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नरेंद्र गिरि की मौत पर साधु-संत समाज स्तब्ध, जानिए किसने क्या कहा

यूपी तक

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद इस मामले पर धर्म-आध्यात्म से जुड़े कई लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. बता दें कि प्रयागराज पुलिस के मुताबिक, नरेंद्र गिरि का शव गेस्ट हाउस के कमरे से मिला था. पुलिस ने यह भी बताया है कि इस मामले में एक ”सुसाइड नोट” भी मिला है, जिसमें लिखा गया गया है कि नरेंद्र गिरि अपने किसी शिष्य से दुखी थे. हालांकि, पुलिस अभी पूरे मामले की जांच कर रही है.

इस बीच अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा है, ”आज अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत की सूचना मिली है, यह बहुत दुखद है और सनातन धर्म संस्कृति के लिए बहुत बड़ी क्षति है. यह साधु समाज के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है.”

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इसके साथ ही उन्होंने कहा है, ”मैं उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी जी महाराज से मांग करता हूं कि यह मौत नहीं हत्या है, इसकी जांच हो और जांच ऐसी हो, जिससे दूध का दूध, पानी का पानी हो जाए.”

वहीं, बाबा रामदेव ने कहा है,

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”पूज्य नरेंद्र गिरि जी के रहस्यमय तरीके से इस संसार से जाने को लेकर हम बहुत स्तब्ध हैं. एक ऐसे पराक्रमी जुझारू महापुरुष, जो हमारे धर्म-आध्यात्म संस्कृति की बुलंद आवाज थे, एक वीर-योद्धा, एक संन्यासी थे, उनका इस रहस्यमय तरीके से जाना किसी भी तरह से अंतर आत्मा को स्वीकार्य नहीं हो रहा. मैं पूरे साधु समाज की ओर से सरकार से अपेक्षा करता हूं कि इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच हो, पूरे तथ्य समाज के सामने आने चाहिए.”

बाबा रामदेव

अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि का कहना है, ”अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि जी के बारे में जो सूचना आई है, वो बड़ी ही मर्माहत करने वाली है. जिस प्रकार से खबरें आ रही हैं कि उन्होंने आत्महत्या कर ली, ये समझ से परे है.”

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उन्होंने कहा कि कोई भी संत जो संघर्ष से निकला हुआ है, वो कभी आत्महत्या नहीं करेगा, वो तो दूसरे को प्रेरणा देने का काम करता है.

स्वामी चक्रपाणि ने कहा, ”मैं शासन और प्रशासन से मांग करता हूं कि इसकी निष्पक्ष जांच की जाए.”

नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर वृंदावन के भागवत आचार्य देवकीनंदन का कहना है कि ये बहुत ही व्यथिथ करने वाला संदेश है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.

आचार्य देवकीनंदन ने कहा, ”उन्होंने सनातन धर्म के लिए बहुत कुछ किया है. संदिग्ध स्थिति में अगर ऐसे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की मौत होती है तो ये वाकई सोचनीय विषय है.”

इसके अलावा उन्होंने कहा, ”इस स्थिति में धर्माचार्यों के साथ ये व्यवहार होना उचित नहीं है. इस मामले की जांच होनी चाहिए क्योंकि धर्माचार्य सिर्फ अपना भला नहीं करते समस्त विश्व का कल्याण करते हैं.”

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