UP चुनाव: कौशांबी में इस दिन होगा मतदान, सभी विधानसभा सीटों की सियासी तस्वीर यहां देखिए

यूपी तक

• 04:20 PM • 08 Jan 2022

चुनाव आयोग (Election Commission) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शनिवार, 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान…

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चुनाव आयोग (Election Commission) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शनिवार, 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है.

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चुनाव आयोग ने बताया कि यूपी में 7 चरणों में चुनाव होंगे. 10 फरवरी से 7 मार्च तक वोटिंग होगी. 10 मार्च को वोटों की गिनती के साथ ही नतीजों की घोषणा होगी.

चुनाव आयोग की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार, कौशांबी में पांचवें चरण में 27 फरवरी को वोटिंग होगी.

आइए कौशांबी जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं-

वर्तमान के कौशांबी जिले का इतिहास कुल 24 साल पुराना है. दरअसल, 4 अप्रैल 1997 को यह जिला इलाहाबाद जिले से टूटकर बना था. यह जिला दक्षिण में चित्रकूट, उत्तर में प्रतापगढ़, पूर्व में प्रयागराज और पश्चिम में फतेहपुर जिलों से घिरा हुआ है.

मान्यता है कि बुद्ध के समय में कौशांबी भारत के 6 सबसे महत्वपूर्ण और समृद्ध शहरों में से एक था. बौद्ध साहित्य में कौशांबी का वर्णन कई बार आया है. यहां पर अशोक स्तंभ, जैन मंदिर और घोषिताराम मठ है. इस जगह भगवान बुद्ध बोध ज्ञान प्राप्त होने के छठवें और नौवें साल में उपदेश देने आए थे. कौशांबी जिले में अमरुद और केले की पैदावार ज्यादा होती है.

उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद है कौशांबी

सियासी मायनों से देखा जाए तो कौशांबी जिला बीजेपी के लिया अहम है, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद है. कौशांबी में करीब 10-12 प्रतिशत मौर्य मतदाता हैं. इनके साथ-साथ सोनकर और पाल समेत अन्य ओबीसी मतदाताओं पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की पकड़ मानी जाती है. हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी का एकतरफा प्रदर्शन रहा था. अब आगामी विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी क्या फिर एक बार 2017 की कहानी दोहरा पाएगी या नहीं?

कौशांबी में कुल 3 विधानसभा क्षेत्र हैं:

  1. सिराथू

  2. मंझनपुर

  3. चायल

  • 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने कौशांबी विधानसभा क्षेत्र की तीनों सीटों पर झंडा फहराया था.

  • वहीं, 2012 के चुनावों में इस विधानसभा क्षेत्र में बीएसपी ने 2 जबकि बीजेपी ने 1 विधानसभा सीट जीती थी.

कौशांबी की विधानसभा सीटों का विस्तार से विवरण

सिराथू

2017: सिराथू विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी के शीतला प्रसाद ने जीत हासिल की थी. उन्होंने सपा के वाचस्पति को 26,203 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में उत्तर प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता केशव प्रसाद मौर्य ने बीएसपी के आनंद मोहन को हराया था. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 9,863 वोटों का था.

मंझनपुर

2017: इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लाल बहादुर ने बीएसपी के इंद्रजीत सरोज को 4,160 वोटों से हराया था.

2012: इस विधानसभा चुनाव में बीएसपी के इंद्रजीत सरोज की जीत हुई थी. उन्होंने एसपी के शिवमोहन चौधरी को 4,182 वोटों से हराया था.

चायल

2017: इस चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में गए थी. बीजेपी के संजय कुमार ने कांग्रेस के तलत अजीम को 40,116 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में बीएसपी के मोहम्मद आशिफ जाफरी की जीत हुई थी. उन्होंने एसपी के चंद्र बलि को मात्र 1,290 वोटों से हराया था.

आइए एक नजर डालते हैं कौशांबी की स्थानीय समस्याओं पर

चायल और मंझनपुर विधानसभा में रहती है बाढ़ की समस्या

कौशांबी जिले में चायल और मंझनपुर विधानसभा क्षेत्र में यमुना के किनारे बसे करीब 15-20 गांव में हर साल बाढ़ की समस्या रहती है. बाढ़ के कारण स्थानीय लोगों का संपर्क टूट जाता है और उनकी फसलों को भी भारी नुकसान होता है. हर बार बाढ़ आने की जानकारी होने के बावजूद शासन और प्रशासन ने इसके रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

मंझनपुर में नहीं है रेलवे स्टेशन

कौशांबी में मंझनपुर विधानसभा क्षेत्र में रेलवे स्टेशन ही नहीं है. क्षेत्र के लोगों को रेल सफर करने के लिए सिराथू और भरवारी जाना पड़ता है. 1997 में जिले के बनने से लेकर अब तक यहां पर रेलवे स्टेशन नहीं बन सका है. कौशांबी प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद है. ऐसे में अगर जिले से इतनी कद्दावर शख्सियत आती हो और लोग अभी भी रेलवे स्टेशन की मांग कर रहे हों, तो इसका पूरा न होना कई सवाल खड़े होते हैं.

उद्योग क्षेत्र में पिछड़ रहा है कौशांबी

उत्तर प्रदेश में मौजूद वक्त में बीजेपी की सरकार है. कौशांबी की तीनों विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा होने के बावजूद जिले औद्योगिक विकास नहीं हो पाया है. रोजगार का साधन न होने पर जिले के लोगों को नौकरी के लिए प्रयागराज समेत आसपास के अन्य जिलों में जाना पड़ता है.

कौशांबी में हैं कई पर्यटक स्थल, लेकिन ठहरने के नहीं है व्यवस्था

कौशांबी जिले में बौद्ध तपोस्थली, मां शीतला धाम, राजा जयचंद का किला, मलूकदास आश्रम अशोक स्तंभ, जैन मंदिर और घोषिताराम मठ समेत कई पर्यटक स्थल हैं. इन सब के होने के बावजूद बड़ी समस्या ये है कि यहां पर पर्यटकों के रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है. पर्यटक अगर दो दिन के हिसाब से घूमने आएं तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती रुकने की होगी. स्थानीय लोगों का आरोप है कि सही ढंग से प्रचार-प्रसार न होने के चलते जिले के मशहूर पर्यटक स्थल बौद्ध तपोस्थली घूमने के लिए उतने पर्यटक नहीं आ पाते जितने आने चाहिए.

यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में विपक्ष सरकार को इन मुद्दों के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी घेरने की कोशिश करेगा. अब देखना यह अहम रहेगा कि आने वाले समय में कौशांबी की जनता किस पार्टी को जीत की राह दिखाती है.

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