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पंचायत सहायक भर्ती: उन्नाव में सामने आए गड़बड़ी के मामले, सवालों के घेरे में प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत सहायक भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं. इन आरोपों के मुताबिक, कहीं पर चयन समिति कम नंबर वाले अपने चहेते अभ्यर्थियों का ग्राम पंचायत सहायक के पद पर चयन कर रही हैं, तो कहीं ग्राम पंचायत सहायक बनने के लिए अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेज लगा रहे हैं. उन्नाव में ऐसे ही दो मामले सामने पर ग्राम पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान समेत पूरी चयन समिति पर एफआईआर दर्ज हुई है.

वहीं, फर्जी दस्तावेज के सहारे ग्राम पंचायत सहायक पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी पर भी एफआईआर दर्ज हुई है. उन्नाव का मामला सामने आने के बाद प्रदेश भर में चल रही इस भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहीं अन्य जिलों में भी ऐसे ही मनमानी भर्ती तो नहीं की जा रही.

उन्नाव की मझरिया ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान और पंचायत सेक्रेटरी ने मिलकर 6 हजार मासिक भत्ते पर होने वाली ग्राम पंचायत सहायक भर्ती में मनमानी की है. मामला अफसरों के संज्ञान में आने के बाद असोहा थाने में पंचायत के सहायक विकास अधिकारी मोहनलाल ने 8 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और गलत दस्तावेज तैयार करने की एफआईआर दर्ज करवाई है. एफआईआर में मंझरिया ग्राम पंचायत के सेक्रेटरी छत्रपाल सिंह, ग्राम प्रधान और चयन समिति के अध्यक्ष अकील अहमद, बीडीसी मेंबर और समिति के सदस्य राम सजीवन, जुनैद अली, रामेश्वर, हसीना, बिटाना और सियाराम को भी नामजद किया गया है.

एफआईआर में लिखा गया कि ग्राम पंचायत की प्रशासनिक समिति ने पंचायत सहायक के पद पर दूसरे नंबर की महिला अभ्यर्थी को मेरिट लिस्ट में पहले नंबर पर दिखाकर भर्ती किया, जबकि जिस लड़की को दूसरे नंबर पर बताया गया उसके 10 वीं और 12 वीं के नंबर अधिक थे. असल में ग्राम पंचायत सहायक के पद पर 71.4 फीसदी नंबर पाने वाली पूजा को मेरिट लिस्ट में पहले नंबर पर बताया गया, जबकि दूसरे नंबर पर प्रीति रावत को औसत 71 फीसदी बताया गया, जबकि प्रीति रावत का औसत 72.15 फीसदी था.

वहीं, दूसरा मामला उन्नाव के औरास थाने के बयारी गांव का है. जहां पर ग्राम पंचायत सहायक बनने के लिए ज्ञानेंद्र कुमार नामक एक अभ्यर्थी ने अपने पिता की फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लगा दी. दरअसल, राज्य सरकार ने कोरोना में दिवंगत हुए व्यक्ति के आश्रित को ग्राम पंचायत सहायक भर्ती में वरीयता का प्रावधान रखा है, जिसके चलते ही ज्ञानेंद्र कुमार ने अपने पिता सुखलाल के नाम की फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लगाकर आवेदन किया था. जब इस मामले में जांच की गई तो पता चला कि जिस आईडी पर आरटी-पीसीआर रिपोर्ट बनी थी वह असल में लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में रहने वाले अमृतलाल की रिपोर्ट थी और जो असल में नेगेटिव थी. इस मामले में भी औरास थाने में ज्ञानेंद्र कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है.

इन दोनों ही मामलों के सामने आने के बाद उन्नाव के मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल ने जिले में सभी पंचायतों में हो रही पंचायत सहायक भर्ती प्रक्रिया पर जिला स्तरीय समिति को सतर्क रहने और दस्तावेज क्रॉस चेक करने का आदेश दिया है, ताकि पंचायत स्तर पर प्रशासनिक समिति कोई गड़बड़ी कर गलत व्यक्ति की संस्तुति भी करें तो जिला स्तरीय चयन समिति उसका अनुमोदन और चयन रोक सके.

फिलहाल प्रदेश में 58,189 ग्राम पंचायत सहायक के पदों पर भर्ती हो रही है जिसके लिए ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में चयन समिति गांव के ही अभ्यर्थी का चयन कर जिला स्तरीय समिति को अंतिम चयन के लिए भेजेगी और उसके बाद 6 हजार मासिक वेतन पर ग्राम पंचायत सहायक का चयन किया जाएगा.

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