नवरात्रि के दूसरे दिन कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, ज्योतिषी डॉ श्रीपति त्रिपाठी से जानिए पूरी विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन हम मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते हैं. ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है "ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली," जो तपस्विनी रूप में साधना में लीन रहती हैं.
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नवरात्रि के दूसरे दिन हम मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते हैं. ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है "ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली," जो तपस्विनी रूप में साधना में लीन रहती हैं.

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मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत शांत, तेजस्वी और तपस्विनी है. उनके दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल है. यह देवी पार्वती के उस रूप का प्रतीक है जब उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी.

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माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक तपस्या की. इस तपस्या के दौरान उन्होंने केवल फल और बेल पत्र खाकर ही जीवन बिताया. उनकी इसी कठोर साधना के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा.

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मां की इस घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया. यह स्वरूप बताता है कि तप और साधना से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.

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नवरात्रि के दूसरे दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर, पीले या सफेद वस्त्र पहनें. इसके बाद, मां ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें.

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मां की पूजा में श्वेत और सुगंधित पुष्प अर्पित करें. इसके बाद, उनके मंत्र का जाप करें. उनका ध्यान मंत्र है: दधाना कर पद्माभ्यां अक्षमाला कमण्डलु. देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

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मां ब्रह्मचारिणी की स्तुति के लिए इस मंत्र का जाप करें: या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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इस पवित्र विधि की जानकारी हमारे सहयोगी चैनल एस्ट्रो तक के ज्योतिषी डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने दी है. उनकी बताई गई विधि से मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.