पढ़ते-कसरत करते-टहलते आ रही मौत, आखिर क्यों बढ़ रहे हैं युवाओं में Heart Attack के मामले?
Heart Attack: खेलते-पढ़ते-कसरत करते मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. अचानक मौत के शिकार अब बच्चे भी हो रहे हैं. आप में से कई…
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Heart Attack: खेलते-पढ़ते-कसरत करते मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. अचानक मौत के शिकार अब बच्चे भी हो रहे हैं. आप में से कई लोगों ने पिछले काफी दिनों से ऐसे कई मामले सुने होंगे. कभी खबर आती है कि दुकान में बैठा शख्स अचानक गिर गया और उसकी मौत हो गई. तो कभी खबर आती है कि जिम में कसरत करता हुए शख्स अचानक गिर गया और फिर उठा ही नहीं. कुछ खबरें ऐसी भी आई हैं कि शख्स दोस्तों के साथ रास्ते पर जा रहा था और अचानक जमीन पर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई.
तमाम ऐसे मामले पिछले कुछ समय से लगातार सामने आ रहे हैं. अब कुछ ऐसा ही मामला बीते बुधवार राजधानी लखनऊ से सामने आया. यहां क्लास-9 में पढ़ने वाला आतिफ नामक छात्र रसायन विज्ञान की क्लास में था. अचानक बच्चा बेहोश हुआ. उसे स्कूल वाले फौरन अस्पताल लेकर गए. मगर वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. कोई कुछ समझ ही नहीं पाया और क्लास-9 में पढ़ने वाले मासूम छात्र की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि मासूम को अचानक हार्ट अटैक आया और वह दुनिया छोड़कर चला गया.
कानपुर में हुई थी क्रिकेट खेलने के दौरान किशोर की मौत
आइए थोड़ा पीछे चलते हैं. कुछ महीने पहले ही उत्तर प्रदेश के कानपुर से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था. यहां अनुज नामक 16 वर्षीय युवक दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहा था. वह बल्लेबाजी कर रहा था. इसी दौरान वह 2 रनों के लिए दौड़ा. मगर आधी पिच पर आकर वह अचानक गिर गया. वहां मौजूद अनुज के दोस्तों ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठा.
उसे अस्पताल में ले जाया गया. मगर वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. डॉक्टरों का कहना था कि अनुज को अचानक हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई. इस मामले ने सभी को हिला कर रख दिया था. इसी के साथ 25 से 35 साल तक के युवा भी अचानक मौत के शिकार हो रहे हैं.
पहले माना जाता था कि हार्ट अटैक का खतरा 60 साल के बाद होता है, लेकिन अब हार्ट अटैक का खतरा हर उम्र के इंसान पर मंडरा रहा है. इसी का नतीजा है कि बच्चों से लेकर किशोर और युवा भी अचानक मौत के शिकार हो रहे हैं.
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क्या कहना है डॉक्टरों का
हमने इस बारे में संभल जिले में स्थित यारा फर्टिलाइजर के डिप्टी चीफ (मेडिकल सर्विसेस) डॉक्टर अमित गुप्ता से बात की. उन्होंने बताया कि बच्चों में जो इस तरह की दिक्कतें देखने को मिल रही हैं, उसका एक कारण हार्ट में किसी तरह की दिक्कत आना हो सकता है. इसका दूसरा कारण आज कल चल रहे वायरल फीवर भी हो सकते हैं. आज के समय कई वायरल फीवर आ गए हैं, जो हमारे हार्ट की मसल्स को कमजोर कर रहे हैं. अगर वायरल हार्ट पर असर डालता है तो हार्ट कमजोर हो जाता है. इससे हार्ट के घड़कने की क्षमता भी कम हो जाती है और हार्ट अटैक के चांस बढ़ जाते हैं.
दांतों में लगा बैक्टीरिया बन सकता है हार्ट अटैक का कारण
उन्होंने आगे बताया कि कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि बच्चे के दिल में छेद है. मगर किसी ने इसपर ध्यान ही नहीं दिया. ऐसे में आगे जाकर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इसी के साथ बच्चे अगर अपने दांत सही से साफ नहीं कर रहे हैं तो एक बैक्टीरिया वहां पैदा हो जाता है, जो हमारे हार्ट पर असर डाल सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. अगर बच्चों को हार्ट अटैक आ रहा है तो इसके पीछे इनमें से कोई ना कोई वजह जरूर होती है. इसी के साथ कोविड भी एक वजह है. कोविड-19 ने भी हार्ट की मसल्स को कमजोर किया है और हार्ट पर असर डाला है. कोविड वायरस ने जहां आंतों पर हमला किया था तो वहीं उसने हार्ट को भी कमजोर करने का काम किया है. अब इसका रिजल्ट पता चल रहा है. इसलिए देखा जा रहा है कि कोविड के बाद से हार्ट अटैक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
‘कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो रहे बच्चे’
हमने इस सवाल का जवाब अमरोहा के डॉ. सलीम से भी लिया. उनका मानना है कि बच्चे कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं. इसका शिकार सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी हो रहा है. कार्डियक अरेस्ट अचानक आता है और कुछ ही पलों में ही मौत हो जाती है. डॉ. सलीम के मुताबिक, आज कल के बच्चों का खान-पान, उनकी दिनचर्या भी कही ना कही इसके पीछे जिम्मेदार है. अब बच्चे देर से खाना खाते हैं और रात को भी देर से सोते हैं, जिससे उनका पेट और पाचन क्रिया खराब हो जाती है. इसका असर भी हार्ट पर पड़ता है.
डॉ. सलीम ने ये भी कहा कि आज कल का खानपान काफी खराब हो गया है. इसी के साथ हम बचपन से ही तनावयुक्त वातावरण बन गया है, जिसका असर भी बच्चों की सेहत पर पढ़ रहा है. कहीं ना कहीं ये कारण भी हैं कि पहले जो बीमारी 60-70 की उम्र में देखने और सुनने को मिलती थी, वह पहले कम होकर युवा वर्ग में आई और अब बच्चों को भी अपना शिकार बनाने लगी है.
फिलहाल जिस तरह से बच्चों और युवा वर्ग में अचानक मौत के मामले बढ़ रहे हैं, उसने हर किसी को चिंता में डाल दिया है. जैसे-जैसे लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, वैसे-वैसे डॉक्टर भी सतर्क हो गए हैं और लोगों को भी सतर्क होना पड़ रहा है.