बिकरू कांड : आरोपियों को मिली सजा, जानें तीन साल में कितना बदला विकास दुबे का गांव

सूरज सिंह

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के बहुत चर्चित बिकरू कांड (Bikaru Case) में 23 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें 10 साल की सजा और 50-50 का जुर्माना लगाया है. वहीं कोर्ट ने सबूत के अभाव के चलते हैं सात आरोपियों को गैंगस्टर के मामले में दोष मुक्त कर दिया है. बिकरूकांड घटना में यह पहली सजा 3 साल बाद सुनाई गई है. बता दें कि कानपुर के बिकरू गांव में जुलाई 2020 में दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे गैंग ने हमला बोल दिया था. गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी.वहीं इस घटना के तीन साल बीत जाने के बाद बिकरू गांव कितना बदलाव हुआ है, ये जानने के लिए यूपी तक की टीम पहुंची उस गांव में.

बिकरू गांव का साइन बोर्ड भी हटा

बिकरू कांड के तीन साल पूरे हो चुके हैं. पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में दर्ज किए केस में कोर्ट ने हाल ही में 23 आरोपियों को सजा 10 साल की सजा सुनाई है. यूपीतक की टीम जमीनी हकीकत जानने बिकरू गांव पहुंची तो वहां इन तीन साल बाद काफी कुछ बदला देखा. गांव के मोड पर जो पहले बिकरू गांव का साइन बोर्ड लगा था अब वह बोर्ड भी वहां से हटा दिया गया है. अब नए-नए बोर्ड वहां पर वहां दिए गए हैं. बिकरू गांव के मोड का नाम भी शिवली से सकरवा मार्ग रख दिया गया है.

बिकरू  ंके लोगों में इस बात की नाराजगी!

यूपीतक की टीम जब शिवली से बिकरू गांव की तरफ बढ़ी तो देखा कि रास्तों में लोग तो ज्यादा नहीं दिखाई दिए लेकिन जो लोग निकल रहे थे, वह बिल्कुल निश्चिंत और बेखौफ दिख रहे थे. वहीं थोड़ी दूर गांव के अंदर चलते ही किनारे एक घर में छप्पर के नीचे कुछ लोगों से टीम ने बातचीत कर गांव का हालचाल जाना. गांव के निवासी हरिश्चंद्र ने बताया कि, ‘ बिकरू गांव में जितना भी विकास हुआ है जो भी कम हुए हैं. वह विकास दुबे के समय ही हुए हैं और सारे काम विकास दुबे ने ही करवाए थे. उसके बाद किसी ने इस गांव की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया.’

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

गांव में आया कितना बदलाव?

वहां से होते हुए जब यूपीतक की टीम विकास दुबे के घर की तरफ गई, जहां से उसने पुलिस वालों पर गोलियां बरसाई थी. उसके घर से 10 कदम की दूरी पर राजेंद्र मिश्रा की पत्नी मिली. बता दें कि राजेंद्र मिश्रा गैंगस्टर के मामले में दोष मुक्त हुए हैं और बिकरू कांड के मामले में उनके आरोपी लड़के प्रभात की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. राजेंद्र मिश्रा की पत्नी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. लेकिन बात तो ही बातों में उन्होंने यह कहा कि, ‘उनके पति निर्दोष थे. उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया था, जिनके खिलाफ सबूत न होने पर उन्हें कोर्ट ने दोष मुक्त कर दिया है.’

ADVERTISEMENT

वही गांव के लोग कैमरे के सामने बोलने से बचते रहे. लोकिन उनका मानना है कि उस कांड के बाद गांव के महौल में काफी बदलाव आया है. वहीं यूपीतक की टीम जब विकास दुबे के घर पहुंची तो वहां खंडहर के सिवा कुछ भी नहीं दिखा.

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT