रितिक का दर्द: बिजली विभाग की लापरवाही से काटना पड़ा हाथ, अब सामने नई मुसीबत

गजेंद्र त्रिपाठी

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गोरखपुर स्थित जनप्रिय विहार कॉलोनी, हुमायूंपुर में अपने परिवार संग किराए के मकान में रहने वाले मासूम रितिक की जिंदगी ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां से उसे आगे बढ़ने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है. पिछले साल 25 नवंबर को बिजली विभाग की लापरवाही इतनी भारी पड़ी कि रितिक अपना एक हाथ गंवा बैठा. अन्य विभागों की लापरवाही की वजह से आज उसे दूसरी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं.

रितिक के पिता सर्वजीत ने बताया कि वह दो भाई और एक बहन है. रितिक सबसे छोटा है. वह बताते हैं कि रितिक पिछले साल जनप्रिय विहार के पास किसी काम से चला गया. इसी दौरान खुले में ट्रांसफॉर्मर लगा होने की वजह से रितिक उसकी चपेट में आ गया. डॉक्टरों के प्रयास से उसकी जिंदगी तो बच गई लेकिन उसका एक हाथ काटना पड़ा. एक हाथ बचा भी लेकिन उसकी उंगलियां सिकुड़ गईं.

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इन परेशानियों से जूझ रहा है रितिक, मदद भी आधी-अधूरी

बिजली विभाग ने अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए उस समय 21000 हजार रुपये इलाज के लिए दिए. उसके बाद चुप्पी साध ली. कुछ लोगों की मदद से सर्वजीत ने अपने बेटे के लिए मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में गुहार लगाई. इसके बाद रितिक को मदद मिली और उसका 90 फीसदी दिव्यांग का मैनुअल प्रमाण पत्र बना.

31 जनवरी, 2021 को विद्युत निदेशालय द्वारा 4.50 लाख रुपये का चेक भी मिला. सर्वजीत का कहना है कि जो मदद मिली, उससे ज्यादा की रकम अब तक इलाज में खर्च हो चुकी है और आज भी इलाज में पैसे लग रहे हैं. सर्वजीत ने बताया कि वह एक कपड़े की दुकान पर सेल का काम देखते हैं. वह बताते हैं कि उनकी परेशानियां कम नहीं हो रही हैं. कभी रितिक की हाथ की उंगलियां तो कभी उसकी आंख की पुतलियां उसका साथ नहीं दे रही हैं. इस वजह से आधार कार्ड ही नहीं बन पा रहा है.

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आधार कार्ड ना होने से राशन कार्ड से लेकर विकलांग प्रमाण पत्र तक बनवाने में दिक्कत हो रही है. चिकित्सा विभाग से दिव्यांग सर्टिफिकेट जारी होने के बाद ही पेंशन भी मिलेगा, लेकिन उसके पहले ऑफलाइन सर्टिफिकेट पर पेंशन के लिए ऑनलाइन आवेदन जरूरी है. सर्वजीत भट्ट को आज भी तलाश है कि उनकी मदद के लिए कोई आगे आए ताकि बेटे रितिक की जिंदगी अच्छे से चल पाए.

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