मैनपुरी उपचुनाव: BJP को अपने गढ़ में मात देने के लिए अखिलेश ने बदली रणनीति, कर रहे ये काम

कुमार अभिषेक

• 09:48 AM • 01 Dec 2022

Mainpuri Byelection 2022: अखिलेश यादव ने मैनपुरी उपचुनाव में अपने प्रचार का अंदाज़ बदल दिया है. इसबार चुनाव प्रचार में अखिलेश यादव का फोकस दलित…

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Mainpuri Byelection 2022: अखिलेश यादव ने मैनपुरी उपचुनाव में अपने प्रचार का अंदाज़ बदल दिया है. इसबार चुनाव प्रचार में अखिलेश यादव का फोकस दलित ओबीसी ब्राह्मण और ठाकुर बिरादरी पर है. अखिलेश यादव दलित और ओबीसी कार्यकर्ताओं को सभा मे नाम लेकर बुला रहे हैं. उनसे पुराने संबंधों को भरी सभा मे याद कर रहे हैं, नेताजी के संबंधों को याद कर रहे हैं. अखिलेश यादव का फोकस ही इस बार दलित,ओबीसी, ब्राह्मण और ठाकुर है क्योंकि उन्हें मालूम है कि यादव और मुसलमान तो 100 फीसदी उनके साथ हैं. अखिलेश ज्यादातर सभायें दूसरी जातियों में कर रहे हैं.

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अखिलेश यादव पिछड़ी जातियों को भी गोलबद करने में जुटे हैं, अपने हर सभा में उन्हें याद दिला रहे हैं कि उनकी पहली पहचान पिछड़ी जाति की है बाद उनकी बिरादरी आती है.

चुनाव प्रचार में सभी बिरादरी से अपने संबंध जोड़ रहे हैं अखिलेश

अखिलेश यादव ने यादव-ब्राह्मणों के सम्मेलन में कहा कृष्ण और सुदामा के संबंध हजारों साल पुराने हैं, ऐसे में ब्राह्मण और यादवों के बीच कोई मतभेद पैदा ही नहीं कर सकता. वहीं जब पाल समुदाय के बीच अखिलेश यादव ने अपनी जनसभा की तो कहा कि हमारा और आपका संबंध तो बड़े और छोटे जानवरों का है. यानी यादव गाय भैंस पालते हैं तो पाल बिरादरी भेड़ बकरियां पालते रहे. अखिलेश ब्राह्मणों को अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे ब्राह्मणों के बीच अखिलेश यादव ने ब्राह्मणों को यह याद दिलाया कि मुलायम सिंह ने ब्राह्मणों के लिए कितना काम किया.

कैसे जनेश्वर मिश्र नेता जी के सबसे करीबी रहे, कैसे नजदीकी रिश्ते उनके ब्राह्मण बिरादरी के साथ रहे और समाजवादी पार्टी की उनकी सरकार रही तो ब्राह्मणों के लिए उन्होंने कितना काम किया. अखिलेश यादव इशारों इशारों में अटल बिहारी वाजपेई का नाम भी ब्राह्मणों की सभाओं में ले रहे हैं. ब्राह्मणों के बीच बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोकभवन समाजवादी पार्टी ने बनवाया आज उसमें अटल बिहारी वाजपेई की सबसे ऊंची प्रतिमा लगी है.

जो इकाना स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय स्तर का लखनऊ में बना उनका नाम अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर रख दिया गया. इसके अलावा समाजवादी पार्टी ने अपने शासनकाल में संस्कृत स्कूलों के लिए सबसे ज्यादा पैसा दिया. अखिलेश यादव ने कहा यादवों और ब्राह्मणों का संबंध तो हजारों साल पुराना कोई भेद पैदा ही नहीं कर सकता. क्या भगवान कृष्ण और सुदामा के बीच के संबंध कोई भुला सकता है कोई खराब कर सकता है.

बाकायदा समाजवादी पार्टी से जुड़े ब्राह्मण विधायक मंत्री सांसद पूर्व सांसद एमएलसी पूर्व एमएलसी ऐसे लोगों का सम्मेलन अखिलेश यादव ने मैनपुरी में किया जहां ब्राह्मण नेताओं ने अखिलेश यादव के लिए पलक फावड़े बिछा दिए. ठाकुर, मुलायम सिंह यादव को पहले बड़ी तादात में वोट करते रहे है लेकिन डिंपल यादव चुनाव में जो खुद भी इसी बिरादरी की है, ऐसे में चुनाव में अखिलेश यादव के लिए सभी जातियों से संबंध जोड़ने के लिए काफी है.

मैनपुरी की लड़ाई में इस बार दोनों पार्टियां जमीन पर जबरदस्त लड़ाई लड़ती दिख रही है. बीजेपी ने बूथ मैनेजमेंट से लेकर गांव-गांव में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को उतार दिया है. बीजेपी ओबीसी और दलित जातियों उनकी बिरादरी के नेताओं के जरिये साधने में जुटी है. खासकर हर जाति बिरादरी के नेताओं को बीजेपी ने गांव गांव उतार दिया है तो समाजवादी पार्टी भी इस बार बीजेपी के माइक्रोमैनजमेंट के जवाब में माइक्रो लेवल पर प्लानिंग में जुटी है. चुनाव प्रचार में घर-घर दस्तक देने की कोशिश दोनों पार्टियों की दिखाई दे रही है.

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