कोई भी गणित लगा लें, वो चुनाव हारेंगे... अखिलेश का यह संदेश क्या राजा भैया के लिए टेंशन बढ़ा देगा?

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Raja Bhaiya & Akhilesh Yadav Conflict: उत्तर प्रदेश की सियासत में अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. गुलशन यादव के खिलाफ FIR और गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाइयों ने इस विवाद को और हवा दी है. अखिलेश के तीखे बयान और पुराने गठबंधनों का जिक्र इस सियासी टकराव को और गहरा रहा है. 

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Raja Bhaiya & Akhilesh Yadav Conflict: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मची है, क्योंकि समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. सपा नेता गुलशन यादव के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयों से शुरू हुआ यह विवाद अब और बढ़ गया है. अखिलेश ने अपनी पार्टी के सदस्यों के खिलाफ FIR दर्ज कराने वालों को कड़ी चेतावनी दी है. आइए, इस विवाद और इसके प्रभावों पर विस्तार से नजर डालें.

अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच खटास तब सामने आई, जब हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश से सपा नेता गुलशन यादव के खिलाफ बार-बार हो रही कानूनी कार्रवाइयों पर सवाल पूछा गया. पिछले कुछ महीनों में गुलशन यादव के खिलाफ कई FIR दर्ज की गई हैं, जिनके तहत जिला प्रशासन ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की. विशेष रूप से, 2023 में गुलशन यादव को डकैती के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा, उन पर राजा भैया के समर्थकों के साथ मारपीट का भी आरोप लगा, जिसने दोनों नेताओं के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों को और भड़का दिया.

यहां देखें खबर की वीडियो रिपोर्ट:

जब अखिलेश से गुलशन यादव के खिलाफ लगातार कार्रवाइयों पर उनकी प्रतिक्रिया पूछी गई, तो उन्होंने तीखा जवाब दिया.  उन्होंने कहा, “जो लोग FIR दर्ज करवा रहे हैं, वे चुनाव हारेंगे. वे डरे हुए लोग हैं, जिनकी हार निश्चित है. कोई भी गणित उन्हें चुनाव नहीं जिता सकता. मैं आपको याद दिला दूं, कुछ बातें याद नहीं दिलानी चाहिए. बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने उस जिले में एक फैसला लिया था, जिसे मुझे नहीं बदलना चाहिए था."

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मालूम हो कि मायावती के नेतृत्व वाली BSP सरकार के दौरान राजा भैया को कई कानूनी और सियासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, 2012 में जब सपा की सरकार बनी, तो अखिलेश ने न केवल राजा भैया का समर्थन किया, बल्कि उन्हें अपनी सरकार में मंत्री भी बनाया. अखिलेश का हालिया बयान इस फैसले पर पछतावे का संकेत देता है, जो दोनों नेताओं के बीच गहरे मतभेदों को उजागर करता है. 

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