चाचा शिवपाल ने भतीजे अखिलेश यादव से मनमुटाव खत्म होने की इनसाइड स्टोरी पहली बार बताई

शिवपाल यादव ने पहली बार पॉडकास्ट में बताया अखिलेश यादव से मनमुटाव खत्म होने की इनसाइड स्टोरी. जानिए मुलायम सिंह यादव के निधन और मैनपुरी उपचुनाव ने कैसे चाचा-भतीजा विवाद को खत्म किया.

Akhilesh Yadav, Shivpal Yadav

रजत सिंह

• 07:54 AM • 10 Sep 2025

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की यात्रा में चाचा भतीजा विवाद और फिर दोनों के मेल-मिलाप की कहानी हमेशा चर्चाओं में रही. लोग आजतक इस सियासी राज के अलग-अलग किस्से सुनाते हैं कि आखिर सपा चीफ अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के रिश्ते कैसे सुधरे. सपा में चला लंबा चाचा-भतीजा विवाद आखिर कैसे थमा, अब इसका खुलासा खुद शिवपाल यादव ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में किया.

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शिवपाल यादव अखिलेश यादव के चाचा हैं. मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं. उनका संघर्ष तब शुरू हुआ जब 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत से आई. उससे पहले जो सरकार 2007 तक थी उसमें शिवपाल यादव का खूब बोलबाला था. यह कहिए कि उनको एक तरीके से नंबर दो का दर्जा मिला हुआ था. वो खुद प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे और मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय राजनीति देखा करते थे. 2012 में जब सत्ता आई तो अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. शिवपाल यादव पडकास्ट में कहते हैं कि उन्होंने मुलायम सिंह यादव को इस बात की सलाह दी थी कि अखिलेश यादव को नहीं उन्हें खुद मुख्यमंत्री बनना चाहिए और 4 साल बाद मुलायम सिंह यादव को ही अखिलेश यादव को इंट्रोड्यूस करना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि मैंने तो यह तक सलाह दी थी कि उन्हें मुख्यमंत्री के विभाग में ही मंत्री बनाना चाहिए. अब इसे युवाओं का दबाव कहिए या मुलायम सिंह यादव का पुत्र मोह, उन्होंने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया. हालांकि अखिलेश यादव की उपलब्धि यह थी कि उन्होंने 2012 के चुनाव से पहले एक बड़ी लंबी साइकिल यात्रा निकाली थी और जिसकी चर्चा पूरे उत्तर प्रदेश में थी और एक युवा मुख्यमंत्री के तौर पर वो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बने. लेकिन उनके शासनकाल में लगातार उनके मतभेद अपने चाचा शिवपाल यादव से रहे और हालात यह बने कि शिवपाल यादव ने पार्टी तोड़ने की कोशिश की.

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यूं खत्म हुआ 10 साल चला मनमुटाव

अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को हटाया. खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. शिवपाल यादव को बाहर किया. शिवपाल यादव ने अपनी नई पार्टी बनाई और फिर लड़ाई खूब चली. शिवपाल यादव ने पॉडकास्ट में बताया कि 10 साल चले मनमुटाव और सियासी संघर्ष के बाद, मुलायम सिंह यादव के निधन और मैनपुरी उपचुनाव ने यादव परिवार में एकता की ज़मीन बनाई. जब डिंपल यादव को मैनपुरी से चुनाव लड़वाने की बात आई, अखिलेश और डिंपल खुद शिवपाल के घर गए. वहीं परिवार के वरिष्ठ जैसे प्रोफेसर रामगोपाल यादव, अभय राम (धर्मेंद्र यादव के पिता), डिंपल और शिवपाल की पत्नी सरला ने सभी को मिल-बैठकर समझाया कि अब सबको एक हो जाना चाहिए और यही बैठक निर्णायक रही.

शिवपाल और अखिलेश यादव का मेल-मिलाप कैसे हुआ उसे यहां नीचे दी गई यूपी Tak की वीडियो रिपोर्ट में देखा जा सकता है.

शिवपाल यादव ने साफ कहा कि परिवार की एकजुटता का फैसला सामूहिक था और उसमें सभी की सहमति बनी. उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया कि 2019 में वे अपने ही परिवार के खिलाफ चुनाव लड़े, पर अब उनका पूरे मन से समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के साथ रहना तय है. उनके मकसद है 2027 में अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाना है. शिवपाल यादव के मुताबिक, चाचा-भतीजा विवाद की सुलह में नेताजी की विरासत, परिवार का दबाव और व्यक्तिगत पहल भी बड़े कारण बने.

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