जिस सैयद सालार मसूद गाजी के नेजा मेले पर लगी रोक उनकी दरगाह पर खड़ी हिंदू महिला सुशीला ने सुनाई बेटे की मन्नत पूरी होने वाली कहानी

राम बरन चौधरी

संभल प्रशासन द्वारा नेजा मेले की अनुमति न देने के बाद बहराइच सुर्खियों में है. यहां सालार मसूद गाजी की दरगाह है, जहां हिंदू श्रद्धालु भी गहरी आस्था रखते हैं. जानें इस दरगाह की पूरी कहानी.

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संभल प्रशासन द्वारा जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले नेजा मेले के आयोजन की अनुमति देने से इनकार करने के बाद से बहराइच जिला सुर्खियों में है. बहराइच जिले की इसलिए चर्चा है क्योंकि सालार गाजी की बहराइच में ही दरगाह है. इस दरगाह की मान्यताओं को लेकर हिंदू श्रद्धालु भी गहरी आस्था रखते हैं. हिंदू श्रद्धालुओं का मानना है कि उनकी मन्नत इस दरगाह पर पूरी हुई है. जानें इस दरगाह की पूरी कहानी.

सुशीला की कहानी- बेटे की मन्नत और गहरी आस्था

बहराइच की दरगाह पर मुंबई निवासी सुशीला जैसवाल पिछले 12-13 वर्षों से आ रही हैं. उन्होंने बताया कि जब उनके घर संतान नहीं हो रही थी, तब उन्होंने इस दरगाह पर मन्नत मांगी. उनके अनुसार, दरगाह पर उनकी प्रार्थना स्वीकार हुई और उन्हें बेटा हुआ. आज उनका बेटा 13 साल का हो चुका है और इस आस्था के कारण वह हर साल दरगाह पर माथा टेकने और चादर चढ़ाने आती हैं. 

जेठ मेला: हिंदू श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या

सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर साल में चार बार उर्स होता है, लेकिन सबसे बड़ा आयोजन जेठ महीने में होने वाला मेला है, जो पूरे एक महीने तक चलता है. इस मेले में लाखों की संख्या में हिंदू और मुस्लिम श्रद्धालु शामिल होते हैं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मेले में हिंदुओं की संख्या 50-60% तक होती है, जो अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां आते हैं. 

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सुशीला के मुताबिक, हिंदू श्रद्धालु बसों में भरकर आते हैं, झुग्गियां डालकर रुकते हैं, और दरगाह पर मन्नतें मांगते हैं. कुछ मिठाइयां चढ़ाते हैं तो कुछ चादर चढ़ाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं. उनके अनुसार, यह मेला न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. 

नेजा मेले पर रोक लो लेकर सुशीला ने ये कहा

हाल ही में संभल में लगने वाले नेजा मेले को लेकर विवाद हुआ, जिसमें एक वायरल वीडियो में प्रशासनिक अधिकारी ने सैयद सालार मसूद गाजी को विदेशी आक्रांता बताते हुए मेले पर रोक लगाने की बात कही. इस फैसले के बाद अब बहराइच के जेठ मेले को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं कि कहीं इस पर भी रोक न लग जाए. जब इस विषय में सुशीला से सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वह चाहती हैं कि मेला जारी रहे. 

नीचे शेयर किए गए वीडियो में देखें सुशीला ने और क्या-क्या कहा?


क्या है इतिहास?

सैयद सालार मसूद गाजी को लेकर इतिहास में अलग-अलग मत हैं. कुछ उसे सूफी संत मानते हैं, तो कुछ महमूद गजनवी का भांजा और एक आक्रांता बताते हैं. इतिहास के अनुसार, मसूद गाजी की मौत बहराइच में राजा सुहेलदेव के साथ युद्ध के दौरान हुई थी.  बाद में, दिल्ली के सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद ने उनकी कब्र पर मकबरा बनवाया, जहां अब यह दरगाह स्थित है. 

संभल में नेजा मेले पर लगी रोक के बाद यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या आने वाले समय में बहराइच का जेठ मेला भी प्रभावित होगा? प्रशासन और सरकार के आगामी फैसलों पर सभी की निगाहें टिकी हैं. लेकिन सुशीला जैसी श्रद्धालु, जो दरगाह से अपनी आस्था जोड़ चुकी हैं, वे उम्मीद करती हैं कि इस धार्मिक आयोजन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगेगा.

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