यूपी के पूर्व डीजीपी ने अपनी किताब में मायावती से जुड़ी कहानी पर किए बड़े खुलासे

भाषा

• 08:15 PM • 25 Jan 2024

जब भी मायावती और मुलायम सिंह यादव का नाम लिया जाता है, तो लोगों के जहन में गेस्ट हाउस कांड की यादें ताजा हो जाती हैं. वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गेस्ट हाउस कांड का जिन्न बाहर निकल कर आया है. 

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने रविवार, 1 अक्टूबर, 2023 को लखनऊ में पार्टी कार्यालय में 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की। (पीटीआई फोटो/नंद कुमार)(पीटीआई10_01_2023_000067बी)

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Uttar Pradesh News : मायावती और मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की रजनीति में दो बड़े दिग्गज हैं जिनका सूबे की ही नहीं बल्कि देश की सियासत में एक कद था. जब भी मायावती और मुलायम सिंह यादव का नाम लिया जाता है, तो लोगों के जहन में गेस्ट हाउस कांड की यादें ताजा हो जाती हैं. कभी उत्तर प्रदेश में एक साथ मिलकर सरकार चलाने वाली सपा और बसपा की, इस कांड के बाद से राहें अलग ही नहीं हुईं बल्कि मायावती और मुलायम के बीच भी दरार आ गई. वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गेस्ट हाउस कांड का जिन्न बाहर निकल कर आया है. 

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पुलिस अधिकारी ने बताई असली कहानी


उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी. सिंह ने अपने संस्मरण में 1995 के चर्चित लखनऊ ‘गेस्टहाउस’ कांड को याद करते हुए लिखा है कि इस मामले ने उन्हें ‘बिरादरी से बाहर’ करने के साथ ही ‘खलनायक’ बना दिया था. इस चर्चित कांड की पीड़िता मायावती ने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी के समर्थकों ने उन्हें घेर लिया था. 1983 बैच के अधिकारी ओ.पी. सिंह ने अपने संस्मरणों पर आधारित किताब ‘क्राइम, ग्रिम एंड गम्प्शन: केस फाइल्स ऑफ एन आईपीएस ऑफिसर’’ में इस घटना का विस्तार से वर्णन किया है. 

सामने आई ये किताब

ओ.पी. सिंह ने  किताब में ‘सुनामी वर्ष’ नामक अध्याय के तहत ‘गेस्ट हाउस’ कांड को आधुनिक भारत के इतिहास में एक ‘अशोभनीय’ राजनीतिक नाटक करार दिया है. वह लिखते हैं कि इस घटना ने, न केवल उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदल दिया, बल्कि देश की राजनीति को भी पूरी तरह से प्रभावित किया. सिंह ने दो जून, 1995 को हुई घटनाओं का सिलसिलेवार विवरण दिया है. उसी दिन उन्होंने लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) का कार्यभार संभाला था. 

काट दी गईं थी बिजली और टेलीफोन की लाइन

घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने अपने किताब में लिखा कि अपराह्न करीब दो बजे उन्हें मीरा बाई मार्ग पर स्थित गेस्ट हाउस में कुछ ‘‘गैरकानूनी तत्वों द्वारा गड़बड़ी’’ को लेकर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का फोन आया. वह शाम 5:20 बजे जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे. सुइट संख्या 1 और 2 में उस समय रह रही मायावती इस चर्चा के बीच गेस्टहाउस में अपने विधायकों से मुलाकात कर रही थीं कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. उन्होंने बताया कि, ‘बिजली आपूर्ति बंद होने और टेलीफोन लाइनें काट दिए जाने के कारण स्थिति काफी अस्पष्ट थी. पूरी तरह अराजकता की स्थिति थी.’


उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वेसुनिश्चित करें कि सुइट्स एक और दो में कड़ी सुरक्षा हो.  अचानक हंगामा शुरू हो गया. पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. सिंह का कहना है कि हालात सामान्य होने तक वह गेस्ट हाउस में ही रहे. अधिकारी के मुताबिक गेस्ट हाउस के घटनाक्रम को लेकर कहानियां और अफवाहें तेजी से फैलने लगीं. जिनमें परिसर में एक एलपीजी सिलेंडर लाने की अफवाह भी शामिल थी.

अफवाहों ने किया था काम खराब

ओ.पी. सिंह ने  किताब में आगे लिखा कि, ‘मायावती ने चाय पीने की इच्छा व्यक्त की और संपदा अधिकारी द्वारा सूचित किए जाने के बाद कि रसोई गैस नहीं है. पड़ोस से एक सिलेंडर की व्यवस्था की गई. सिलेंडर को रसोई क्षेत्र की ओर लुढ़का कर ले जाते देख और उससे हुई खड़खड़ की आवाज से यह अफवाह फैल गई कि मायावती को आग लगाने की कोशिश की गईं.’ अभी तो शुरूआत थी. हैरान करने वाली और घटनाएं अभी होनी बाकी थीं.  मायावती ने उसी दिन राज्यपाल को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि गेस्ट हाउस में एकत्र हुए सपा सदस्यों ने हमला किया और कुछ बसपा कार्यकर्ताओं को ‘‘पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों की नाक के नीचे उठाकर ले गए. 

पूर्व डीजीपी ने संस्मरण में लिखा, 'एक पुलिस अधिकारी के तौर पर मैं फिर से दो राजनीतिक दलों के बीच शक्ति प्रदर्शन के खेल में लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप में फंस गया.’ उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उसी रात मुलायम सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया और मायावती को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई. ओपी सिंह को नयी सरकार ने चार जून, 1995 को निलंबित कर दिया. 

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