अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा होने के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में कई मंत्रियों को प्रचार के लिए लगा दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) इस प्रतिष्ठित सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है. सपा ने तो फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रासाद को अपना उम्मीदवार बना दिया है. मगर भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. भाजपा किसे टिकट देगी, इसको लेकर अभी भी अटकलों का बाजार गर्म है.
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इस बीच खबर मिली है कि मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट के दावेदार और उप परिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार रावत ने वीआरएस की अर्जी डाली है. इसी साल 31 मार्च को सुरेंद्र रावत का रिटायरमेंट है, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी शासन को भेजी है. माना जा रहा है कि मिल्कीपुर सुरक्षित सीट पर नए चेहरे की तलाश में बीजेपी सुरेंद्र रावत को भी प्रत्याशी बना सकती है.
मिल्कीपुर सुरक्षित सीट से बाबा गोरखनाथ और सुरेंद्र रावत को प्रबल दावेदार माना जा रहा है, जिसकी वजह से ही रिटायरमेंट से ढाई महीने पहले सुरेंद्र रावत ने वीआरएस के लिए अर्जी दी है. हालांकि सुरेंद्र रावत ने शासन को भेजे अपने पत्र में पारिवारिक कारणों को वजह बताया है, लेकिन चर्चा है की असल वजह चुनावी है. सुरेंद्र रावत मिल्कीपुर सीट पर जातिगत समीकरण के आधार पर बीजेपी के लिए एक नए और बड़े वोट बैंक का चेहरा हो सकते हैं.
5 फरवरी को मिल्कीपुर में होने वाले चुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में शासन अगर सुरेंद्र रावत की अर्जी पर जल्द निर्णय नहीं लगा तो उनकी राजनीतिक पारी शुरू होने से पहले विराम भी लग सकता है.
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