लखीमपुर खीरी: 15 दिनों के अंदर एक के बाद एक 3 बाघों की मौत, मचा हड़कंप

कुमार अभिषेक

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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में दुधवा नेशनल पार्क में पिछले 15 दिनों में तीन जवान बाघों की मौत से हड़कंप मच गया है. 15 दिनों के भीतर एक के बाद एक 3 बाघों की हुई मौत के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत ही वन मंत्री अरुण कुमार और प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था. साथ ही इन बाघों की मौतों की वजह जानने के लिए उन्हें लखीमपुर के इन जंगलों में भेजा.

वहीं, अगर 50 दिन को देखें तो 4 बाघों की संदिग्ध मौत हो चुकी है, लेकिन पिछले 3 सालों में 10 बाघों की मौत दुधवा टाइगर रिजर्व पार्क में हो चुकी है. पिछले महीने मई में लखीमपुर खीरी के निघासन में, जो कि दुधवा टाइगर रेंज का एक इलाका है वहां एक बाघ का शव मिला.

जबकि इसी महीने जून में मैलानी रेंज के रामपुर ढकैया में एक पार्किंग में बाघ का लाश मिला. बताया गया कि भूख और प्यास से उसकी मौत हुई है. इसके कुछ दिन बाद ही किशनपुर सेंचुरी रेंज में भी एक बाघ का शव तालाब में मिला. यहां बाघों की आपसी संघर्ष से मौत की वजह सामने आई है.

सबसे पहले 21 अप्रैल को एक नर बाघ की मौत हुई. उसकी उम्र डेढ़ से दो साल थी. पोस्टमॉर्टम से पता चला कि किसने कुछ शिकार के दौरान ऐसी हड्डी खा ली, जिससे इसके आंत फट गई थी और घायल हालात में मिलने के बावजूद बचाया नहीं जा सका. दुधवा में बाघ की दूसरी मौत 31 मई को हुई. निघासन इलाके में एक 4 साल का नर बाघ मरा हुआ मिला. पोस्टमॉर्टम से पता चला कि बाघों की आपसी लड़ाई में यह घायल हो गया था, जिसकी बाद में मौत हो गई.

तीसरे बाघ की मौत रामपुर ढ़केरिया गांव में हुई. इस बाघ ने कई दिनों से कुछ खाया नहीं था, क्योंकि इसके केनाइन दांत टूटे हुए थे. इसके पंजे और नाखून भी घिस कर टूट गए थे. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर और वन विभाग तक जब खबर पहुंची तब तक यह गांव में जीवित भी और गाड़ी आने पर इसने गुस्से में हमला भी किया था, लेकिन उसी गांव में वन विभाग की टीम के सामने ही उसने दम तोड़ दिया.गांव के इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि गांव वालों ने इस बात पर हमला किया. उस पर एक पत्थर और लाठियां बरसाई गए हैं.

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चौथे बाघ की मौत मैलानी के बफर इलाके में हुई, जहां यह कई दिनों से पानी और झाड़ी के बीच मरा पड़ा था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि यह मौत भी बाघों की आपसी लड़ाई का नतीजा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने वन एवं पर्यावरण मंत्री अरुण सक्सेना को दुधवा भेजा था. हालांकि, बताया जा रहा है कि मंत्री ने पूरी जांच के बगैर ही यह कह दिया कि बाघों की मौत में किसी की लापरवाही सामने नहीं आई.

दुधवा रेंज में कर्तनिया घाट के पास पांचवे बाघ को भी घायल इस स्थिति में देखा गया है. एक पर्यटक ने घायल बाघ की सूचना दुधवा प्रशासन को भेजी है. फिलहाल उसके लिए कांबिंग चल रहा है, ताकि ट्रेंकुलाइज कर उसे बचाया जा सके. उधर, अचानक हुए बाघों की मौत के बाद पीएमओ की नजर भी दुधवा नेशनल पार्क के इस मामले पर गई है.

(अभिषेक वर्मा के इनपुट्स के साथ)

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