यूपी चुनाव 2022: जानिए बिजनौर में कब होगा मतदान, क्या कहती है यहां की सियासी तस्वीर?

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• 03:45 PM • 08 Jan 2022

चुनाव आयोग (Election Commission) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है. ऐसे में आपको जानने…

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चुनाव आयोग (Election Commission) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है. ऐसे में आपको जानने की उत्सुकता होगी कि आपके शहर बिजनौर में कब होगी वोटिंग और कब घोषित होंगे चुनाव परिणाम? तो आइए आपकी उत्सुकता को दूर करते हुए बताते हैं कि बिजनौर की सभी विधानसभा सीटों पर दूसरे चरण में 14 फरवरी को वोटिंग होगी. 10 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे.

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आइए जानते हैं बिजनौर की सभी विधानसभा सीटों का हाल-

बात अगर बिजनौर जिले की करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां पर बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था. वहीं, 2012 के चुनावों में बीएसपी इस जिले में सबसे ज्यादा सीट जीतने में कामयाब रही थी. बिजनौर जिला मुजफ्फरनगर का पड़ोसी जिला है. ऐसे में इसपर किसान आंदोलन का कितना फर्क पड़ता है, यह भी देखने वाली बात होगी. लेकिन सियासी मायनों में पिछले विधानसभा चुनाव के मुताबिक बिजनौर बीजेपी के लिए अहम जिला है. बीजेपी पर अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने का दवाब रहेगा.

बिजनौर जिला उत्तर प्रदेश के पश्चिम भाग की ओर बसा हुआ है. इस जिले की सीमा उत्तराखंड राज्य से भी मिलती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1817 में मुरादाबाद से अलग होकर बिजनौर एक नया जिला बना था. ऐसा माना जाता है कि महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद बिजनौर जिले की सीमा में छिप कर रहे थे और यहां उन्होंने निशानेबाजी का अभ्यास भी किया था.

अभिज्ञान शकुंतलम के अनुसार, हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत शिकार सत्र के दौरान यहां पहुंचे थे. इस दौरान यहां पर उनकी मुलाकात शकुंतला से हुई थी, जिसके बाद उन्हें उनसे प्यार हो गया था.

  • आपको बता दें कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 8 में से 6 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया था.

  • वहीं, 2012 के चुनावों में बीएसपी के खाते में 4 जबकि सपा और बीजेपी को 2-2 सीटें पर जीत मिली थी.

आइए विस्तार से देखते हैं कि 2012 और 2017 में बिजनौर विधानसभा क्षेत्र में क्या थी सियासी तस्वीर.

बिजनौर

2017: इस चुनाव में इस सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी की सुचि ने एसपी की रुचि वीरा को 27,281 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में बिजनौर सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा था. बीजेपी के कुंवर भारतेंद्र ने बीएसपी के महबूब को 17,836 मतों के अंतर से हराया था.

चांदपुर

2017: बीजेपी उम्मीदवार कमलेश सैनी ने इस चुनाव में बीएसपी के मोहम्मद इकबाल को 35,649 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में इस सीट पर बीएसपी ने अपना कब्जा जमाया था. बीएसपी के इकबाल ने एसपी के शेरबाज खान को 15,013 वोटों से हराया था.

नगीना

2017: इस चुनाव में एसपी के उम्मीदवार मनोज कुमार पारस ने बीजेपी की ओमवती देवी को 7,967 वोटों के अंतर से हराया था.

2012: इस साल भी इस सीट पर सपा और बीजेपी के बीच मुकाबला था. इस बार भी एसपी के मनोज कुमार पारस ने बीजेपी की ओमवती देवी को 26,546 वोटों के बड़े अंतर् से हराया था.

नजीबाबाद

2017: इस साल हुए विधानसभा चुनावों में इस सीट पर एसपी ने जीत हासिल की थी. एसपी के तस्लीम अहमद ने बीजेपी के राजीव कुमार अग्रवाल को कड़े मुकाबले में मात्र 2,002 वोटों से हरा दिया था.

2012: इस चुनाव में बीएसपी की टिकट से चुनाव लड़े तस्लीम ने बीजेपी के राजीव कुमार अग्रवाल को 11,583 वोटों से हराया था.

धामपुर

2017: इस चुनाव में बीजेपी के अशोक कुमार राणा ने एसपी के मूलचंद चौहान को 17,864 वोटों से हराया था.

