1968 में सियाचिन में लापता हुए मलखान सिंह का शव 56 साल बाद सेना को मिला, कहानी सहारनपुर के लाल की

राहुल कुमार

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Saharanpur Malkhan Singh
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UP News: सहारनपुर के थाना ननौता क्षेत्र के ग्राम फतेहपुर के रहने वाले मलखान सिंह का शव 56 साल बाद ग्लेशियर से मिला है. बता दें कि मलखान सिंह एयरफोर्स में तैनात थे. साल 1968 में इंडियन एयर फोर्स का AN-12 विमान क्रैश हो गया था, जिसमें मलखान सिंह शहीद हो गए थे. मगर इस हादसे के बाद उनका शव नहीं मिला था. मगर अब 56 साल बाद सेना ने उनका शव ग्लेशियरों में खोजबीन करके खोज निकाला है.

बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर में 56 साल बाद भारतीय वायुसेना के जवान मलखान सिंह का शव खोजा गया है. दरअसल 7 फरवरी 1968 के दिन भारतीय सैनिकों को लेह ले जाने के लिए सेना का विमान उड़ा. मगर ये रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विमान में 102 सैनिक सवार थे. सेना लगातार अपने शहीद जवानों के शवों को खोजने के लिए  सर्च ऑपरेशन चला रही थी. इसी दौरान अब सेना को मलखान सिंह के अवशेष सियाचिन के एक ग्लेशियर से मिल गए हैं. शव को बैच नंबर के आधार पर पहचाना गया है. ये खबर मिलने के बाद परिवार में शोक है तो वहीं क्षेत्र में गर्व का माहौल है.

कौन थे शहीद मलखान सिंह?

शहीद मलखान सिंह का जन्म 18 जनवरी 1945 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के थाना नानौता क्षेत्र के फतेहपुर गांव में हुआ था. वह भारतीय वायुसेना में तैनात थे. 1968 में जब यह विमान हादसा हुआ, उस वक्त मलखान सिंह की उम्र मात्र 23 साल थी. हादसे के बाद से ही उनका कोई पता नहीं चल पाया था. परिवार ने शव की खोज के लिए सेना के माध्मय से कई प्रयास किए और सेना ने भी अपने जवानों के शवों की खोज की. मगर उस समय मलखान सिंह के शव का कुछ पता नहीं चल पाया था. मलखान सिंह के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य उनके लौटने की आस में सालों तक इंतजार करते रहे. अब जब 56 साल बाद मलखान सिंह का शव मिला है तो उनके माता-पिता-पुत्र सभी की मौत हो चुकी है. परिवार में सिर्फ उनका छोटा भाई और पोते-पोतियां हैं. 

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बता दें कि जब मलखान सिंह सेना के विमान क्रैश में लापता हुए, उसके कुछ ही समय पहले उनकी शादी हुई थी. उनके लापता होने के बाद परिवार ने उनकी पत्नी की शादी मलखान सिंह के छोटे भाई चंद्रपाल सिंह से करवा दी थी. मलखान सिंह के लापता होने के समय उनकी पत्नी गर्भवती थी, जिसका पालन-पोषण बाद में उनके छोटे भाई ने किया. इस परिवार ने कभी भी मलखान सिंह को मृतक नहीं माना. इसलिए इन लोगों ने कभी भी आत्मा की शांति के लिए कोई तर्पण या संस्कार नहीं किया.

मलखान सिंह के शव के साथ सेना के जवान और परिवार-ग्रामीण

माता-पिता और परिवार सालों तक करते रहे इंतजार

बता दें कि मलखान सिंह के माता-पिता और उनके भाई सालों तक उनके लौटने का इंतजार करते रहे. मगर धीरे-धीरे सभी ने आस छोड़ दी. मगर मलखान सिंह को मृतक नहीं माना. अब जब मलखान सिंह का शव 56 साल बाद अपने गांव और परिवार में लौटा है तब तक उनके माता-पिता, बेटे, पत्नी और भाइयों की तक मौत हो चुकी है. फिलहाल मलखान सिंह के सबसे छोटे भाई जिंदा हैं और मलखान सिंह के पोते-पोतियां समेत परिवार के अन्य सदस्य हैं.

परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर

बता दें कि मलखान सिंह का अंतिम संस्कार उनके पौत्र गौतम द्वारा किया गया है. इस परिवार ही आर्थिक हालत अब बेहद कमजोर है. परिवार का कहना है कि उन्हें कभी भी किसी भी तरह की मदद नहीं दी गई. मलखान सिंह के पोते मनीष और गौतम आजीविका के लिए मजदूरी करते हैं. 

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मलखान सिंह के सबसे छोटे भाई (बुजुर्ग शख्स) से बात करते हुए सेना के जवान

मलखान सिंह के छोटे भाई ईशम पाल सिंह का कहना है कि अगर ये शव कुछ साल पहले मिल गया होता तो शायद उनकी पत्नी और बेटे अंतिम संस्कार कर पाते. अब संस्कार उनके पोते ने किया है. आपको ये भी बता दें कि जैसे ही मलखान सिंह का शव सेना के जवान गांव में लेकर पहुंचे, क्षेत्र के लोग भारी संख्या में मलखान सिंह को नमन करने उनके गांव आ गए. हजारों की संख्या के सामने मलखान सिंह के शव का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया.

मलखान सिंह को मिले शहीद का दर्ज और परिवार को मिले मदद

मलखान सिंह के परिवार और गांव के लोगों ने मांग की है कि मलखान सिंह को शहीद का दर्जा दिया जाए. इसी के साथ परिवार के लोगों की आर्थिक मदद भी की जाए. 
 

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