महाकुंभ के लिए 29 जनवरी को राजस्थान के गांव से पैदल निकले 50 साल के शिवलाल 1100 किमी चलकर कहां तक पहुंचे?

राजस्थान के जोधपुर जिले के तिवरी गांव के रहने वाले शिवलाल ने भी अपनी आस्था की एक मिसाल पेश की है. लगभग 50 वर्षीय शिवलाल ने अपने पैरों में सिर्फ चप्पल पहनकर पैदल ही 1100 किलोमीटर की यात्रा पूरी की और अब प्रयागराज महाकुंभ पहुंचने वाले हैं.

Mahakumbh News

अखिलेश कुमार

24 Feb 2025 (अपडेटेड: 24 Feb 2025, 06:56 PM)

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महाकुंभ के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति को शब्दों में बयां करना मुश्किल है. हर महाकुंभ में लाखों लोग इस पवित्र आयोजन में शामिल होने के लिए कठिन यात्राएं तय करते हैं. लेकिन कुछ श्रद्धालु ऐसे होते हैं जिनकी भक्ति प्रेरणादायक होती है.  राजस्थान के जोधपुर जिले के तिवरी गांव के रहने वाले शिवलाल ने भी अपनी आस्था की एक मिसाल पेश की है. लगभग 50 वर्षीय शिवलाल ने अपने पैरों में सिर्फ चप्पल पहनकर पैदल ही 1100 किलोमीटर की यात्रा पूरी की और अब प्रयागराज महाकुंभ पहुंचने वाले हैं. 

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1100 किलोमीटर की कठिन यात्रा

श्रद्धालु शिवलाल 29 जनवरी को अपने गांव तिवरी से निकल पड़े थे.  अब तक उन्होंने कौशांबी तक का सफर पूरा कर लिया है और महज 50 किलोमीटर दूर प्रयागराज के संगम तट पर अपनी मंजिल तक पहुंचने वाले हैं.  शिवलाल ने बताया कि वे रोजाना लगभग 50 किलोमीटर पैदल चलते हैं और फिर आराम करते हैं.. सुबह होते ही वे फिर यात्रा शुरू कर देते हैं. इस कठिन यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी भक्ति और आस्था को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. उनका अटूट विश्वास ही था, जिसने उन्हें यह कठिन संकल्प पूरा करने की शक्ति दी.

सरकारी सुविधाओं से आसान हुआ सफर

शिवलाल ने बताया कि जैसे ही उन्होंने उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश किया, उनकी यात्रा और सुविधाजनक हो गई. यूपी सरकार और प्रशासन द्वारा हाईवे पर जगह-जगह भोजन और पानी की व्यवस्था की गई थी, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं हुई. साथ ही, प्रशासन द्वारा बनाए गए विश्राम केंद्रों (होल्डिंग एरिया) में उन्होंने रुककर सफर को थोड़ा आसान बनाया. इस व्यवस्था के कारण वे अपनी यात्रा को सुगमता से पूरा कर सके.

महाशिवरात्रि पर लेंगे आस्था की डुबकी

अब शिवलाल प्रयागराज संगम में महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने वाले हैं. उनका मानना है कि यह पवित्र डुबकी उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होगी. उनका यह सफर न केवल धार्मिक आस्था और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. बल्कि यह दर्शाता है कि सच्चे भक्तों के लिए कोई भी कठिनाई बाधा नहीं बन सकती.

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