2012: इस साल हुए विधानसभा चुनावों में यह सीट एसपी के खाते में गई थी. एसपी के मूलचंद चौहान ने बीजेपी के अशोक कुमार राणा को मात्र 546 वोटों के अंतर से हराया था.

नूरपुर

2017: बीजपी के उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह ने इस चुनाव में एसपी के नईम उल हसन को 12,736 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी.

2012: इस साल हुए विधानसभा चुनावों में भी इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह को जीत हासिल हुई थी. उन्होंने बीएसपी के मोहम्मद उस्मान को 5,473 वोटों से हराया था.

नहटौर

2017: इस चुनाव में बीजेपी के ओमकुमार ने कांग्रेस के मुन्नालाल प्रेमी को 23,151 वोटों से हराया था.

2012: नहटौर की सीट पर 2012 के विधानसभा चुनावों में बीएसपी के ओमकुमार ने सपा के राजकुमार को 19,398 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी.

बढ़ापुर

2017: इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुशांत कुमार ने कांग्रेस के हुसैन अहमद को 9,824 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में बीएसपी के मोहम्मद गाजी ने बीजेपी के इंद्रदेव सिंह को 27,375 वोटों से हराया था.

गंगा किनारे बसे गांव बाढ़ से होते हैं प्रभावित

बिजनौर में बालावाली से लेकर जलीलपुर ब्लॉक के बीच तकरीबन 80-90 गांव बाढ़ से प्रभावित रहते हैं. बाढ़ आने से फसल नष्ट हो जाती है, लोगों के घर बह जाते हैं और पूर्व में इसकी वजह से पूरे के पूरे गांवों एक स्थान से दूसरे स्थान पर बसाया भी गया है. बीजेपी की हालिया सरकार को मिलाकर पूर्व की भी सरकारों ने इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं किया है. काफी मांग करने के बाद भी अब तक तटबंध नहीं बन सके हैं. अब 2022 के चुनाव नजदीक हैं, फिर ये मुद्दा उठेगा. लेकिन गौर करने वाली बात होगी कि ये मात्र बस एक मुद्दा बनकर न रह जाए, बल्कि लोगों को इस समस्या का समाधान भी मिले.

कब बनेगा फ्लाईओवर?

बिजनौर विधानसभा के सबसे अहम मुद्दों में से एक है बिजनौर-नगीना मार्ग पर स्थित रेलवे फाटक पर फ्लाईओवर का न होना. फाटक के पास शुगर मिल होने से ट्रैक्टर की आवाजाही ज्यादा रहती है और इसके साथ सामान्य वाहनों के मिल जाने पर इस रेलवे फाटक पर अक्सर जाम की समस्या रहती है. पिछले काफी समय से क्षेत्र के लोग फ्लाईओवर की मांग कर रहे हैं. अब देखना होगा कि अगली सरकार बनने से पहले यहां फ्लाईओवर बनने का काम शुरू होता है या नहीं.

बिजनौर में है एक ऐसा पुल जो कहीं नहीं ले जाता है

बिजनौर के बालावाली में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2015 में उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब को सीधा जुड़ने के लिए पुल निर्माण की घोषणा की गई थी. 2015 में पुल का शिलान्यास होने के बाद इसे 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. पुल बनाने से पहले न जाने अफसरों ने क्या डीपीआर बनाया कि उत्तराखंडं सरकार की तरफ से अड़ंगा आ गया. जमीन विवाद शुरू हुआ. खैर दोनों राज्यों के अफसर बैठे. विवाद सुलटा और 2019 में जाकर निर्माण पूरा हुआ. पर यह निर्माण किस काम का अगर पुल पर जाने के लिए सड़क ही न हो?

आसपास के गांव के रहने वाले लोगों का कहना है कि सरकारों की लापरवाही के कारण यह पुल तैयार होने के बाद भी शुरू नहीं हुआ. उन्हें आज भी रुड़की-सहारनपुर जाने के लिए या तो हरिद्वार से जाना पड़ता है या मुजफ्फरनगर से जाना पड़ता है, जिससे उनका पैसा और समय, दोनों ही ज्यादा खर्च होता है. फिलहाल तो हालात यही हैं कि करोड़ों की लागत से बने इस कंक्रीट के ढांचे को सरकारी फाइलों में पुल कहा जाता है और आसपास के ग्रामीण ख्वाबों में पुल से इस पार से उस पार जाते-आते रहते हैं.

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