उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को उर्दू भाषा को लेकर जमकर सियासी बवाल मचा. दरअसल, हुआ ये कि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने घोषणा की कि सदन की कार्यवाही का अनुवाद अंग्रेजी के साथ-साथ चार क्षेत्रीय भाषाओं अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेलखंडी में भी उपलब्ध होगा. इस घोषणा के बाद सपा नेता और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष माता प्रासाद पांडे ने उर्दू को भी इसमें शामिल करने की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताई. सीएम योगी ने आरोप लगाते हुए कहा, 'ये लोग उर्दू पढ़ाकर (दूसरे के बच्चों को) मौलवी बनाना चाहते हैं. यह कतई स्वीकार नहीं होगा.' विवाद जब ज्यादा बढ़ा तो इस मसले पर सपा चीफ अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री इस बात को समझते नहीं हैं कि उर्दू भाषा देश की इसी जमीन में जन्मी है.'
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उर्दू को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं. कहीं इसे मौलवी से जोड़ा जा रहा है, तो कहीं इसे धर्म विशेष की भाषा ठहराया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है उर्दू? क्या ये हिंदुस्तानी भाषा नहीं है? क्या ये कोई विदेशी भाषा है? क्या इसका संबंध किसी एक धर्म से है? उर्दू से जुड़े हालिया विवाद के बीच आइए आपको इस जुबान की कहानी शुरू से सुनाते हैं. इसके लिए UP Tak ने उर्दू के जानकारों से बात की और समझा है इस भाषा की अबतक की पूरी यात्रा को.
AMU के प्रोफेसर ने बताई उर्दू की पूरी कहानी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में उर्दू विभाग के असोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर जुबैर शादाब खान ने यूपी Tak से बातचीत उर्दू भाषा को लेकर कहा, "उर्दू खालिस हिंदुस्तानी जबान है, जिसकी उम्र अब एक हजार साल की हो गई है. मुख्तलिफ जगहों पर इसकी जाए पैदाइश बताई जाती है. कोई पंजाब से कहता है तो कोई दिल्ली से."
उन्होंने आगे कहा, "जो आज की तारीख में हिंदी कही जाती है, वो बीसवीं सदी का नाम है वो भी फारसी का नाम है. हिंदी पहले भाषा या भाका के नाम से जानी जाती थी. ये दोनों ट्विन्स हैं. जुड़वा बहनें हैं. दोनों की पैदाइश एक ही मुल्क में हुई है. उर्दू खालिस हिंदुस्तानी जबान है."
प्रोफेसर शादाब ने कहा, "हुकूमत हिंद ने इसको (उर्दू) अपने शेड्यूल लैंग्वेजेस में रखा है. जो बाईस हमारी शेड्यूल लैंग्वेजेस हैं, जबान हैं आइन के अंदर, उनमें से एक उर्दू भी है. उर्दू आठ हिंदुस्तानी रियासतों में सेकंड लैंग्वेज यानी दूसरी जबान की हैसियत से बोली जाती है."
उर्दू यूपी की सेकेंड लेंग्वेज कब बनी?
इसपर जवाब देते हुए प्रोफेसर शादाब ने कहा, "उर्दू उत्तर प्रदेश में भी सानवी जबान की हैसियत रखती है. मुलायम सिंह साहब के जमाने में ये सेकंड लैंग्वेज करार दी गई थी."
अखिलेश यादव ने कसा तंज
सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा, "मुख्यमंत्री इस बात को समझते नहीं हैं कि उर्दू भाषा देश की इसी जमीन में जन्मी है. उर्दू भाषा में हिंदी शब्द है, टर्किश-परशियन है, अरेबिक है. उर्दू भाषा को वह समझते नहीं हैं. उर्दू हमारी भारतीय भाषा है. उर्दू और हिंदी में वही फर्क है जो कुमाऊनी और गढ़वाली जानता होगा. मुख्यमंत्री से पूछा जाए स्टेशन की हिंदी क्या है, क्रिकेट की हिंदी क्या है? अंग्रेजी का प्रभाव हमारी संस्कृति पर पड़ा है. मुख्यमंत्री के अंदर नकारात्मक है. महाकुंभ में जो बर्बादी हुई है उसकी वजह से उनकी भाषा ऐसी है."
सीएम योगी ने सदन में क्या कहा था?
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने विधानसभा में आरोप लगाया कि अंग्रेजी को आगे करके सरकार हिंदी को कमजोर कर रही है. पांडेय ने कहा कि अगर विधानसभा में अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जा रहा है तो उर्दू का भी होना चाहिए. पांडेय के इस बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'समाजवादियों का दोहरा आचरण है, वे अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेजेंगे और यहां अंग्रेजी का विरोध करेंगे. इस प्रकार के विरोध की निंदा होनी चाहिए.' योगी ने यह आरोप भी लगाया कि 'ये लोग उर्दू पढ़ाकर (दूसरे के बच्चों को) मौलवी बनाना चाहते हैं. यह कतई स्वीकार नहीं होगा.'
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