शाइस्ता-अफशां के साथ STF को थी लंबे वक्त से विजय लक्ष्मी चौधरी की तलाश, शातिर है ये लेडी डॉन
लेडी डॉन विजय लक्ष्मी चौधरी के बारे में बताने से पहले हम आपको उन लेडी डॉन के बारे में बताते हैं, जो लगातार एसटीएफ के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं.
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UP News: उत्तर प्रदेश पुलिस और यूपी एसटीएफ को लेडी डॉन लगातार चुनौती दे रही हैं. यूपी की कई ‘लेडी डॉन’ इस समय एसटीएफ के लिए सिर दर्द बनी हुई हैं. शायद ही कभी पुलिस और एसटीएफ ने सोचा होगा कि उन्हें यूपी में इतनी महिला अपराधियों से भी जूझना पड़ेगा. इसी बीच एसटीएफ के हाथों बस्ती की लेडी डॉन विजय लक्ष्मी चौधरी लग गई है. इसे बस्ती पुलिस और एसटीएफ अपनी बड़ी सफलता मान रही है.
लेडी डॉन विजय लक्ष्मी चौधरी के बारे में बताने से पहले हम आपको उन लेडी डॉन के बारे में बताते हैं, जो लगातार एसटीएफ के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं. जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस और एसटीएफ ने दिन-रात एक कर दिया है. मगर फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है.
ये हैं यूपी की लेडी डॉन
माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन इस समय यूपी की लेडी डॉन नंबर वन है. इसके खिलाफ 50 हजार का इनाम भी पुलिस ने रखा हुआ है. य़ूपी पुलिस और एसटीएफ इसकी खोज में दूसरे राज्यों में भी जा चुकी है. मगर फिर भी ये पुलिस के हाथ नहीं लग रही है. बता दें कि शाइस्ता परवीन पर उमेश पाल मर्डर केस की साजिश रचने का आरोप है. इसके साथ ही पुलिस को शक है कि शाइस्ता परवीन, पति अतीक अहमद के काले साम्राज्य में भी शामिल थी.
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शाइस्ता के बेटे असद को पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया है तो वहीं उसके पति अतीक की हत्या हो चुकी है. ये लेडी डॉन कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पुलिस से बचने के लिए ये अपने पति और बेटे की मौत पर भी सामने नहीं आई और पुलिस-एसटीएफ से भागती फिरी. पिछले करीब 8 महीनों से पुलिस-एसटीएफ शाइस्ता परवीन को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं. मगर ये अभी तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ी है.
जैनब का नाम भी है शामिल
शाइस्ता की देवरानी यानी अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब भी इस लिस्ट में शामिल है. उमेश पाल हत्याकांड के बाद जैनब अपने घर में थी. पुलिस ने उसे आरोपित नहीं किया था. दबिश देकर उसे पकड़ा और पूछताछ के बाद शांति भंग में चालान कर दिया. इसके बाद जैनब ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस बीच पुलिस के हाथ कुछ सबूत लगे जो इस मामले में जैनब के खिलाफ थे. पुलिस ने जैनब से पूछताछ करने की कोशिश की. मगर फिर जैनब कभी किसी को नहीं दिखी.
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दरअसल तब तक जैनब फरार हो चुकी थी. जैनब ने पुलिस को ऐसा चकमा दिया, जिससे पुलिस भी हैरान रह गई. दरअसल अतीक के हर अपराध में उसका भाई अशरफ शामिल माना जाता था. अशरफ जेल में बंद था. माना जाता है कि पत्नी जैनब अपने पति अशरफ के अपराध का काम घर से ही संभाल रही थी. पिछले करीब 7 से 8 महीने से पुलिस को जैनब की भी तलाश है. मगर जैनब का भी कुछ पता नहीं चल रहा है. कई बार ऐसा हुआ कि जैनब पुलिस-एसटीएफ के हाथों आते-आते रह गई और चकमा देकर भाग निकली.
इस लिस्ट में मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी का भी नाम शामिल
अतीक की पत्नी शाइस्ता और अशरफ की पत्नी जैनब के बाद इस लिस्ट में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी का नाम भी शामिल है. इसको लेकर भी एसटीएफ और पुलिस एक्शन मोड में हैं. मुख्तार की पत्नी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है. मुख्तार के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. जांच में सामने आया था कि मुख्तार की कंपनी में उसकी पत्नी का शेयर सबसे ज्यादा था. इस केस में पूछताछ के लिए ईडी ने मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी को नोटिस भेजा था. मगर वह ईडी के सामने पेश नहीं हुई. इसके बाद उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया था. अब यूपी पुलिस ने अफशां के खिलाफ भी 50 हजार का इनाम रख दिया है.
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अफशां अंसारी तभी से फरार चल रही है. वह कहां है? इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है. पुलिस और एसटीएफ इसे भी खोज रहे हैं. मगर अभी तक नाकामी ही हाथ लगी है.
कौन है लेडी डॉन विजय लक्ष्मी चौधरी?
पुलिस और एसटीएफ ने लेडी डॉन विजय लक्ष्मी चौधरी को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है. एसटीएफ और पुलिस को काफी लंबे समय से इसकी तलाश थी. मगर ये हमेशा चकमा दे देती थी. दरअसल विजय लक्ष्मी चौधरी पूर्व प्रधान रह चुकी है और ये दबंग छवि की मानी जाती है. पुलिस ने इसके खिलाफ 25 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया था.
दरअसल ये पूरा मामला वाल्टरगंज थाने के पोखरभिटवा गांव का है. सल्टौआ गोपालपुर विकास खंड के पोखरभिटवा ग्राम पंचायत के बिशुनपुर निवासी अजीत प्रताप सिंह ने डीएम को शिकायत की थी. शिकायत में आरोप था कि साल 2015 से लेकर 2020 तक ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में अनियमितता बरती गई है और सरकारी धन का गबन किया गया है.
डीएम के निर्देश पर तत्कालीन जिला विकास अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी व तहसीलदार भानपुर की चार सदस्यीय टीम ने जांच करके आरोपों की पुष्टी की थी. इस मामले में मनरेगा व प्रथम राज्य वित्त से लगभग 10 लाख रुपये के गबन की पुष्टि हुई थी.
ये सामने आने के बाद तत्कालीन सहायक विकास अधिकारी पंचायत शिव कुमार लाल श्रीवास्तव की तहरीर पर पुलिस ने तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी राजन चौधरी, रमाकांत वर्मा, निशात अफरोज, मनरेगा तकनीकी सहायक अशोक कुमार चौधरी व पूर्व प्रधान विजय लक्ष्मी चौधरी के खिलाफ गबन का केस दर्ज किया था. इस मामले में विजय लक्ष्मी चौधरी पुलिस के कभी सामने नहीं आई और फरार ही रही. मगर अब ये पकड़ में आ गई है.
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