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दान नहीं बल्कि यह है सबसे पुण्य का काम, जानें प्रेमानंद जी महाराज ने क्या बताया

निष्ठा ब्रत

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, किसी भटके हुए व्यक्ति को सही राह पर लाना ही सबसे बड़ा पुण्य है. यह कार्य दान-दक्षिणा से भी ऊंचा है, क्योंकि इससे किसी का जीवन बदल सकता है.

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सबसे बड़ा पुण्य कौन-सा है? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में आता है जो अपने जीवन को सही दिशा में ले जाना चाहता है. अक्सर लोग सोचते हैं कि मंदिर में दान करना, गरीबों को खाना खिलाना या धार्मिक यात्राएं करना ही सबसे बड़ा पुण्य है.
 

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लेकिन प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, इन सबसे भी बढ़कर एक ऐसा काम है, जिसे करने से जीवन सार्थक हो जाता है. हाल ही में अपने सत्संग में उन्होंने बताया कि किसी भटके हुए व्यक्ति को सही राह दिखाना ही वास्तव में सबसे बड़ा पुण्य है.
 

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प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा पुण्य यह है कि आप किसी भटके हुए इंसान को सही दिशा में चलने की प्रेरणा दें. किसी को गिरने से रोकना नहीं, बल्कि उठाकर उसे सही राह पर लाना सबसे ऊंचा धार्मिक कार्य है.
 

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महाराज जी कहते हैं कि समाज में ऐसे लोग अधिक मिलते हैं जो दूसरों की गलतियों पर हंसते हैं या उन्हें नीचे गिराते हैं. लेकिन जो वास्तव में मदद करते हैं, सही रास्ता दिखाते हैं, ऐसे लोग बहुत दुर्लभ हैं.
 

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अगर आप जीवन में किसी एक व्यक्ति को भी गलत रास्ते से हटाकर सही मार्ग की ओर मोड़ देते हैं तो यही सबसे बड़ा योगदान है. उसे गिराने के बजाय, उसका मार्गदर्शन करें.  
 

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महाराज जी समझाते हैं कि अगर कोई व्यक्ति गलती से सीखते हुए सही दिशा में बढ़ने की कोशिश कर रहा है, तो उसे हतोत्साहित नहीं करना चाहिए. बल्कि उसके हौसले को और मजबूत करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए. 
 

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गलत रास्ते पर चल रहे लोगों के लिए संतों की संगति और उनकी वाणी बहुत लाभकारी होती है. जैसे बीमार को इलाज की जरूरत होती है, वैसे ही भटके हुए मन को संतों का मार्गदर्शन चाहिए. 
 

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प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि दान-पुण्य से भी बढ़कर है किसी की सही शुरुआत में मदद करना. अगर आप किसी को पहला कदम उठाने में सहारा देते हैं, तो आपने सबसे श्रेष्ठ कार्य किया.

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