पॉलिटिकल गुरु बन गए.

कल्याण पहली बार 1967 में जनसंघ के टिकट पर अतरौली सीट से विधानसभा सदस्य चुने गए थे. 90 के दशक की शुरुआत में, जब पिछड़े वर्ग की ताकत सियासत में काफी अहम हो गई, तब बीजेपी ने यूपी में कल्याण पर दांव चल दिया. कहा जाता है कि उस दौर में यह फैसला पार्टी की ‘सवर्ण’ छवि से बाहर निकलने के लिए लिया गया था. उस वक्त पार्टी मंडल कमंडल वाली सियासत के बीच अयोध्या में राम जन्मभूमि निर्माण के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठा रही थी.

1991 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी जब यूपी की सत्ता में आई तो कल्याण सिंह इस राज्य में उसके पहले मुख्यमंत्री बने. उनके इस कार्यकाल में अयोध्या का राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद काफी तेज हो गया.

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रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब इंडिया आफ्टर गांधी में लिखा है कि कल्याण सिंह ने 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से कहा था कि ‘अयोध्या विवाद का एक ही सर्वमान्य हल है और वो हल ये है कि विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए.’ 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सिंह की सरकार चली गई, लेकिन तब तक वह ‘हिंदू ह्रदय सम्राट’ के तौर पर उभर चुके थे.

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