ज्ञानवापी मामला : व्यासजी के तहखाने में पूजा को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मुस्लिम पक्ष को झटका
ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की इजाजत देने के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है.
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Uttar Pradesh News : ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की इजाजत देने के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है.अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से दाखिल हुई अपीलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला जज के फैसले को बरकरार रखा है. हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारीज कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दोनों याचिकाएं की खारिज कर दी है.
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि जिला जज ने जो पिछले दिनों पूजा करने का आदेश दिया था, वह जारी रहेगा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की. बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने तहखाने में पूजा की इजाजत के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की थी. इजाजत मिलने के बाद हिंदू पक्ष ने यहां मूर्ति भी स्थापित की थी और पूजा का भी स्थापित की थी और पूजा का भी आयोजन किया था. मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया था.
वहीं ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने ज्यादा जानकारी देते हुए कहा, "आज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया के आदेश की पहली अपील को खारिज कर दिया है जो 17 और 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ निर्देशित की गई थी. आदेश का प्रभाव यह है कि ज्ञानवापी परिसर के 'व्यास तहखाना' में चल रही पूजा जारी रहेगी. अगर अंजुमन इंतजामिया सुप्रीम कोर्ट आती है तो हम सुप्रीम कोर्ट में अपनी कैविएट दाखिल करेंगे."
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मुस्लिम पक्ष ने दायर की थी याचिका
इससे पहले वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी तहखाने में प्रतिमाओं पूजा की जा सकती है. जिला प्रशासन को सात दिनों में पूजा-अर्चना की व्यवस्था बहाल करने का आदेश दिया था. आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी के तहखाने में देर रात पूजा भी की गई. मस्जिद समिति ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था. ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की थी.
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