PWD तबादले मामले में हटाए गए OSD पहले भी थे UPA सरकार में जितिन प्रसाद के साथ तैनात

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यूपी सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) अनिल कुमार पांडे पर तबादलों में हुई कथित गड़बड़ियों की गाज गिरी है. सचिवालय प्रशासन विभाग ने कल उन्हें कार्यमुक्त कर मूल विभाग में वापस दिल्ली भेजने का आदेश जारी कर दिया है और उनके खिलाफ सतर्कता जांच और अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है.

हालांकि, इस पूरे मामले पर जितिन प्रसाद चुप्पी साधे हुए हैं. मंत्री का सारा काम का जो एचडी ही संभालते हैं और विभागीय फाइलें ओएसडी के माध्यम से ही मंत्री के पास जाती हैं. केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में अवर सचिव रहे अनिल पांडे को जितिन प्रसाद की सिफारिश पर ही उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर तैनाती दी गई थी.

जितिन प्रसाद जब केंद्र में यूपीए सरकार के दौरान मंत्री थे तब भी अनिल उनके कार्यालयों में तैनात रहे हैं. यूपी में दोबारा बीजेपी सरकार बनने पर जितिन प्रसाद को लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया था और तब ही अनिल ने यहां आने के लिए आवेदन किया था.

क्या है मामला?

लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों में कथित गड़बड़ियों पर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख के बाद अब दोषी अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है.

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सूत्रों के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी के विभाग मनोज गुप्ता एक प्रमुख अभियंता और एक स्टाफ अफसर के खिलाफ भी आज या कल में कोई एक्शन लिया जा सकता है. बड़े पैमाने पर हुए तबादलों की अभी भी जांच चल रही है.

यूपी में चिकित्सकों के तबादले में हुई गड़बड़ियों के बाद लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के तबादले में भी गड़बड़ी का मामला सामने आया था. सूत्रों के मुताबिक लोक निर्माण विभाग में सीनियर की भी तैनाती कर दी गई और विभाग में अपनी गलती सही की.

लोक निर्माण विभाग में 350 से अधिक इंजीनियरों का तबादला हुआ था, पीडब्ल्यूडी के करीब 200 अधिशासी अभियंताओं और डेढ़ सौ से अधिक सहायक अभियंताओं का तबादला किया गया है. इसको लेकर भी शिकायतें आई थीं.

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लोक निर्माण विभाग में 3 साल पहले अमृत इंजीनियर और कई इंजीनियरों का एक से अधिक जिले में तबादले का मामला सामने आया था. तबादलों की अंतिम तारीख जहां सभी विभागों के लिए 30 जून थी, वहीं लोक निर्माण विभाग में 10 जुलाई कर दी गई.

इसके बाद सीएम योगी तक कई मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी. स्वास्थ्य विभाग में तबादला विवाद में जांच की सिफारिश के साथ ही सीएम योगी ने पीडब्ल्यूडी की जांच के आदेश दे दिए थे.

सूत्रों के मुताबिक, समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि मंत्री के ओएसडी अनिल के खिलाफ तबादलों में कथित भ्रष्टाचार की कई शिकायतें हैं और सूत्र बताते हैं कि उन्होंने स्थानांतरित होने वाले लोगों से पैसे लिए हैं.

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उत्तर प्रदेश आने से पहले अनिल केंद्र में उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में अवर सचिव के पद पर तैनात थे.

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